फादर्स डे की पूर्व संध्या पर कादम्बिनी क्लब का विशेष आयोजन

बीकानेर। मनुष्य के लिए एक अहसास है पिता. पिता का साथ फूलों भरा सफर जैसा है.पिता ही व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार करता है.पिता की आँख एक्सरे के सामान होती है बच्चे के भीतर तक झांक कर उसको समझ सकती है. ये उदगार कवयित्री और कथाकार डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलमÓ ने आज फादर्स डे की पूर्व संध्या पर बीकानेर कादम्बिनी क्लब द्वारा स्थानीय होटल मरुधर हेरिटेज के विनायक सभागार में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में प्रकट किये. उन्होंने पिता की भूमिका पर आधारित एक कविता भी प्रस्तुत की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप समाजसेवी डॉ. रामेश्वर बाडमेरा ‘साधकÓ ने कहा कि पिता भगवान् का रूप होता है. वह देव तुल्य है इसलिए पिता की देवता के सामान पूजा करनी चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि कथाकार श्री राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि पिता बच्चे को अच्छे संस्कार देता है ये संस्कार ही व्यक्ति को अच्छा नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं.


कार्यक्रम के प्रारम्भ में क्लब के संयोजक व्यंग्यकार, लेखक और सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि वैसे तो पिता हर दिन पूजनीय है हमारे शास्त्रों में माता और पिता को देवता के रूप में माना गया है. फादर्स डे पर पिता के बच्चे के लालन पालन में दिए गये योगदान को कभी नही भूलना नही भूलना चाहिए. पिता ही नही पिता के सामान हर एक व्यक्ति सम्मान किया जाना चाहिए. स्वागत भाषण देते हुए क्लब के सह संयोजक डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि आज के परिवेश में पिता की अनदेखी की प्रवर्ती बढती जा रही है जो खतरनाक है. समय रहते इस दिशा में सकरात्मक प्रयासों की जरुरत है.

इस अवसर पर कवि और समाज सेवी श्री गिरिराज पारीक ने फादर्स की शुरुआत और आज के परिवेश में इस दिवस की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. समपादक और कवयित्री डॉ. बसंती हर्ष ने कहा कि आज के परिवेश में एकाकी परिवार बढ़ते जा रहे हैं इस कारण बच्चे में पिता और दादा दादी द्वारा संस्कार नही मिल पाते जो नई पीढ़ी के पतन की राह पर बढऩे का मुख्य कारण है. युवा कवि और शायर पुखराज सोलंकी, शिक्षाविद श्री मोहनलाल जांगिड, डॉ. सुधा आचार्य, डॉ. कृष्णा आचार्य, कृष्णा वर्मा, डॉ. प्रकाश चन्द्र वर्मा, श्रीमती इंद्रा व्यास और बाबूलाल छंगानी ने पिता पर आधारित अपनी कविताएँ प्रस्तुत की. इस अवसर पर आयोजित विचार विमर्श में श्री शिव शंकर व्यास, श्री हरिकिशन व्यास, मुनीन्द्र कुमार अग्निहोत्री,हनुमान कछावा, ऋषि कुमार अग्रवाल, व्यवसाई हेमचंद बांठिया, डॉ. जगदीश दान बारहठ आदि कई वक्ताओं ने पिता के विभिन्न रूपों और भूमिकाओं की चर्चा की. कार्यक्रम का संचालन इनजीनियर श्री गिरिराज पारीक ने किया और आभार ज्ञापन डॉ. जगदीश दान बारहठ ने किया.