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बीकानेर। एमजीएस विश्वविद्यालय में महाराजा गंगा सिंह स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए मुख्य उद्बोधक, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि गंगा सिंह जी कभी किसी सभ्यता का अंधानुकरण न करते हुए सदैव अन्य सभ्यताओं की सकारात्मक बातों को आचरण में उतारने के विचारों का संवहन किया । उन्होंने इतिहास लेखन की पद्धतियों व पुनर्लेखन के प्रमुख बिंदु उल्लेखित किए व भारतीय इतिहास को मानवता का इतिहास बताया, पुरूषार्थ का इतिहास बताया । इससे पूर्व मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन के उपरान्त कार्यक्रम समन्वयक इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नारायण सिंह राव ने स्वागत भाषण के साथ साथ विश्वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डाला। संपूर्ण आयोजन की संयोजक डॉ. मेघना शर्मा ने व्याख्यानमाला के इतिहास का चित्रण करते हुए अतिथियों के परिचय मंच से पढकर सुनाए।

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सारस्वत अतिथि की भूमिका में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के संगठन सचिव श्री मदन गोपाल व्यास ने कहा कि भारतीय इतिहास एवं संस्कृति की सर्वोच्चता इसी बात से प्रमाणित होती है कि सारी दुनिया के वैज्ञानिक अपने अनुसंधानों में सरस्वती नदी के अस्तित्व व प्रवाह की दिशा खोजने में संलग्न हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह अपने उद्बोधन में युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण में प्राचीन व आधुनिक भारतीय शख्सियतों पर आधारित ऐसे स्मृति व्याख्यानों व परिसंवादों को महत्वपूर्ण बताया व कहा कि आज इतिहास को नई दृष्टि से लिखे जाने की आवश्यकता है। अपने नाम को भी सही प्रकार से लिखे जाने का ज्ञान युवा पीढ़ी को करवाने के प्रयत्न करने की महती आवश्यकता है ।

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अतिथियों का मंच से सम्मान भी किया गया । कार्यक्रम में कुलसचिव श्री मनोज कुमार, वित्त नियंत्रक श्री भंवर चारण, प्रो. एस. के. अग्रवाल, डॉ. बेला भनोत, डॉ. दिग्विजय सिंह शेखावत, डॉ. उमाकांत गुप्त, डॉ. चंद्रशेखर कच्छावा, डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. इंद्रा बिश्नोई, डॉ. शारदा शर्मा, डॉ. पुष्पा चौहान, डॉ. राजशेखर पुरोहित, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ विक्रमजीत, डॉ आनंद बीठू, डॉ नमामि शंकर आचार्य, डॉ. अनिल कौशिक, डॉ. जसवंत खीचड, डॉ. बिटठल बिस्सा के साथ साथ शहर के गणमान्य जन व भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंबिका ढाका ने दिया।