बीकानेर। विश्व की सबसे बड़ी ऐतिहासिक गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना यात्रा जो 4 दिसंबर 2012 को प्रात: 3:15 बजे 1008 कुंडीय गो भैरव महायज्ञ के सफलतापूर्वक आयोजन के पश्चात हल्दीघाटी मेवाड़ से आरंभ हुई जो 31 वर्षों में संपूर्ण भारतवर्ष में ढाई लाख किलोमीटर तक लगभग 51000 गांवों कस्बों में भ्रमण करेंगे । अब तक राजस्थान के 22 जिले पार कर के 50000 किलोमीटर की यात्रा करके 10200 से अधिक गांवों कस्बों में गौ माता, पर्यावरण व भारतीय संस्कृति की अलख जगाती हुई परम सौभाग्य से शिवांशी गौ माता के संग मरू नगरी बीकाना की धरती पर 7 अप्रैल 2019 को मंगल प्रवेश हुआ।

बीकानेर के ब्रह्मसागर में रोग दुख कष्ट निवारणी प्रेम आनंद सुख कारिणी सप्त दिवसीय भव्य श्री गौ कृपा कथा का आयोजन रखा गया। जिसमें राष्ट्रीय गौ क्रांतिकारी गोपाल परंपरा के आचार्य ग्वाल संत गुरुदेव भगवान जो 31 वर्षों तक गाड़ी वाहन में नहीं बैठेंगे चाहे पैरों में छाले भी क्यों न पड़ जाए ,फिर भी जूते चप्पल खड़ाऊ पैरों में धारण नहीं करेंगे । जिन्होंने अन्न का भी त्याग कर दिया है ।

किसी के भी घर में अथवा दुकान में प्रवेश नहीं करते हैं । गद्दे बिस्तर पर भी नहीं सोते बैठते हैं ।किसी से भी किसी भी प्रकार की कोई दान दक्षिणा भैट राशि अन्न वस्त्र यहां तक कि पानी भी किसी से मांग कर निशुल्क नहीं पीते हैं ।स्वयं के नाम का प्रचार-प्रसार भी नहीं करवाते हैं, स्वयं का मान सम्मान व आतिथ्य स्वीकार नहीं करवातै हैं ।ऐसे कठोर संकल्पों को धारण करनै वालै सदगुरुदेव भगवान चल रही सप्त दिवसीय गो कृपा कथा में गौ माता जी की धार्मिक वैज्ञानिक आर्थिक औषधीय महिमा प्रमाणिकता से बता कर जन-जन के हृदय में गौ के प्रति मातृत्व का भाव जागृत करके गो सेवा से सदा सदा के लिए अपने जीवन में सुख शांति व समृद्धि लाने के सूत्र बताते हैँ।


गवाल संत गुरुदेव भगवान ने बताया कि विवाह वासना के लिए नहीं अपितु उपासना के लिए किया जाता है। स्त्री पुरुषों की सर्वत्र फैली हुई काम शक्ति को विवाह संस्कार द्वारा संस्कृत करके महापुरुषों ने एक स्थान पर सीमित किया है मगर आज अमानवीयकानून और पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाववशहोकर हम इनका उल्लंघन कर के माता-पिता की अनुमति के बिना अपनी स्वेच्छा से हर किसी अयोग्य के संग लव मैरिज कोर्ट मैरिज व लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे हैं जो कि भारतीय परंपराओं के विरुद्ध है व जिसका परिणाम अंत में बहुत ही दुखदाई सामने आता है ।अपने विद्वान महापुरुषों द्वारा बनाई हुई भारतीय संस्कृति परंपराओं के अनुसार ही विवाह करना परम उत्तम व आनंददाई है । विवाह योग्य पुत्र पुत्री हो गए हैं और समय पर उत्तम परिवार से रिश्ता संबंध नहीं होने के लिए आ रहा है तो गौ माता जी की शरण लेने पर 77दिन के भीतर आगे से चलकर रिश्ता तय होने के लिए आएगा।

महाराज जी ने बताया की गो कृपा धेनु अनुष्ठान विधि का पालन करें ।बेटियों के लिए उत्तम वर प्राप्ति के लिए 9 सोमवार तक धेनुव्रत का पालन करें । विधि :प्रात: सूर्योदय से पहले उठकर जल में गोमूत्र डाल कर स्नान करें ।फिर ताम्र पात्र को गौ माता की कंडे की राख से साफ करके शुद्ध पानी भरे व थोड़ा सा कच्चा दूध डालकर भगवान भोलेनाथ पर गौरी माता का ध्यान करते हुए चढ़ावे ।फिर बेटी घर पर आकर गौमाता का स्पर्श करती हुई 9 परिक्रमा करें वह एक माँत्रिक चौपाई बोले -जय जय गिरिबरराज किशोरी ।जय महेश मुख चंद्र चकोरी।। जय गजबदन षडानन माता ।जगत जननी दामिनी दुति गाता ।। इस चौपाई को 9 बार बोले । वृत में खाने-पीने में तीन चीजों का ही उपयोग करें -पहला सुबह खाली पेट गौ मूत्र आतरिक शुद्धि के लिए, दूसरा दोपहर में एक कटोरा गोदही पीवे व तीसरा शाम को एक गिलास गो दुग्ध पीवे ।इन तीन चीजों पर रहकर बेटी नो सोमवार का व्रत करें ।चौथी चीज मे बेटी पानी भी न पीवे ।दसवे सोमवार को गौ माता से प्रार्थना करें । गयारवा सोमवार गौ माता जी नहीं निकलने देगी ।

गयारवे सोमवार के भीतर भीतर अपनी बेटी के लिए आगे से चलकर अच्छे परिवार से रिश्ता तय होने के लिए आएगा ही आएगा ।युवाओं की सगाई के लिए ग्वाल संत गुरुदेव भगवान ने बताया कि प्रसव मुखी गो की परिक्रमा करने से सुंदर सुलक्षणा कन्या पत्नी रूप में उचित समय पर प्राप्त होती है । इस आयोजन के कार्यकर्ता आप और हम की सहमति से समापन 13 अप्रैल 2019 को प्रात: 9:00 से 12:00 बजे कथा के बाद रखा गया है जिसमें भव्य शोभायात्रा के साथ पुन: ब्रहम सागर से गोकुल सर्किल पहुंचेंगे।

cambridge convent school bikaner