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ओमएक्सप्रेस न्यूज। राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर (राजस्थान सरकार) तथा सेन्टर फ ॉर वूमन स्टडीज, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में महाकवि माध महोत्सव 2018 की श्रंखला में आज दो दिवसीय (24-25 जनवरी, 2018) को राष्ट्रीय संगोष्ठी का शानदार शुभारम्भ हुआ। संगोष्ठी का आगाज सरस्वती वन्दना तथा अतिथियों का स्वागत किया गया।
दीप प्रज्जवलन के उपरान्त संगोष्ठी संयाजिका डॉ. मेघना शर्मा, सेन्टर की डायरेक्टर ने अपने स्वागत भाषण में कविता के माध्यम से कहा आम नारी अपने स्वाभिमान को बचाने के लिए लगातार लड़ रही है।

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उद्घाटन समारोह में संगोष्ठी के अतिथियों द्वारा ब्रॉशर का लोकार्पण किया।
मुख्य वक्ता डॉ. सरोज कौशल, जयनारायण विश्वविद्यालय, जोधपुर ने बताया कि संस्कृत के वर्तमान लेखक अपनी रचनाओं में स्त्री की गरिमा को रेखांकित करते हुए युगबोध के आधार पर सर्जन कर रहे हैं। प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी की ‘नवनायिका’ कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि अब वह नारी चिरकाल तक दर्पण के सामने बैठकर श्रंगार नहीं करती अपितु चश्मा लगाकर कैलेण्डर में दूध तथा धोबी का हिसाब लिखती है। डॉ. प्रवीण पाण्ड्या, डॉ. हर्षदेव माधव, प्रो. रामकरण शर्मा आदि अनेक आधुनिक संस्कृत कवियों के उदाहरणों से प्रो. सरोज कौशल ने नारी के नारायणी स्वरूप का विस्तार से विवेचन किया।

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संस्कृत अकादमी की महासमिति सदस्य डॉ. चन्द्रलेखा शर्मा ने नारी सशक्तिकरण को परिभाषित करते हुए बताया वैदिक काल से ही भारतीय नारी सशक्त हैं वे वेद ऋषि थी, तो अपने जीवन के मार्ग स्वयं चुनती थी। साथ ही आज के संदर्भ में उन्होंने पुन: नारी को अपनी प्राचीन सशक्तता को प्राप्त करने का आह्वान कर देवी सूक्त के उदाहरण से स्वयं अपनी क्षमताओं को पहचान अपने लिए खड़े होने की बात की। उन्होंने अकादमी सदस्य डॉ. जया दवे का संदेश मंच से पढकर सुनाया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. रामसिंह चौहान, विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयुपर में मंच से बताया कि महाकवि माघ नारी शक्ति पक्षघर थे वे नारी की स्वतंत्रता की बात करते थे पर नारी स्वच्छन्दता के विरोधी थे।
डॉ. मनोज कुमार शर्मा, कुलसचिव, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर अपने ओजपूर्ण भाषण में कहा कि आज मंच से सुनाई दे रही संस्कृत भाषा कानो में रस घोल रही है। डॉ. शर्मा ने कहा कि नारी को स्वतंत्र उडऩे दो बाज बन कर उस पर झपट्टा मत मारों । उसे जिन्दगी के प्रत्येक क्षेत्र में निर्णय लेने दो। नारी सदैव से शक्तिशाली रही है। हम पुरूष लोग अत्याचार से लडऩे के लिए नारी का सहारा लेते है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. भगीरथ सिंह, कुलपति, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय ने कहा कि वेदो एवं उपनिषदों में नारी को देवी स्वरूपा माना है, नारी सृजन करती है। इसलिए हम उसे नारायणी बुलाते है उन्होंने नारी के अनेको रूपो से अवगत कराया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में लगभग 60 पत्रों का वाचन किया गया तथा खुले मंच के माध्यम से वर्तमान समाज में स्त्री की स्थिति पर विषद चर्चा की गई। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. शुक्लबाला पुरोहित ने की। सह संयोजक डॉ. सीमा शर्मा ने मंच संचालन किया। विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. शशि वर्मा ने व्याख्यान दिया।  कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी समन्वयक डॉ. हेमन्त कृष्ण मिश्र द्वारा दिया गया। मंच संचालन डॉ. बलदेव व्यास ने किया।