19jan2018

तीन साल बाद लोगों को वित्तीय काम के लिए बैंक में जाने की जरूरत ही नहीं होगी और इनका अस्तित्व भी नहीं होगा. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गुरुवार को यह बात कही. तीन साल बाद लोगों को पैसों के लेनदेन के लिए बैंक में जाने की जरूरत ही नहीं होगी और साथ ही बैंकों का अस्तित्व भी नहीं रहेगा. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने यह बात कही है. कांत ने कहा कि अगले तीन साल में बैंक जाने की आपको जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि डेटा विश्लेषण से वित्तीय समावेशन को और गति मिलेगी. कांत ने कहा कि बैंकों की शाखाओं में लोगों का जाना खत्म हो जाएगा. बैंक के बंद होने का कारण बड़े पैमाने पर डेटा का उपयोग तथा डेटा विश्लेषण है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां एक अरब से अधिक लोगों को आधार कार्ड (बायोमेट्रिक) जारी किए गए हैं. अगले तीन साल में भारत में एक अरब से अधिक स्मार्टफोन होंगे.

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नीति आयोग के सीईओ ने यह भी कहा कि देश में मोबाइल डाटा खपत अमेरिका और चीन के संयुक्त डेटा खपत से अधिक है. उन्होंने कहा कि जीएसटी, पेमेंट बैंक, पॉइंट-ऑफ-सेल(पीओएस) मशीन और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजनाओं की गति को सरकार की ओर से बढ़ावा मिलेगा. परिचर्चा में भाग लेते हुए पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि दुनिया में नया बैंकिंग मॉडल भारत से आएगा और पेटीएम भारत मॉडल का शुरुआती उदाहरण होगा.