23nov-om- nalanda

ओम एक्सप्रेस न्यूज बीकानेर। करोड़ों लोंगो की अस्मिता और उनकी भावना से जुड़े महत्वपूर्ण विषय राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता एवं उसे प्रदेश की दूसरी राजभाषा शीघ्र घोषित कि जाए ताकि प्रदेश की जनता को रोटी-ंउचयरोजी एवं बेहतर शिक्षा का नैसर्गिक हक मिल सके। ऐसी ही मूल भावना के साथ आज डॉ. लुईजिपिऔ टैस्सीटोरी की 95 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित तीन दिवसीय ओळू-समारोह के दूसरे दिन प्रात 9:45 पर राजस्थानी भाषा मान्यता के समर्थन में सैकड़ों युवा एवं छात्र-ंछात्राओं को संकल्प दिलाया गया।

प्रज्ञालय एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा आज नालन्दा पब्लिक स्कूल के सृजन सदन में आयोजित इस कार्यक्रम में संकल्प का वाचन वरिष्ठ साहित्यकार-ंउचयचिन्तक लक्ष्मीनारायण रंगा ने किया जिसमें अपनी मातृभाषा राजस्थानी के लिए हर स्तर पर समर्पित भाव से सहयोग एवं समर्थन के लिए संकल्पित किया गया। इस अवसर पर लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि डॉ टैस्सीटोरी को सच्ची श्रंृद्धाजलि हमारी मातृभाषा की संवैधानिक एवं दूसरी राजभाषा का हक मिलने पर ही होगी। संकल्प के साथ ही मातृभाषा राजस्थानी के व्यापक संदर्भ में परिसंवाद के दौरान शोधार्थी मदन मोहन व्यास ने कहा कि केन्द्र सरकार को अब राजस्थानी की मान्यता के मसले पर टामलटोल की नीति बंदकर शीघ्र निर्णय लेना ही उचित होगा।

राजस्थानी मान्यता आन्दोलन के प्रवर्तक कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि प्रदेश की सरकार प्राथमिक स्तर से शिक्षा का माध्यम राजस्थानी को शीघ्र बनाए ताकि आने वाली पी-सजय़ीयां एवं युवा वर्ग अपनी मातृभाषा का नैसर्गिक अधिकार प्राप्त कर सके। युवा शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि राजस्थानी भाषा के वैभव एवं उसकी मांग के समर्थन में उर्दू के साथ सारी भारतीय भाषाओं के लोग है। युवा शिक्षाविद् राजेश रंगा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि
भाषा, शिक्षा एवं संस्कृति हमारी पहचान एवं अस्मिता है, हमें इसके लिए समर्पित भाव से सामूहिक प्रयासरत रहना होगा। कार्यक्रम प्रभारी हरिनारायण आचार्य ने कहा कि मातृभाषा और अपनी संस्कृति ही हमारी पहचान है हमें उसके लिए हमेशा सजग रहना चाहिए। संस्कृतीकर्मी शिव शंकर भादाणी ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता हमारा हक है, हम इसे लेकर रहेंगे। संकल्प के दौरान महावीर स्वामी, सुनील व्यास, विक्रमसिंह, भवानीसिंह, किसन, आदि अनेक राजस्थानी समर्थकों ने अपने विचार रखते हुए राजस्थानी को शीघ्र मान्यता मिले की मंाग पूरजोर शब्दों से उठाई।