ओम एक्सप्रेस न्यूज बीकानेर, । जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी ने सोमवार को बागड़ी मोहल्ला की ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवचन में कहा कि कहा कि धर परिवार में सुख, शांति व समृद्धि तथा संस्कार व धर्म की रक्षा के लिए नियमावली व मर्यादा होनी चाहिए। नियमावली व मर्यादा का पालन परिवार के सभी सदस्यों को करना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि जिन्दगी थोड़ी है, इसका कोई भरोसा नहीं है।

सांसों को कम अधिक करना हमारे हाथ में नहीं है लेकिन बचे हुए समय का सुदपयोग करना हमारे हाथ में है। जिन्दगी के हर पल का सुपयोग करते हुए धर्म, ध्यान, परोपकार व सेवा कार्यों में लगावें। उन्होंने कहा कि मन की हट, होटल, हॉस्पिटल, होम व हॉस्टल जैसी स्थिति रहती है। हट, होटल व हॉस्पिटल की स्थिति बुरी तथा होस्टल व होम की स्थिति अच्छी रहती है। हॉस्टल में रहने पर मर्यादा व अनुशासन में रहना होता है वहीं होम में मन आत्मा में रमण करता है। मन जब आत्मा के घर में जीता, आत्मा में जुड़ता है तब मोक्ष व आत्म कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करता है।

उन्होंने कहा कि चंचल मन की स्थिति हर वक्त बदलती रहती । हिंसा, 18 पापों के बुरे विचार पर मन को नियंतर् करने का प्रयास करना चाहिए तथा बुराइयों व पापों से बचना चाहिए। नकारात्मक विचार व स्वार्थपन की भावना को त्याग कर सकारात्मक सोच व विचार रखने चाहिए। व्यक्ति की सभी अपेक्षाएं व इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती। साधन, सुविधाओं, पद व धन सम्पति के बावजूद व्यक्ति अपूर्ण इच्छाओं के साथ मरता है। व्यक्ति को अधिक इच्छाएं, कामनाएं व अपेक्षाएं नहीं करनी चाहिए। प्रवचन स्थल पर चोहटन के भैरचंद, अशोक मिश्रीमल बोथरा, दीपचंद चोरडिय़ा का अभिनंदन वरिष्ठ श्रावक मोती लाल मुसरफ आदि ने किया।