बीकानेर। आचार्य तुलसी की 22वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार को सुबह ”विसर्जन रैलीÓÓ प्रात: 7 बजे तेरापंथ भवन से निकली जो गंगाशहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए नैतिकता का शक्तिपीठ पहुंची। इस रैली में देशभर से आई हुई युवतियों, किशोर मण्डल, कन्या मण्डल, महिला मण्डल, अणुव्रत समिति, गंगाशहर, के सदस्य शामिल हुए। मुख्य समारोह से पूर्व सुबह 6 बजे अखण्ड जप प्रारम्भ हुआ जो सायं 6 बजे तक निरन्तर चला। नैतिकता का शक्तिपीठ में सैंकड़ों जनों ने अखण्ड जप में भाग लिया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित विराट युवती सम्मेलन की युवतियों ने नैतिकता का शक्तिपीठ पर सुबह 6 बजे सामूहिक सामायिक करके श्रद्धांजलि अर्पित की। नैतिकता का शक्तिपीठ में सुबह 9 बजे अणुव्रत मंच पर मुख्य समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला रहे। समारोह की अध्यक्षता नगर निगम महापौर नारायण चौपड़ा ने की। कार्यक्रम की विधिवत् शुरूआत नवकार मंत्र से हुई।


मुख्य समारोह ”तुलसी मेरी दृष्टि में’ मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि मेरी दृष्टि में आचार्य तुलसी का अवदान अणुव्रत आन्दोलन देशभर में नहीं पूरे विश्व में विख्यात है। पूरे देश में पर्यावरण के क्षेत्र में अणुव्रत का भी अभियान चल रहा है। इस क्षेत्र में बहुत काम हो रहे है और इसे अणुव्रत के माध्यम से निरन्तर चलाते रहेंगे। एक मुक्तक के माध्यम से गुरु महिमा का वर्णन करते हुए केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि बीकानेर में घूंघट प्रथा की समस्या अभी भी है। इस संबंध में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत हुई तो उनको बताया कि आचार्य तुलसी ने घूंघट प्रथा को समाप्त करने के लिए पूरे देश में प्रयास किया है। इसे दूर करने के लिए एक सी.डी. बनाई जा रही है जिसमें आचार्य तुलसी के साहित्यों से आमजन को प्रेरित किया जाएगा। महिला सशक्तिकरण में आचार्यश्री तुलसी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। केन्द्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि पर्यावरण में सुधार करने के लिए डूंगर महाविद्यालय में एक पौधारोपण का कार्यक्रम किया गया और इस कार्यक्रम में मैंने सभी को अणुव्रत के संदेश के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बीकानेर में अणुव्रत के नाम से भवन बनाने का प्रयास करें। पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि माता-पिता और गुरु देव के स्वरूप है। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से नैतिकता और चरित्र निर्माण का पाठ पढ़ाया वह अनुकरणीय है।

मन चंचल है बिना पैरों के चलता है। आचार्यश्री तुलसी ने धर्मों में एकता और समन्वय का कार्य किया जो पूरे देश में अणुव्रत के रूप में विख्यात है। नारी को स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर, शिक्षा का प्रचार करके आचार्य तुलसी ने नारी को पूर्णरूपता प्रदान की। पूर्व मंत्री कल्ला ने कहा कि अहिंसा परमोधर्म, दूसरों को मन से भी कष्ट न पहुंचाने मात्र का संदेश देकर आत्मा को उज्जवल पवित्र बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। समणी मधुरप्रज्ञाजी ने कहा कि आकाश-गगन के समान, सागर-सागर के समान, गुरु-गुरु के समान, तुलसी-तुलसी के समान है। ऐसे व्यक्ति कम मिलते हैं जिन्हें पुरूषार्थ और भाग्य का योग बराबर मिलता है। आचार्यश्री तुलसी में नेतृत्व का असीम गुण था। आचार्य तुलसी ने अनेक अवदान दिये उनमें एक समण श्रेणी का अवदान उल्लेखनीय है। साध्वीश्री डॉ. परमयशाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी इस धरा पर प्रकाश पुंज बनकर आये। आचार्य श्री ने इस धरा को अनेक अवदान दिये जिसमें प्रेक्षाध्यान आज पूरे देश ही नहीं विदेशों ने भी अपनाया है। आचार्यश्री के पास आठ पाटों (आचार्यों) की शक्ति का पुंज था। साध्वीश्री विशदप्रज्ञाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी के सामने अनेक अवरोध आये आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने कहा कि आचार्य तुलसी की कुण्डली में सफलता के साथ विरोध का साया हमेशा साथ रहेगा। आचार्यश्री तुलसी को हमेशा अनेक बातों का सामना करना पड़ा लेकिन वह कभी विचलित नहीं हुए और सभी अवरोधों का सामना किया।

साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य तुलसी के दिल में रिजुता भी बहुत थी। आचार्यश्री तुलसी ने गंगाशहर की धरा का महाप्रयाण के लिए चयन करके गंगाशहर वासियों को गौरवान्वित किया है। आचार्यश्री तुलसी हमेशा छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से जन-जन तक अणुव्रत का संदेश देते थे। समारोह को सम्बोधित करते हुए आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि युग पुरूष, अणुव्रत, अनुशासन आचार्य तुलसी दलितों के मसीहा थे, उन्होंने जीवन भर नशामुक्ति के लिए जीवन अर्पण करते हुए कश्मीर से कन्याकुमारी तक उन्होंने 1 लाख किलोमीटर की पैदल यात्रा की। उन्होंने कहा कि अणुव्रत आन्दोलन मानवता को धर्म की मूल बातें समझाने का प्रयास करता है। अध्यक्ष छाजेड़ ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत भी किया। जैन पाठशाला सभा से विजय कोचर ने कहा कि आचार्य तुलसी युग दृष्टा थे। 11 वर्ष की अवस्था में दीक्षा लेनी और 22 वर्ष की अवस्था में इतने बड़े धर्म संघ के आचार्य बने। पूरे देश के शीर्ष नेतृत्व ने आचार्यश्री के चरणों में बैठकर देश में नैतिकता के प्रयास करने का संकल्प लिया। आचार्यश्री ने 1970 में जैन विश्व भारती की स्थापना की जो आज शिक्षा के क्षेत्र में विश्व विख्यात है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्षा कुमुद कच्छारा ने कहा कि भगवान महावीर के पश्चात् नारी का उत्थान कोई करने वाले थे तो वे थे आचार्यश्री तुलसी। आचार्यश्री की 22वीं पुण्यतिथि के अवसर पर महिलाओं का यहां समागम होना महिलाओं के उत्थान के प्रति आचार्यश्री के किये गये कार्यों के प्रति श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि नारी जाति के उपकारों का हम उल्लेख करने के लिए सब कुछ इस्तेमाल कर ले तो भी कम होगा। इसी क्रम में बीएमटी यूनिट भवन में एक कमरा व कन्या सर्कल बनाने की घोषणा अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा ने की। दिल्ली से समागत श्रीमती प्रभा मालू ने कहा कि आज परिवार को बचाने की जरूरत है।

छोटी बच्चियों को आज संस्कारों से बाधने का कार्यक्रम तय करने का होगा। आज बच्चियां परिवारों से भाग कर शादी कर रही है इस गम्भीर विषय पर चिन्तन करना होगा। डॉ. मुमुक्षु शान्ता जैन, श्रीमती शायर देवी बैंगाणी ने भी विचार रखें। समारोह में कन्या मण्डल बीकानेर की प्रज्ञा नौलखा, ऐश्वर्या बोथरा के नेतृत्व में “आचार्य श्री तुलसी पर आधारित” सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई जिसमें बाल कलाकारों ने आचार्यश्री तुलसी के अणुव्रत का संदेश दिया। सांस्कृतिक प्रस्तुति में किशोर मण्डल, कन्या मण्डल, ज्ञानशाला की सक्रिय भूमिका रही। कार्यक्रम के अन्त में आभार शान्ति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी सुशील चौपड़ा ने जताया। मंगलपाठ शासनश्री मुनिश्री मुनिव्रतजी ने सुनाया। कार्यक्रम का सफल संचालन सुरज बरडिय़ा व जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।


समारोह में महामंत्री मोहन सुराणा, अमरचन्द सोनी, इन्द्रचन्द सेठिया, डॉ. पी.सी. तातेड़, बसन्त नौलखा, गणेश बोथरा, यमुनानगर से विमल चौपड़ा, नानकराम तनेजा धुलिया, सुरजमल सूर्या धुलिया, पदम खटेड़ बैंगलूरू, तेयूप अध्यक्ष आसकरण बोथरा सहित सभी संस्थाओं के पदाधिकारीगण व सदस्यगण ने शक्तिपीठ पहुंचकर भावांजलि दी।