काठमांडू के सुंदर रास्तों पर घूमते हुए अब यह महसूस हो रहा है कि दोनों देशों में सांस्कृतिक एकजुटता के रास्ते खुलने लगे हैं। भारत-नेपाल के बीच साहित्यिक, पत्रकारिक और सांस्कृतिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने की दृष्टि से काठमांडू में आज प्रेस कौंसिल के सभा कक्ष में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। सूचना एवं प्रसारण विभाग के महानिदेशक बालकृष्ण घिमेरे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में नेपाल प्रगतिशील लेखक संघ के प्रतिनिधि के रूप में चेतनाथ धमला, नेपाल पत्रकार महासंघ के प्रतिनिधि गोविंद चोलागाइन, प्रेस कौंसिल के सचिव महेंद्र श्रेष्ठ और मंत्रालय की प्रतिनिधि के रूप में एक महिला अधिकारी सहित कई अफसर मौजूद थे।


बातचीत में यह सहमति बनी कि दोनों देशों के दूतावासों की मदद से दिल्ली में एक प्रकोष्ठ कायम किया जाए जो पत्रकारिक और साहित्यिक संबंधों के लिए सक्रियता से काम करे। नेपाली से हिंदी और हिंदी से नेपाली में साहित्यिक कृतियों के अनुवाद का काम भी यही कार्यालय देखे। इसके लिए दोनों देशों के प्रगतिशील लेखक संघों की एक समिति बने जो अनुवाद के लिए उपयुक्त पुस्तकों का चुनाव करे।

महानिदेशक घिमिरे ने कहा, यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। मैंने कहा, इसलिए नहीं हुआ कि किसी ने पहल नहीं की। उनका जवाब था- कहते हैं, जब जागे तब सवेरा। अच्छी शुरुआत हो तो समझिए पचास फीसदी काम हो गया। मैं यह भरोसा दिला सकता हूं कि इस काम में नेपाल कहीं बाधा नहीं बनेगा।”


बैठक में सभी अधिकारियों का कहना था कि हमारे सांस्कृतिक रिश्ते प्रगाढ़ होने चाहिए। बैठक में प्रतिनिधि मंडल के रूप में काठमांडू निवासी भारत-नेपाल मैत्री पत्रकार महासंघ के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार मोहन सिंह, इसी संगठन के सचिव और बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव सुधांशु सतीश, राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हरीश गुप्ता, पत्रिका संपादक पूनम गुप्ता और राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव के रूप में आपका दोस्त ईशमधु तलवार मौजूद थे।