Jain Sanvatsar Bikaner
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सकारात्मक सोच का संदेश देता है संवत्सरी महापर्व : मुनिश्री मनोज्ञ सागर

बीकानेर । जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र गच्छ, अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ, अखिल भारतीय शांत क्रांति साधुमार्गी जैन संघ का 8 दिवसीय पर्युषण पर्व शुक्रवार को आत्मशुद्धि संवत्सरी महापर्व, सामूहिक प्रतिक्रमण व क्षमापना के बाद संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने विभिन्न तरह की तपस्याएं की। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अवकाश रखा तथा जाने-अन्जाने में हुई गलती पर एक दूसरे से क्षमायाचना की।
आसानियों के चौक के पार्श्वचन्द्र गच्छ उपासरे में गच्छ के मुनि व साध्वी के बीकानेर में नहीं होने से वर्षों बाद जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के मुनि नयज्ञ सागर ने 7 दिनों तक तथा वरिष्ठ मुनि मनोज्ञ सागर म.सा. ने संवत्सरी के मुख्य दिन कल्पसूत्र के मूल पाठ का वांचन कर जैन एकता व सद्भाव की परम्परा को पुष्ट किया। उन्होंने कल्पसूत्र के प्राकृत भाषा के 1250 श्लोकों करीब तीन घंटें में वांचन किया। कल्पसूत्र के वांचन के बाद चैत्य परिपाटी के तहत श्रावक-श्राविकाओं ने देव,गुरु व धर्म के नारे लगाते हुए देव मंदिरों में दर्शन किए। उपासरे के पास के भगवान महावीर व पार्श्वनाथ के मंदिर में प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया गया।
मुनिश्री मनोज्ञ सागर ने प्रवचन में कहा कि संवत्सरी महापर्व अंतर जगत में छुपे हुए नकारात्मक सोच व व्यवहार, दृष्टि व परिवेश से मुक्त होकर सकारात्मक सोच व दृष्टि रखने का संदेश देता है। अंतर जगत के शुद्ध होने पर सर्वत्र अपने आप शुद्ध हो जाता है। जैन धर्म का प्रतिक्रमण आध्यात्मिक विधान है। इसमें साधक के द्वारा जाने-अन्जाने में किए बुरे कर्म, सोच व दृष्टि व अहितकारी व्यवहार कार्य का प्रायश्चित करना और भविष्य में इनकी पुनरावृति नहीं का ठोस निर्णय करना है।
मिच्छामी दुक्कडम् दिल से करें-शांत क्रांति साधुमार्गी जैन संघ के मुनि पारस मुनि व अभिनंदन मुनि के सान्निध्य में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने मरोठी सेठिया मोहल्ले के नवंकार भवन व दसाणियों के मोहल्ले के सुन्दर सदन सामूहिक प्रतिक्रमण किया। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने तपस्याएं की। नवंकार महामंत्र का सामूहिक जाप किया गया।
पारस मुनि ने प्रवचन में कहा कि संवत्सर यानि वर्षभर में मन, वचन व काया, क्रोध, मान, माया,लोभ,राग,द्वेष,हास्य व भय से हुए पापों की अलोचना करते हुए आइन्दा पाप मुक्त बनने का संकल्प लेना है। आत्मा को अपने विभाओं (सांसारिकता) से हटाकर मूल स्वभाव व स्वरूप में लाना है। अपने आप को भूलकर पर में उलझना विभाव है। अपने स्वभाव स्वरूप में आना प्रतिक्रमण है। संवत्सरी पर्व पर पापों व बुरे कार्यों की आलोचना करते हुए उसका प्रायश्चित करें तथा श्रेष्ठ श्रावक-श्राविका बनते हुए अपने आत्म स्वरूप को पहचाने। उन्होंने कहा कि ’’खमेमि सव्वे जीवा, सव्वे जीवा खमन्तु में’’, यानि सभी जीवों से क्षमा याचना ’’ मिच्छामी दुक्कडम् दिल से करें। अतिक्रम,व्यतिक्रम,अतिचार, अनाचार, जानते, अनजानते जो भी कोई पाप-दोष लगे हो तो अरिहंत, अनंत सिद्ध भगवन्तों, देव, गुरु व धर्म की साक्षी में हृदय से माफी मांगने से मन हल्का होता है तथा आत्म का शुद्ध रूप प्रकट होता है।
शोभायात्रा कल-रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में शनिवार को सुबह नौ बजे मुनिश्री मनोज्ञ सागर म.सा.पुनः नियमित प्रवचन शुरू करेंगे। उनके सान्निध्य में 50 दिनों से चल रहे पंच परमेष्टी तप का समापन पर रविवार को शोभायात्रा गाजे बाजे से निकलेगी। शोभायात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए गंगाशहर रोड की रेल दादाबाड़ी पहुंचेगी जहां तपस्वियों का अभिनंदन होगा।

“मासखमण तप” की ओर अग्रसर श्राविका निर्मला बैद

इस भोग विलास के युग में व्यक्ति जहाँ एक ही दिन में ना जाने कितने प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन कर लेता है वहां अगर कोई एक महीने तक बिना कुछ खाये निराहार रहने की बात करे तो किसी अचम्भे से कम नहीं मानी जानी चाहिए” लेकिन यह सत्य है. जिसका मनोबल दृढ होता है, जिसका अपनी जीभ पर नियंत्रण है और जो संयम करना जानता है उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. इस बात को सौ प्रतिशत सत्य रूप में चरितार्थ किया है सुश्राविका श्रीमति निर्मलादेवी बैद. जिन्होंने मात्र 45 वर्ष की आयु में मासखमण जैसे वृहद और विराट तपस्या की आराधना करने का स्वपन संजोया और आज शुक्रवार को उनके 27 दिन का उपवास चल रहा है, कुल 31 दिन यानि उत्कृष्ट मासखमण तप करने का उनका भाव है.

तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री सक्रीय कार्यकर्ता किशनजी बैद की धर्मपत्नी एवं तपोनिष्ठ श्रावक स्व. भंवरलाल जी चौपड़ा की सुपुत्री सुश्राविका श्रीमति निर्मला बैद ने इस दुष्कर मासखमण तप की ओर अग्रसर है.

तेरापंथी सभा गंगाशहर के सहमंत्री धर्मेन्द्र डाकलिया के अनुसार आगामी 22 सितम्बर 2015 मंगलवार को प्रातः तेरापंथ भवन गंगाशहर में मुनिश्री राजकरणजी, मुनिश्री पानमलजी, मुनिश्री मुनिव्रतजी एवं मुनिश्री शांतिकुमारजी के सान्निध्य में धर्मसंघ की सभी सभा संस्थाओं द्वारा तप अभिनन्दन का कार्यक्रम रखा गया है