बीकानेर। ज्योतिष शिक्षण जन कल्याण समिति रतलाम मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित अखिल भारतीय पंचांग ज्योतिष वास्तु महाकुंभ में बीकानेर कह्य युवा ज्योतिषाचार्य मानव पुरोहित का भव्य स्वागतअभिनंदन व ज्योतिष शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया मानव पुरोहित को सम्मान स्वरूप एक स्मृति चिन्ह सर्टिफिकेट व पुष्पगुच्छ भेंट किए गए ।

मानव पुरोहित को सम्मानित करने वालों में प्रमुख रूप से ज्योतिष शिक्षण जन कल्याण समिति केअध्यक्ष भादवामाता पंचांगकर्ता भागीरथ जोशी, पं.कृपाराम उपाध्याय (भोपाल), कालचक्र पंचांगकर्ता पं. रमेश पंड्या (धार), मंडलेश्वर व्यासाचार्य (उज्जैन), पं. जितेन्द्र नागर महंत बजरंग पुरी जी महाराज धर्मेंद्र मनीष कुमार उपस्थित रहे।

मानव पुरोहित को यह सम्मान पंचांग में स्थित मुहूर्त की व्याख्या करने पर दिया गया। मुहूर्त दुनिया बताती तो है पंडित से हम मुहूर्त तो पूछते हैं किंतु मुहूर्त के रिजल्ट नहीं बता पाता है श यह बताने की कोशिश की कि ज्योतिष में गणित के साथ साथ फलादेश का भी बहुत बड़ा महत्व है। ज्योतिष विज्ञान के साथ साथ एक कला है मानव पुरोहित ने यह भी बताया कि संपूर्ण मुहूर्त जो है वह सर्वाधिक श्रेष्ठ होते हैं हर मुहूर्त का अपना एक परिणाम होता है हर मुहूर्त का एक फल होता है लेकिन आमतौर पर पंडित इससे वंचित रहते हैं लोगों को बताते द्दद्ध नहीं है यही कारण है कि ज्योतिष एक सर्वश्रेष्ठ विद्या होते हुए भी उसको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।


कार्यक्रम में बीकानेर के ही द फोरकास्ट हाउस के निदेशक व उत्तराखंड के पूर्व मंत्री डॉ नंद किशोर पुरोहित भी उपस्थित थे उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने अभिभाषण में कहा कि पंचांग गणना में हजारों साल पूर्व की गणित विज्ञान की गई है सूर्य पक्षीय और ब्रह्म पक्षीय दो प्रकार के होते हैं जिनकी गणना में थोड़ा बहुत अंतर आने से कभी तिथि आगे पीछे हो सकती है उन्होंने बताया कि वाराणसी जबलपुर उज्जैन दक्षिण भारत में रेखांश अक्षांश अलग-अलग होते हैं ऐसे में कोशिश की जाएगी की पंचांग निर्माता आगे से पंचांग में स्पष्ट लिखें कि कौन सा समय कौन से स्थान पर लागू होगा उन्होंने कहा कि शास्त्रों में विधि के साथ लोकाचार को बहुत महत्व दिया गया है और समय के साथ आधुनिकता को शामिल करना भी बहुत जरूरी है

इस विषय पर भी मंथन होगा कहा कि कहा विक्रम संवत लागू करें सरकार सरकार अभी तक संवत के अनुसार शक संवत के अनुसार तिथियों पर आने वाले पर्व की छुट्टी घोषित करती है जबकि आम जीवन में विक्रम संवत को मानते हैं ऐसी ऐसे में तो क्यों में होने वाले विरोधाभास को दूर करने के लिए हम सरकार से विक्रम संवत को शासकीय अवकाश के निर्धारण में अपनाने का अनुरोध सभी राज्य व केंद्र सरकार से करेंगे इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आने वाले समय की गणना पूर्व एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी की विधियों द्वारा की जाए तो भविष्य की घटनाओं को स्पष्ट तिथि और समय के साथ बताए जा सके उन्होंने कहा कि कर्म करना तो निश्चित है लेकिन उसे कैसे किया जाए या बदल यह बदलकर फल बदला जा सकता है।

कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों के अलावा देश विदेश के कई ज्योतिषाचार्य वास्तु शास्त्र और पंचांग करता उपस्थित थे। रतलाम के गणमान्य व्यक्तियों ने मास्टर मानव पुरोहित की भूरी भूरी प्रशंसा की। कार्यक्रम रतलाम के नारायणी पैलेस में आयोजित किया गया।