जयपुर देवकिशन राजपुरोहित। राजस्थान के विधानसभा आम चुनाव का बिगुल बज गया है। इस बार राजस्थान विधान सभा चुनाव बहुत दिलचस्प होंगे।ऐसे संकेत मिल रहे हैं। इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी जहां मोदी और अमित शाह के कंधे पर बंदूक रख कर महारानी वसुंन्धरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी वहीं उसकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस बहुत जोर शोर से मैदान में उतरेगी। तीसरी पार्टी के रूप में घनश्याम तिवाड़ी ताल ठोक चुके हैं जिनकी नई पार्टी भारत वाहिनी पार्टी भी मैदान में है। विगत15 साल से जमीनी जंग लड़ रहे अशोक चौधरी की अभिनव राजस्थान भी इस बार मैदान में होगी तो तीसरा मोर्चा बना रहे कद्दावर जाट नेता हनुमान बैनीवाल भी मैदान में है।


सूत्रों की माने तो इस बार बीजेपी अपने कम से कम एक सौ लोगों के टिकट काटेगी ओर चुन चुन कर जिताऊ उम्मीदवारों को ही मैदान में उतरेगी।लग भग इसी तर्ज पर ही कांग्रेस भी चलेगी।अब तीसरी पार्टी तिवाड़ी की इस बात पर निगाह गड़ाए रहेगी कि दोनों पार्टियों में टिकट से वंचित बगावत पर कौन कौन ओर कहाँ से है।जो भी बागी होगा उसका जनाधार तो है ही फिर वह सम्पन भी होगा।ऐसे में पार्टी को आसानी से टक्कर देने वाले प्रत्यासी मिल जाएंगे और चुनाव समर में ताल ठोकेंगे।इसी तरह बैनिवाल ओर अशोक चौधरी भी चलेंगे।
टिकट देते समय अजा, अजजा, मुस्लिम, राजपूत, जाट, ब्राह्मण, विश्नोई, महाजनों, राजपुरोहितों, कुम्हारों, मालियों आदि को भी उचित प्रतिनिधित्व दलों को देना होगा अन्यथा वोटों का गणित गड़बड़ा जाएगा। जहां भी जातिगत समीकरण किसी भी पार्टी के बिगड़ेंगे वहीं बगावत सुरु।यह एक ऐसा चुनाव होगा जिसमें लोग अपने ही दल को दिन के तारे दिखाते नजर आएंगे।
चुनाव का परिणाम तो अभी बता पाना नितांत असम्भव है किंतु यह सही है कि बीजेपी ओर कांग्रेस दोनों ही अपने बलबूते पर सरकार नहीं बना पाएंगे। फिर उनका सहारा बनेंगे घनश्याम तिवाड़ी, हनुमान बैनीवाल।


सता किससे कितनी दूर रहेगी यह तो अलग बात है माँगर ये दोनों ही दिग्गज किसी भी स्थिति में बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएंगे।लगता तो यह है कि बीजेपी सता से दूर होती जा रही है।