यज्ञ की भावना से एमजेएसए में सहयोग करें विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि : संवित सोमगिरि

बीकानेर । मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान, जल स्वावलम्बन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। विभिन्न औद्योगिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि यज्ञ की भावना, आदर एवं कृतज्ञता के साथ इस अभियान में सहयोग करें, जिससे इसके सकारात्मक परिणाम मिल सके।
यह उद्गार लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता संवित् सोमगिरि महाराज ने बुधवार को पंचायत समिति सभागार में मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान के द्वितीय चरण के लिए धार्मिक, औद्योगिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में जल को देवतुल्य माना गया है। यह प्रकृति का अभिन्न अंग है। जल को संरक्षित एवं संग्रहित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्राी के नेतृत्व में चल रहा मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान, जल संरक्षण की दिशा में किसी यज्ञ से कम नहीं है। इस यज्ञ में सभी को निष्काम भाव से आहूति देनी चाहिए।
संवित् सोमगिरि ने कहा कि पर्यावरण के प्रति आदरपूर्वक एवं निःस्वार्थ भाव से कुछ भी करें तो सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि अभियान के प्रथम चरण में जल संरक्षण के अनेक कार्य हुए। अनेक जीव-जंतुओं ने इनके पानी का उपयोग किया। दूसरे चरण में भी सरकार और प्रशासन की अपेक्षा से अधिक सहयोग करते हुए इसे और अधिक सार्थक बनाने के प्रयास करें।
श्री ब्रह्म गायत्राी विद्यापीठ के अधिष्ठाता रामेश्वरानंद पुरोहित ने कहा कि मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान एक अनुष्ठान है। जल की उपयोगिता प्यास बुझाने तथा दैनिक उपभोग के अन्य कार्यों तक ही सीमित नहीं है। सनातन दर्शन में जल की अद्भुत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी के अनेक उपक्रमों में मितव्ययता के साथ जल का उपभोग करना चाहिए। जल संरक्षण के इस अनुष्ठान में भामाशाह एवं दानदाता आगे बढ़कर सहयोग करें, यह अक्षय दान है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होगा।
खाजूवाला के मौलाना मोहम्मद तुफैल अशरफी ने कहा कि मोहम्मद साहब ने पानी का अपव्यय नहीं करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक धर्म और सम्प्रदाय में पानी को अनमोल नैमत बताया है। बूंद-बूंद पानी का संरक्षण करना, हमारा कर्तव्य है। हमें इस दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अभियान में जनसहयोग की कमी नहीं होनी चाहिए। स्वामी सुबोध गिरि ने कहा कि जब हम किसी चीज का अपव्यय करते हैं, तो किसी दूसरे के हिस्से का उपभोग करते हैं। हमें इस प्रवृति का त्याग करना चाहिए। उन्होंने पानी का मितव्ययता से उपयोग करने का आह््वान किया तथा कहा कि यह मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान, हमारे अस्तित्व को बचाए रखने का अभियान है। इसमें सहयोग करना, हमारा दायित्व है।
जिला कलक्टर वेदप्रकाश ने कहा कि बीकानेर, अनेक प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों वाला जिला है। यहां के लोग जल की कीमत जानते हैं तथा जल संरक्षण के लिए सदियों से सचेत हैं। यहां जल संरक्षण की अनेक विधियां अपनाई जाती रही हैं। मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान भी इसी तर्ज पर चलने वाला अभियान है। इसके पहले चरण में अनेक वर्गों के लोगों का सहयोग मिला। दूसरे चरण के लिए श्रम, संसाधन एवं नकद के रूप में सहयोग अपेक्षित है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. एल. मेहरड़ा ने अभियान के प्रारूप की जानकारी दी। इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला की शुरूआत की।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेन्द्र सिंह पुरोहित, अधीक्षण अभियंता (जलग्रहण) सुखलाल मीना, घेवरचंद मुसरफ, गोपी गहलोत, सरोज मरोठी सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मौजूद थे।