राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन द्वारा शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस : चौधरी
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन द्वारा शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस : चौधरी
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन द्वारा शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस : चौधरी

बीकानेर। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन शहरों के गरीब एवं समाज के कमजोर वर्गों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायेगा। इसके लिए चिकित्सा विभाग,महिला एवं बाल विभाग,जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और स्थानीय निकाय विभाग आपसी समन्वय से स्वास्थ्य सेवाओं की क्रियान्विति में भागीदार बनेंगे।

जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा मंगलवार को राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत आयोजित शहरी स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला में यह जानकारी दी गई। कार्यशाला में महापौर नारायण चौपड़ा,उपमहापौर अशोक आचार्य,अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) राजेश कुमार चौहान,जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ.सी.एस. थानवी के अलावा नगर निगम के पार्षद एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने शिरकत की।
इस अवसर पर महापौर नारायण चौपड़ा ने गरीब एवं कच्ची बस्ती के विकास एवं स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा करने के लिए निगम के सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि गरीब और वंचित शहरी लोगों की स्वास्थ्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर शुरू किए गए इस मिशन से निश्चित रूप से गरीबों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और वंचितो के लिये योजना बनाकर उन्हें लाभान्वित किया जाता है परन्तु शहरी क्षेत्रा के गरीब और वंचितों की और ध्यान नही दिया जाता है। परन्तु राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन से शहरी क्षेत्रा की कच्ची बस्तिओं और गरीब लोगों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाए उपलब्ध करवाई जायेंगी और उन्हे स्वास्थ्य शिक्षा देकर उनकी आदतों में बदलाव लाकर उनका जीवन स्तर सुधारा जायेगा, इसके लिये सभी चिकित्सा विभाग के अधिकारी जिम्मेदारी से कार्य करेंगे।
उपमपौर अशोक आचार्य ने कहा कि प्रत्येक वार्ड में कच्ची बस्ती है। इन बस्तियों की समस्याओं का समाधान सामूहिक प्रयासों से होगा। उन्होंने कहा कि विशेष सफाई अभियान के दौरान इन बस्तियों को भी शामिल किया जाए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.देवेन्द्र चौधरी ने कहा कि बदलती जीवन शैली के कारण आमजन के स्वास्थ्य में बदलाव आया है। शहरी गरीब तबके में बुनियादी सेवाओं की कमी,अस्वस्थ एवं अस्वच्छ वातावरण के कारण बीमारियों से ग्रस्ति होने की संभावनाओं के कारण राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन द्वारा शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस किया है। मिशन ने गरीब और कमजोर वर्ग के लिए अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता महसूस की है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रोें में इन वर्गों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्रा में आमूलचूल बदलाव आया है। इसके आने के बाद मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी आई है। उन्होंने इस मिशन के उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए राष्ट्रीय शहरी मिशन की शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के जरिये एक नवीन स्वास्थ्य प्रणाली सुलभ होगी और सामुदायिक सशक्तिकरण के साथ शहरी स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी तय की जायेगी।
डॉ.चौधरी ने कहा कि योजना के तहत वर्तमान शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों का पुनर्निर्माण व सुदृढ़ीकरण,नवीन सुविधाओं का सृजन किया जायेगा तथा चिकित्सालयों में चिकित्सक,एन.एन.एम. व आशा की नियुक्ति करते हुए उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वार्ड में महिला आरोग्य समिति का गठन,अन्य समुदाय आधारित संगठनों जैसे स्वयं सहायता समूहों द्वारा समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। उन्होंने बताया कि शहरी गरीब व सबसे संवेदनशील जनसंख्या जैसे बेघर लोग,कचरा बीनने वाले,सड़क पर रहने वाले बच्चे,रिक्शा चालक एवं अन्य अस्थाई प्रवासी लोगों को स्वास्थ्य सेवा देना प्राथमिकता में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि सामुदायिक प्रक्रिया के तहत 1 हजार से 2 हजार 500 की आबादी वाली बस्ती या 300 परिवारों पर एक शहरी आशा का चयन किया जायेगा। एक महिला आरोग्य समिति का गठन 100 परिवार पर किया जायेगा। साथ ही इस समिति का बैंक खाता खुलवाया जायेगा।
कार्यशाला में डॉ.नवल गुप्ता ने आशा के चयन, उसके मानदेय,कार्यक्षेत्रा और समुदाय के बीच उसकी भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आशा द्वारा गृह भ्रमण,पोषण,स्वास्थ्य केन्द्रों का भ्रमण,क्षेत्रा स्तरीय बैठकों के आयोजन,मातृत्व स्वास्थ्य,नवजात के घर पर स्वास्थ्य सेवाएं देने,संक्रमित एवं असंक्रमित रोगों और सामाजिक लामबन्दी से संबंधित कार्यों के बारे में जानकारी दी। जिला प्रजनन एवं बाल विकास अधिकारी डॉ.रमेश गुप्ता ने शहरी स्वास्थ्य पोषण व स्वच्छता दिवस पर मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस दिवस का उद्देश्य कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों को उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने जल,स्वच्छता एवं सफाई के संबंध में जानकारी भी दी। उन्होंने आंकड़ों के जरिये बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष 35 लाख लोगों की मृत्यु शुद्धजल नहीं मिलने पर तथा 30 लाख लोग धूम्रपान से ग्रस्ति रोग से मरते है ।

खेल मनुष्य के सर्वागीण विकास में सहायक-चौहान

बीकानेर । अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) राजेश कुमार चौहान ने कहा कि खेल मनुष्य के सर्वांगीण विकास में सहायक हैं। मानसिक एवं शारीरिक विकास के साथ-साथ भाईचारे एवं नेतृत्व भावना के विकास में भी खेलों का महत्व रहा है।
चौहान मंगलवार को डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में राजस्थान दिवस समारोह के तहत आयोजित परम्परागत खेलकूद प्रतियोगिता के उद्घाटन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक खेल प्रतिभाएं हैं, जिन्हें अवसर देकर तराशना होगा। परम्परागत खेलों का अपना अलग महत्व है और ये अनुशासन, आत्मविश्वास, सहयोग, संयम जैसे गुणों का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि बीकानेर में अनेक खेल प्रतिभाएं हुई हैं, जिन्होंने देश-विदेश में राज्य का नाम रोशन किया है।
चौहान ने खिलाड़ियों का आह्वान किया कि वे खेलों को खेल भावना के साथ खेलों तथा इस क्षेत्रा में नये नये कीर्तिमान स्थापित करें। उन्होंने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार ने खेलों के विकास के लिए अनेक योजनाओं का संचालन किया है। उन्होंने कहा कि अच्छे खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरियों में अलग से कोटा निर्धारित रहता है साथ ही देश विदेश की बड़ी खेल प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाड़ियों को काफी अच्छी प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा दी जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण युवा अपनी रूचि के अनुसार परम्परागत खेलों का चयन कर उस खेल में अपनी अलग पहचान स्थापित करें।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सहायक निदेशक जनसम्पर्क विकास हर्ष ने कहा कि परम्परागत खेलों के माध्यम से ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि परम्परागत खेलों को बढ़ावा दिया जाए, जिससे वे लुप्त न हो जाएं। जिला खेल अधिकारी ललित छंगाणी ने बताया कि राज्य क्रीड़ा परिषद के निर्देशानुसार जिला प्रशासन एवं जिला खेलकूद प्रशिक्षण द्वारा सात परम्परागत खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 31 मार्च 2015 तक पुरूष वर्ग की आयु 18 से 25 वर्ष तथा महिला वर्ग की आयु 15 से 25 वर्ष तक होनी चाहिए। रस्साकसी व कुश्ती में आयु सीमा नहीं रखी गई है।
ये होंगे खेल- 10 मार्च को पुरूष व महिला वर्ग की सतोलिया प्रतियोगिता, 11 मार्च को पुरूष वर्ग कुश्ती प्रतियोगिता, 12 मार्च को पुरूष व महिला वर्ग की खो खो प्रतियोगिता, 13 मार्च को पुरूष व महिला वर्ग की कबड्डी प्रतियोगिता, 14 मार्च को पुरूष व महिला वर्ग की तीरंदाजी प्रतियोगिता, 16 मार्च को महिला वर्ग की रूमाल झपट्टा प्रतियोगिता व 17 मार्च को पुरूष वर्ग की रस्साकसी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
इस अवसर पर सेवा निवृत्त जिला खेल अधिकारी जसवीर सिंह व मुख्तयार अली ने भी विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि चौहान ने सतोलिया खेल की दोनों टीमों के खिलाड़ियों का परिचय प्राप्त किया।