बीकानेर। ब्रह्म बगीचा प्रन्यास बीकानेर के तत्वावधान में मुक्तिनाथ महादेव मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के तीन दिवसीय कार्यक्रम विद्वान पंडित जुगलकिशोर ओझा “पुजारी बाबा “के आचार्यत्व में प्रारंभ हुए। प्रन्यास के अध्यक्ष तोलाराम पेडिवाल ने बताया कि प्रात: प्रायश्चित कर्म, जल यात्रा, मण्डप प्रवेश, गणेश पूजन, आचार्य आदि वर्ण, पून्यावाचन, कर्मकुटी, मूर्तियों का ध्यानादिवास, वेदी स्थापन, मंत्रो द्वारा अग्निस्थापन, प्रायश्चित आहुति एवं मूर्तियों का जलाधिवास की क्रियाओं द्वारा प्राण प्रतिष्ठा का कार्य प्रारंभ किया गया ।


प्रन्यास के उपाध्यक्ष अरविंद मिढ्ढा एवं राजेश चूरा ने बताया कि पूर्ण आरती में शिवबाड़ी के अधिष्ठाता संवित सोमगिरि महाराजा, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भागीरथ सिंह बिजारनियाँ, पूर्व सभापति चतुर्भुज व्यास, बार कोसिंल के सदस्य एडवोकेट कुलदीप शर्मा, भाजपा के महामंत्री मोहन सुराणा, पार्षद शिवकुमार रंगा मुख्य अतिथि के रूप में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित हुए।

समारोह में आरती उपरांत सोमगिरि जी महाराज ने कहा कि ईश्वर की आराधना से पूर्व ईश्वर को समझने की जरूरत है उन्होंने कहा कि मनुष्य को भी जानना चाहिए। सोमगिरि जी ने कहा भगवान शिव से प्रेरणा लेकर पक्ति के अन्तिम व्यक्ति के आँसू पोंछ कर उसके चेहरे पर मुस्कान के लिए सेवा, समर्पण और संकल्प के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट हीरालाल हर्ष एवं राजेन्द्र जोशी ने बताया कि बुधवार को सुबह 09 :15 बजे से आह्वादित कार्यक्रम प्रारंभ होंगे मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी , बीकानेर पश्चिम के विधायक डॉ गोपाल जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य नगर विकास न्यास के चेयरमैन महावीर रांका एवं पूर्व संरपच रामकिशन आचार्य होंगे।


कुलपति प्रोफेसर भागीरथ सिंह बिजारनियाँ ने कहा कि भगवान शिव के समग्र परिवार में देव – दानव सभी सम्मिलित थे इसका आशय है कि उनकी दष्टि में सात्विक एवं परा शक्तियों में कोई भेद नहीं था। भगवान शिव के विवाह के अवसर पर यह सभी सम्मिलित थे।
चतुर्भुज व्यास एवं कुलदीप शर्मा ने कहा कि वर्तमान संदर्भ में भगवान शिव अध्यात्मिक आस्था के साथ सामाजिक समरसता, सदभाव और एकता के प्रेरणा पूंज है।
राजस्थान समाचार पत्र कान्फ्रेंस के महामंत्री आर.के.जैन , मोहन सुराणा एवं शिवकुमार रंगा ने कहा कि भगवान शिव का तत्व लोक कल्याण है। दूसरों के दु:ख, तकलीफ और कष्टों को दूर करने और कल्याण की भावना रखने वाला व्यक्ति ही सच्चा शिव भक्त होता है। पुजारी बाबा एवं माणक चंद हर्ष ने कहा कि समुन्दर मंथन के समय निकले विष का देवताओं के हित में पान करने की वजह से ही भगवान शिव नीलकंठ कह लाएं।


कार्यक्रम में साहित्यकार- पत्रकार मधु आचार्य, किसन आजाद, बुलाकी शर्मा, नगेन्द्र किराड़ू, हरीश बी शर्मा, अशोक कुमार सोलंकी, नटवरलाल खत्री, सुखदेव राठी,जनमजेय व्यास, सुभाष जोशी, मंगलचंद रंगा , विजय जोशी,मुरली मनोहर पुरोहित,। बिन्दु प्रसाद रंगा, शक्ति रतन रंगा , रामेश्वर मेघवाल, मोहन लाल आचार्य, मदनमोहन व्यास, पूर्ण चन्द्र राखेचा, राजेन्द्र कुमार नागपाल, मांगीलाल भद्रवाल, किशोर पुरोहित सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।  पूजन कार्य करवाने हेतु सपत्निक सर्वश्री के.एल.सोनगरा, बृजगोपाल जोशी, चन्द्र शेखर जोशी, सुरेश मोदी एवं राधे श्याम आचार्य बैठें। पुजारी बाबा के आचार्यत्व में सर्वश्री पं शंकरलाल ओझा, नारायण दास ओझा, गिरिजा शंकर, बटुक प्रसाद, भवानी प्रसाद, शिवशंकर, उमेश छंगाणी, गणेश, कमल, विमल एवं राघवेन्द्र ओझा ने पंडितों के रूप में कर्मकांड करवायें।(PB)