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अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सवः बीकानेर के डॉ करणीसिंह स्टेडियम में साकार हुई बहुरंगी संस्कृति

बीकानेर। बीकानेर के डॉ करणी सिंह स्टेडियम में रविवार को भारत की रंग-बिरंगी संस्कृति का साकार रूप देखने को मिला। देश के विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने भंगड़ा, गिद्धा, तेरहताली, भवई, आंगी गैर, नाटी, गरबा रास आदि लोकनृत्यों और मशक, भपंग, बीन, अलगोजा एवं खड़ताल जैसे लोक वाद्यों की मधुर स्वरलहरियों से वातावरण को सुमधुर कर दिया।
अवसर था 22वें अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के शुभारम्भ समारोह का। भारत के नियंत्राक एवं महालेखा परीक्षक शशिकांत शर्मा ने शांति का प्रतीक सफेद कपोत और रंग-बिरंगे गुब्बारे हवा में छोड़कर उत्सव का विधिवत शुभारम्भ किया। इस दौरान संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार, जिला कलक्टर आरती डोगरा सहित बड़ी संख्या में देशी तथा विदेशी पर्यटक मौजूद थे।
भव्य शोभायात्रा से हुआ आगाज
इससे पहले जूनागढ़ के आगे से भव्य एवं आकर्षक शोभायात्रा निकली। इसे संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार एवं जिला कलक्टर आरती डोगरा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शोभायात्रा यहां से डॉ. करणीसिंह स्टेडियम तक पहुंची। शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंटों पर पारम्परिक वेशभूषा में रोबीले, सिर पर मंगल कलश लिए हुए महिलाएं, तांगों पर राजस्थानी वेशभूषा में सवार विदेशी सैलानी, आमजन के आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे। ये विदेशी पर्यटक ‘खम्मा घणी सा’, ‘पगेलागणा’ और ‘नमस्ते’ जैसे अभिवादन के साथ सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे।
स्टेडियम में साकार हुई बहुरंगी संस्कृति
शोभायात्रा में शामिल विभिन्न राज्यों के कलाकारों के डॉ करणीसिंह स्टेडियम में पहुंचने के साथ ही भारत की अनूठी ‘अनेकता में एकता’ की संस्कृति का साकार रूप देखने को मिला। सुसज्जित ऊंटों पर सवार रोबीलों से शुरू हुआ काफिला देखकर पर्यटकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इसका स्वागत किया। आंगी गैर नृत्य, पंजाब के भंगड़ा-गिद्धा, गुजरात का सिद्धि धमाल, हिमाचल का नाटी नृत्य, गुजरात का गरबा रास, राजस्थान का तेरह ताली, कालबेलिया, भवई नृत्य, ब्रज का मयूर होली आदि लोकनृत्यों की प्रभावमयी प्रस्तुति ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। गुजरात के सिद्धि धमाल नृत्य दल के कलाकार ने हवा में नारियल उछालकर इसे सिर से फोड़ा तो पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। साथ ही विभिन्न लोक कलाकारों ने मशक, खड़ताल, भपंग, बीन आदि लोकवाद्यों की मीठी धुनों से कानों में रस घोला।
camel_festival_bikanerआर्मी के बेग पाइपर बैंड ने बांधा समा
भारतीय सेना के आर्मी बैंड ने आकर्षण वेशभूषा, कदमताल के साथ बेगपाइपर, ढोल और अन्य वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी के साथ दर्शकों को रोमांचित किया। लगभग पंद्रह मिनट तक बैंड वादकों की प्रभावमयी प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को बांध के रखा। भटिंडा बैंड वादकों ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। मोटरसाइकिलों पर पारम्परिक वेशभूषा में सजे जवान, ऊंट गाड़ों पर बैठे देशी-विदेशी पर्यटक व लोक कलाकार समारोह की शोभा बढ़ा रहे थे।
आकर्षण का केन्द्र रहे सजे-धजे ऊंट
विभिन्न राजस्थानी आभूषणों एवं रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजे-धजे ऊंट आकर्षण का केन्द्र थे तो ऊंटों की आकर्षक फर कटिंग भी आम दर्शक को प्रभावित कर रही थी। एक ऊंट की पीठ पर ‘प्यारा भारत देश महान्’ उकेरा गया था तो दूसरे ऊंट की पीठ पर ढोला-मरवण एवं राजस्थानी लोकनृत्यों के दृश्य दर्शाए गए थे। देशी और विदेशी पर्यटकों में इन सभी झांकियों को अपने कैमरों में कैद करने की होड़ सी देखने को मिली। एसबीबीजे द्वारा कैमल बैंक के माध्यम से विदेशी मुद्रा विनिमय काउंटर लगाया गया।
उद्घाटन समारोह का संचालन संजय पुरोहित, रविन्द्र हर्ष, ज्योति प्रकाश रंगा एवं किशोर सिंह राजपुरोहित ने किया। इस अवसर पर उपखण्ड अधिकारी नमित मेहता, जिला रसद अधिकारी आलोक रंजन, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी एल मेहरड़ा, जिला खेल अधिकारी जसवीर सिंह, सहायक निदेशक (पर्यटन) अजय शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।