Janmashtami Celebration
Janmashtami Celebration
जन्माष्टमी पर 50 साल बाद 24 घंटे रोहिणी नक्षत्र

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार (5 सितम्बर) 24 घंटे रोहिणी नक्षत्र रहेगा। 50 साल बाद यह स्थिति बनी है। इस दिन अमृत तथा सर्वार्थसिद्धि योग का विशेष संयोग भी बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार धार्मिक कार्य व खरीददारी के लिए यह दिन श्रेष्ठ रहेगा। जन्माष्टमी पर शनिवार के दिन बालव करण के होने से अमृत तथा स्वार्थसिद्धि को दोहरा संयोग बना है। यह दोनों योग शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाले माने गए हैं।

रामानुज संप्रदाय के लिए इस बार की जन्माष्टमी खासा महत्व रखती है। पीठाधीश्वर स्वामी रंगनाथाचार्यजी ने बताया रामानुज संप्रदाय में अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र होने पर ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र की अवधि पूर्ण कालिक है। इसलिए रामानुजकोट में धूमधाम से उत्सव मनाया जाएगा। आश्रम से जुड़े देशभर के भक्त उज्जैन पहुंचेंगे।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र व पंचागीय गणना के अनुसार इस बार जन्माष्टमी शनिवार के दिन वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में हर्षल योग, बालव करण तथा रोहिणी नक्षत्र में आ रही है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव करीब 90 फीसदी रहेगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का होना विशेष शुभ माना जाता है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ है। इस नक्षत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण का पूजन सुख-शांति तथा समृद्धि देने वाला माना गया है। साधना तथा नवीन वस्तुओं की खरीद के मान से भी यह दिन सर्वोत्तम है।

देवकीनंदन इस बार रोहिणी नक्षत्र में जन्म नहीं लेंगे। अठारह साल पहले यानी 1995 में कृतिका नक्षत्र की जन्माष्टमी थी, जो इस बार 5 सितम्बर को रहेगी। इस रात्रि बारह बजे जब भगवान श्री कृष्ण का 5238वां जन्म होगा, उस समय कृतिका नक्षत्र गोचर में होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि में लगभग हर साल रोहिणी नक्षत्र की युति रहती है, किंतु इस बार कृतिका नक्षत्र रात्रि बारह बजे शून्य काल में रहेगा और चंद्रोदय भी रात्रि 7 बजे होगा।  4 सितम्बर को स्मार्त जन्माष्टमी करेंगे और वैष्णव जन अगले दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे।

इन दोनों दिन ही रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय भाद्रपद अष्टमी रोहिणी नक्षत्र होने से ही विशेष महत्व वाली मानी जाती है। लेकिन 5 सितम्बर की रात्रि में इस बार कृतिका नक्षत्र गोचर करेगा। ज्योतिषाचार्य लखन परिहार के अनुसार गुरुवार को सुबह सप्तमी रहेगी और सुबह 11.10 बजे से अष्टमी लगेगी।

चंद्रोदय रात्रि 11.25 पर होगा। स्मार्त लोग इस दिन व्रत रखेंगे। शुक्रवार को सूर्योदय कालीन अष्टमी रहेगी, जो दोपहर 1.40 तक रहेगी। इस दिन वैष्णव, गृहस्थ व संत व्रत करेंगे। भरणी नक्षत्र सुबह 6.46 तक रहेगा और उसके बाद कृतिका शुरू होगा, जो भगवान के जन्म समय में भी गोचर में रहेगा।

धार्मिक गृहस्थों के घर के पूजागृह तथा मंदिरों में श्रीकृष्ण-लीला की झांकियां सजाई जाती हैं। भगवान के श्रीविग्रह का श्रृंगार करके उसे झूला झुलाया जाता है। श्रद्धालु स्त्री-पुरुष मध्यरात्रि तक पूर्ण उपवास रखते हैं। अर्धरात्रि के समय शंख तथा घंटों के निनाद से श्रीकृष्ण-जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति अथवा शालिग्राम का दूध, दही, शहद, यमुना जल आदि से अभिषेक होता है।

अष्टमी प्रकार

अष्टमी दो प्रकार की है- पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयंती। इसमें केवल पहली अष्टमी है।  ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अ_ाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है। यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो जयंती नाम से संबोधित की जाएगी। वह्निपुराण का वचन है कि कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा।

अत: उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए। विष्णुरहस्यादि वचन से- कृष्णपक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र से युक्त भाद्रपद मास में हो तो वह जयंती नामवाली ही कही जाएगी। वशिष्ठ संहिता का मत है- यदि अष्टमी तथा रोहिणी इन दोनों का योग अहोरात्र में असम्पूर्ण भी हो तो मुहूर्त मात्र में भी अहोरात्र के योग में उपवास करना चाहिए। मदन रत्न में स्कन्द पुराण का वचन है कि जो उत्तम पुरुष है। वे निश्चित रूप से जन्माष्टमी व्रत को इस लोक में करते हैं। उनके पास सदैव स्थिर लक्ष्मी होती है। इस व्रत के करने के प्रभाव से उनके समस्त कार्य सिद्ध होते हैं।

विष्णु धर्म
विष्णु धर्म के अनुसार आधी रात के समय रोहिणी में जब कृष्णाष्टमी हो तो उसमें कृष्ण का अर्चन और पूजन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। भृगु ने कहा है- जन्माष्टमी, रोहिणी और शिवरात्रि ये पूर्वविद्धा ही करनी चाहिए तथा तिथि एवं नक्षत्र के अन्त में पारणा करें। इसमें केवल रोहिणी उपवास भी सिद्ध है। अन्त्य की दोनों में परा ही लें। श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है।

इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है। जन्माष्टमी का व्रत व्रतराज है। इसके सविधि पालन से अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाली महान पुण्य राशि प्राप्त कर लेंगे। ब्रजमण्डल में श्रीकृष्णाष्टमी के दूसरे दिन भाद्रपद-कृष्ण-नवमी में नंद-महोत्सव अर्थात् दधिकांदौ श्रीकृष्ण के जन्म लेने के उपलक्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढ़ाकर ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिड़काव करते हैं। वाद्ययंत्रों से मंगल ध्वनि बजाई जाती है। भक्तजन मिठाई बांटते हैं। जगद्गुरु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नि:संदेह सम्पूर्ण विश्व के लिए आनंद-मंगल का संदेश देता है।

 

छोटी काशी के रूप में दुनियाभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाली गुलाबीनगरी में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी कल पूरी भव्यता के साथ मनाई जाएगी। इसके लिए शहर के मंदिरों में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। जयपुर के आराध्यदेव गोविन्ददेवजी मंदिर सहित सभी प्रमुख मंदिरों भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।

मंदिरों के साथ भक्तों ने घर-घर कृष्ण जन्माष्टमी के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। गुलाबी नगरी के कई मंदिरों में भक्तगण इस महापर्व की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हैं। शहर के परकोटे में प्रमुख मार्गो में केसरिया और गुलाबी रंग की पताकाएं और बधाई बैनर लगाए गए हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों में तोरण द्वार बनाने और मंदिर को सजाने की तैयारी जोर शोर से की जा रही है।

सजेंगी विशेष झांकियां
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी  पर शहर के मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई जाएंगी जिसकी तैयारी की जा रही है। गोविंददेव मंदिर में यह क्रम लगातार जारी है। जन्माष्टमी पर भजन कीर्तन प्रवचन सहित यज्ञ और हवन इत्यादि किए जाएंगे। वहीं सरस निंकु ज परिसर में शनिवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में श्री ठाकुर राधा सरस बिहारी जू सरकार का अभिषेक, विशेष श्रृंगार एवं बधाई महोत्सव रात्रि 8.30 बजे से मध्य रात्रि तक आयोजित किया जाएगा।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में वेद विद्वानों द्वारा श्रीमद् भागवत जी के दशम स्कन्द का पाठ किया जाएगा। ठाकुर जी की पालना झांकी का दर्शन भी कराया जाएगा। श्री सरस निंकुज परिसर को भव्य रूप से वन्दनवार पुष्पों व ध्वजा पताका से सजाया जा रहा है।

राधा दामोदर मंदिर बनीपार्क में चल रहे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में गुरुवार  को जहां श्रद्धालुओं ने गुलाबी मोती बंगला झांकी के दर्शन किए, वहीं राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी ……, बंसी जोर की बजाई रे …, मेरा आपकी कृपा से …आदि  भजनों की स्वर लहरियों पर सत्संग में झूमते नजर आए।  वहीं लाडली जी का मंदिर रामगंज बाजार और राधा दोमोदरजी का मंदिर चौड़ा रास्ता में दोपहर 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

इसके साथ ही शहर के हर छोटे-बड़े मंदिर सहित घरों में मनमोहक झांकियां जाएंगी। बड़ी संख्या में व्रत करने वाले श्रद्धालु मध्यरात्रि कृष्ण जन्म के बाद पंचामृत- पंजीरी का प्रसाद लेकर अपने व्रत खोलेंगे। धार्मिक महोत्सव में बड़ी संख्या में मंदिर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

सुबह से शाम तक बंटेगा प्रसाद
गोविंददेवजी के मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह से रात तक भक्तगणों को लड्डू और पंजीरी का वितरण किया जाएगा जिसके निर्माण के लिए करीब सत्तर कारीगर लगे हुए हैं।

मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि भक्तों की भीड़ को देखते हुए दो लाख लड्डू और चार लाख पंजीरी के पैकिट बनवाएं जा रहे हैं। मध्यरात्रि ठीक 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म बाद भगवान का पंचामृत अभिषेक सहित पूजन और हवन किया जाएगा।