World Tobacco Prohibition Day

OmExpress News / Jaipur / Amardeep Singh (Senior Programme Officer, CUTS) ‘विश्व तम्बाकू निषेध दिवस’ प्रति वर्ष 31 मई को दुनिया भर मे मनाया जाता है। यह वार्षिक आयोजन, तंबाकू के उपयोग के खतरे के बारे में जनता को जानकारी देता है। तम्बाकू से हर साल विश्व में 8 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। इन मौतों में से 7 मिलियन से अधिक की मृत्यु प्रत्यक्ष रूप से तम्बाकू के उपयोग से होती हैं और लगभग 1.2 मिलियन धूम्रपान नहीं करने वालों की मृत्यु, दूसरों के द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के सम्पर्क से होती हैं। (World Tobacco Prohibition Day)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, धूम्रपान करने वालों को गंभीर बीमारी और मृत्यु होने का अधिक खतरा रहता है।तम्बाकू धूम्रपान कई श्वसन संक्रमणों के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है और श्वसन रोगों की गंभीरता को बढ़ा है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2016 के अनुसार, भारत में लगभग 266 मिलियन तम्बाकू उपयोगकर्ता हैं, जो कि दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं। कुल आबादी का 21.4 प्रतिशत धुंआ रहित तम्बाकू सेवन करता है।

धुंआ रहित तम्बाकू के उपयोग की उच्च दर के कारण भारत को अत्यधिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है, विश्व में धूम्रपान रहित तम्बाकू उपयोगकर्ताओं का संयुक्त 94 प्रतिशत भारत और बांग्लादेश में है। इसमें कोई आष्चर्य नहीं हैं कि भारत और बांग्लादेश में दुनिया में मुंह के कैंसर की दर सबसे ज्यादा है।

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भारत में सालाना लगभग दो लाख लोग तम्बाकू चबाने के कारण और 11.5 लाख लोग धूम्रपान के कारण मर जाते हैं। लेकिन अब यह डेटा कोविड-19 के कारण और ब-सजय़ सकता है। तम्बाकू नियंत्रण नीतियों की सख्ती से पालना से लाखों लोगों की असामयिक मृत्यु को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन तम्बाकू उद्योग नहीं चाहते हैं कि ऐसी कठोर नीतियां लागू की जाए जो उनके व्यवसाय को प्रभावित करें।

धूम्रपान करने वालों को अधिक खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 29 अप्रेल, 2020 को बुलाई गई जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की समीक्षा में पाया गया कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना मेें, कोविड-19 के साथ धूम्रपान करने वालों के प्रभावित होने की ज्यादा संभावना है।

कोविड-19 एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करती है। धूम्रपान फेफड़ों के कार्यों को बाधित करता है जिससे षरीर को कोरोना वायरस और अन्य बीमारियों से लड़ने में कठिनाई होती है। गैर संचारी रोगों जैसे हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और मधुमेह के लिए तम्बाकू भी एक प्रमुख जोखिम कारक है, जो कोविड-19 से प्रभावित होने पर गंभीर बीमारी के कारण लोगों को अधिक जोखिम में डाल देता है।

सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार गुटका, पान मसाला जैसे तम्बाकू, पान और सुपारी के साथ चबाने से लार की मात्रा ब-सजय़ जाती है, जिसके कारण थूक के लिए मजबूर हो जाते है, जो कोविड-19 के प्रसार को बढ़ा सकता है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर धुंआ रहित तम्बाकू उत्पादों का सेवन नहीं करने और थूकने से बचने के लिए जनता से अपील की है। महामारी से निपटने के लिए प्रोटोकाॅल के एक हिस्से के तहत, सरकार ने आपदा प्रबन्धन अधिनियम की धारा 51 (बी) के तहत सावर्जजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम गृह मंत्रालय द्वारा भारत में लोकडाउन के दूसरे चरण के लिए नए दिषानिर्देश जारी किए जाने के बाद आया है। इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने तम्बाकू और शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

अप्रेल महीने में जारी निर्देर्षों की अनुपालना में, कई राज्य सरकारों ने राज्य महामारी रोग अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों और संस्थानों में सुपारी, किसी भी चबाने योग्य तम्बाकू या गैर-तम्बाकू उत्पादों के थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसने अब अध्यादेश का स्थान ले लिया है। अध्यादेश के तहत, तम्बाकू उत्पादों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन निर्णयों के लिए राज्य सरकारों, जैसे राजस्थान की प्रषंसा की है और उनसे सार्वजनिक स्थानों पर थूकने और धुंआ रहित तम्बाकू उत्पादों के सेवन के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने का अनुरोध किया है। लेकिन, तम्बाकू उद्योगों, विक्रेताओं और उपयोगकर्ताओं के दबाव के कारण लोकडाउन में उक्त प्रतिबंध हटाकर तम्बाकू उत्पादों की बिक्री की अनुमति दे दी है। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर उपभोग और थूकना सरकार के आदेश के अनुसार प्रतिबंधित है।

सिगरेट और तम्बाकू उत्पादों की बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर हो पूर्ण प्रतिबंध

सरकार को सिगरेट और तम्बाकू उत्पादों की बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिससे कोविड-19 के नियंत्रण में मदद मिलेगी। समय-समय पर, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोविड-19 महामारी के दौरान धुंआ रहित तम्बाकू उत्पादों के उपयोग, जैसे कि गुटखा और पान मसाला के आदि के खिलाफ भी सलाह दी है, क्योंकि वे थूकने की इच्छा को बढ़ाते हैं, जिनमें बैक्टिरिया होते हैं। सरकार के इस कदम से कई लोगों की जान बच सकती है।

यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान ने तम्बाकू नियंत्रण नीति के तहत कई पहल की हैं, जो अन्य राज्यों के लिए उदाहरण है, जैसे तम्बाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना, ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाना और तम्बाकू नियंत्रण नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन षामिल है।

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विष्व तम्बाकू निषेध दिवस, 2020 का उद्देश्य

इस वर्ष का विश्व तम्बाकू निषेध दिवस कई मिथकों पर प्रकाष डालता है, और तम्बाकू उद्योग की कुटिल रणनीति को उजागर करता है। मुख्य रूप से युवाओं को लक्षित करने वाले तम्बाकू उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए उद्योग रणनीति में हेरफेर का पता लगाने के लिए जानकारी एकत्र करना भी एक उद्देश्य है।

Amardeep Singh : Senior Programme Officer CUTS Internationalयुवाओं को उनके खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। यह विशेष रूप्प से महत्वपूर्ण है, क्योंकि तम्बाकू उपयोगकर्ताओं को कोरोना वायरस का खतरा अधिक है। आईये, हम सभी मिलकर तम्बाकू मुक्त पी-सजय़ी बनाने की लड़ाई में शामिल हो।

अमर दीप सिंह भारतीय मूल की अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता पैरवी संस्था ‘कट्स इंटरनेशनल‘ (CUTS International) के विशेष कार्यक्रम अधिकारी है।

‘कट्स’ राष्ट्रीय स्तर पर ‘एडवोकेसी फोरम फाॅर टोबाको कन्ट्रोल (ए.एफ.टी.सी.) का एक सदस्य है।