युवा महोत्सव "गोरबन्ध-2016" में हुई रंगारंग प्रस्तुतियाँ

युवा महोत्सव "गोरबन्ध-2016" में हुई रंगारंग प्रस्तुतियाँबीकानेर । स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, के केन्द्रीय छात्रा संघ द्वारा आयोजित युवा महोत्सव गोरबन्ध-2016 छात्रा-छात्राओं द्वारा दी गई रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ शनिवार को सम्पन्न हो गया। दो दिन तक चले इस कार्यक्रम में समूहगान, समूहनृत्य, एकलनाटक, लघुनाटिका, मूक अभिनय, वाद-विवाद एवं कार्टूनिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई तथा प्रस्तुतियों में भारतीय संस्कृति व राष्ट्रभावना साकार हो उठी।
कार्यक्रम के समापन एवं पारितोषिेक वितरण समारोह के मुख्य अतिथि संसदीय सचिव राजस्थान सरकार, भैराराम चौधरी ने विजेताओं को पुरस्कृत किया तथा युवाओं को अध्ययन के साथ-साथ सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत में युवाओं की तथा उनमें ं प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। जब-जब युवाओं ने ठान ली तब-तब देश ऊचे शिखर पर पहुँचा हैं,। उन्होंने युवाओं को नशे की लत में नहीं पड़ने की नसीहत दी। टीवी चैनलों पर दिखाये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने भारतीय संस्कारों से खिलवाड़ नहीं करने तथा इन्हें मनोरंजन तक ही सीमित रखने की सलाह दी। लघु नाटिका, मूक अभिनय, समूह गान एवं समूह लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में कृषि महाविद्यालय, बीकानेर के छात्रा-छात्राओं ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि कार्टूनिंग प्रतियोगिता में गृह विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता में कृषि व्यावसायिक प्रबन्धन संस्थान, बीकानेर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि राजेन्द्र सिंह भादू, विधायक, सूरतगढ़ ने युवाओं को अपनी शक्ति सृजनात्मक गतिविधियेां में लगाकर कृषि एवं ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आने वाला समय खुला मैदान है, इसमें मंजिल प्राप्त करने के लिए दमखम लगाकर भागना पड़ेगा तभी जीवन में विजय मिल पायेगी।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा ने स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के केन्द्रीय छात्रा संघ अध्यक्ष रामश्वर मंडीवाल तथा उनकी कार्यकारिणी की तारीफ करते हुए कहा कि इस कार्यकारिणी ने विश्वविद्यालय में शैक्षणिक, खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सकारात्मक सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम हमारी संस्कृति की धरोहर है। सारगर्भित जीवन मूल्यों के निर्माण में युवा महोत्सवों का आयोजन सराहनीय कदम है। उन्होंने विश्वविद्यालय के पेन्शनर्स की समस्या से अतिथियों को अवगत करवाया। कार्यक्रम समन्वयक एवं कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आई.जे. गुलाटी ने छात्रा-छात्राओं को सोहार्दपूर्ण माहौल में प्रतिस्पद्धाएँ सम्पन्न करने एवं अपना हुनर दिखाने पर बधाई दी। कार्यक्रम में प्रो. आई.पी. सिह, निदेशक, छात्रा कल्याण, प्रो. विमला डुकवाल, सलाहकार, केन्द्रीय छात्रा संघ, सांस्कृतिक सलाहकार प्रो. चित्रा हेनरी, अध्यक्ष, केन्द्रीय छात्रा संघ रामेश्वर मंडीवाल, महासचिव केन्द्रीय छात्रा संघ सुश्री मोनिका भनोत एवं संयुक्त सचिव केन्द्रीय छात्रा संघ राम सिंह तथा दिनेश गोदारा ने भी शिरकत की। इस अवसर पर केन्द्रीय छात्रा संघ अध्यक्ष रामेश्वर मंडीवाल ने कृषि विश्वविद्यालय की एल्यूमिनी मीट करवाने तथा विश्वविद्यालय में ओडिटोरियम बनवाने की मांग की । कार्यक्रम संचालन डॉ. बृजेन्द्र त्रिपाठी ने किया तथा प्रो. विमला डुकवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

बीकानेर स्थापना दिवस पर गोष्ठी

नगर के 529 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में शनिवार को नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में राजस्थानी भाषा की मान्यता प्रयास बीकानेर के संदर्भ में -आजादी के पूर्व व बाद विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता लक्ष्मीनारायण रंगा ने की व मुख्य अतिथि शिवराज छंगाणी थे। गोष्ठी में संबंधित विषय पर शंकर सिंह राजपुरोहित व हरीश बी शर्मा ने पत्रावाचन किया। राजपुरोहित ने कहा कि आजादी से पूर्व राजस्थानी भाषा की मान्यता के प्रयास में राजस्थान ऐतिहासिक पत्रों में इस भाषा का उपयोग मिलता है। साथ ही राजदरबार में भी बातचीत का माध्यम राजस्थानी भाषा का रूप होता था। 1944 में विलासपुर में मारवाड़ी सम्मेलन आयोजित किया ,जिसमें बीकानेर के विद्धान व साहित्यकारों ने भाग लिया जो इस भाषा का राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास था।
गोष्ठी में राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आजादी के बाद जो प्रयास हुए उस पर युवा साहित्यकार हरीश बी शर्मा ने अपने पत्रावाचन में कहा कि राजस्थानी भाषा ने पिछले सात दशक में आजादी के बाद के वर्षों में भी मान्यता के लिए संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि हमारी मायड़ भाषा को मान्यता नहीं मिली है तो इसके लिए कही न कही हम ही दोषी है। डॉ.करण सिंह,मुरलीधर व्यास,भीम पाण्डिया,कमल रंगा,शंकर सिंह राजपुरोहित,हरीश भादाणी,सांसद अर्जुन राम मेघवाल के प्रयास के बाद भी आज मायड़ भाषा की मान्यता का इंतजार है। सोशल मीडिया पर भी इस बाबत प्रयास जारी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि भाषा की मान्यता की जब भी बात आती है,सरकार द्वारा विभिन्न तर्क दिए जाते है। उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर इसकी मान्यता के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि इस भाषा की मान्यता के लिए बीकानेर के साहित्यकार अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रहे है। कुछ संस्थाएं भी बनी हुई है। फिर भी आज भी हम मान्यता के लिए इंतजार कर रहे है। राव बीकाजी संस्था की ओर से महामंत्राी विजय सागर आचार्य ने सभी का स्वागत किया। आभार संस्था के अध्यक्ष डॉ.गिरिजा शंकर शर्मा ने व्यक्त किया। संयोजन युवा कथाकार संजय पुरोहित ने किया। अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर अभिनन्दन किया गया।
गोष्ठी में कमल रंगा,डॉ.नमामी शंकर आचार्य,नदीम अहमद नदीम,इरशाद अजीज,मोनिका गौड़,राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र जोशी,विशन मतवाला, बाबूलाल छंगाणी उपस्थित थे।
चित्रा प्रदर्शनी का समापन- पेंटर पृथ्वी द्वारा लगाई गई चित्रों की प्रदर्शनी का आज समापन हुआ। इस अवसर पर कलाश्री ने पंेटर पृथ्वी के चित्रों की सराहना करते हुए कहा कि पंेटर पृथ्वी जैसे शिष्य अपने गुरूओं की कला को आज जिंदा रखे हुए है। रावबीकाजी संस्था के महामंत्राी विजय सागर आचार्य ने पेंटर पृथ्वी को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस अवसर पर पृथ्वी ने अपनी बनाई हुई पूर्व महारानी सुदर्शन के पोटेªट को कलादीर्घा के लिए भंेट कियाा। साथ ही अपना पेंसिल स्केच कलाश्री को भेंट किया।
—–