

बीकानेर। कोरोना वायरस के कारण लागू मेडिकल इंमरजेंसी के हालातों में गरीबों,असहायों और जरूरमंद लोगों के लिये खाने पीने का संकट खड़ा हो गया है,ऐसे हालातों में अन्नपूर्णा रसोई वैन खासी कारगर साबित हो सकती है लेकिन विडम्बना है कि शासन की उपेक्षा के कारण बीकानेर में रसोई की वैन पिछले तीन महिने से गायब हो गई है। जानकारी में रहे कि कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजे हालातों के बाद शहर में हजारों की तादाद में ऐसे गरीब,असहाय और श्रमिक वर्ग के लोग है जिन्हे सुबह शाम का खाना तक मुहैया नहीं हो रहा है,हालांकि प्रशासन की ओर से सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से जरूरतमंदों तक खाने के पैकेट पहुंचाये जा रहे है,लेकिन फिर भी शहर की झुग्गियों में रहने वालो खानाबदोश परिवारों समेत गली-मौहल्लो में रहने वाले श्रमिक वर्ग के लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में अन्नपूर्णा रसोई वैनों का इस्तेमाल भोजन और नाश्ता बांटने के लिये किया जाये तो संकट में फंसे लोगों को खासी राहत मिल सकती है। लेकिन पिछली सरकार की योजना से जुड़ी होने के कारण प्रशासन के अधिकारी भी अन्नपूर्णा रसोई वैनों को नजरअंदाज कर रहे है।


जानकारी में रहे कि तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के शासनकाल में तीन साल पहले शुरू की गई अन्नपूर्णा रसोई वैन से गरीबों,असहायों और श्रमिकों को सुबह-सुबह यहां पर मामूली दर पर नास्ता मिल जाता था। वहीं दोपहर व रात में खाना भी उपलब्ध हो जाता था। लेकिन अब यह रसोई वैन नगर निगम के भण्डार में खड़ी धूल फांक रही है,ऐसे में जरूरतमंद व गरीबों के लिए परेशानी पैदा हो गई है।


अन्नपूणाज़् रसोई वैन में पांच रुपए के नाश्ते में पोहा, सेवइयां, सांभर, लापसी, ज्वार व बाजरे का खीचड़ा सहित अन्य व्यंजन मिलते थे। इसके अलावा आठ रुपए में दोपहर व रात के भोजन में दाल चावल, खिचड़ी, चूरमा, नमकीन खिचड़़ा, कढ़ी, ढोकला, मीठा खीचड़ा आदि उपलब करवाए जाते थे। शहर में संचालित होने वाली अन्नपूर्णा वैन से प्रतिदिन लगभग तीन हजार लोगों को फायदा मिल रहा था। रसोई योजना बंद होने से जरूरतमंदों के लिए परेशानी पैदा हो गई है। शहर में गरीबों,श्रमिकों और जरूरमंदों को सस्ती रेट पर पौष्टिक भोजन एवं नाश्ता मुहैया कराने के लिये रोड़वेज बस स्टेण्ड,कोटगेट,पीबीएम होस्पीटल रोड़,कृषि मंडी समेत अनेक जगहों पर रसोई वैने खड़ी रहती थी।
