सवांददाता, के,के,कुशवाहा

आगरा । आगरा के शमसाबाद रोड स्थित मुखिया जी टेंट हाऊस पर वीर शिरोमणि गन्गू मेहतर का बलिदान मनाया गया ।इस अवसर पर समाज सेवी विजय सिंह लोधी ने गन्गू मेहतर जी के चित्र पर द्वीप प्रज्ज्वलित किया तथा जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज के दिन 18 सितम्बर 1857 की क्रांती मे अंगेजो ने फाँसी दे दी थी ।गन्गू मेहतर विटठूर के शासक नाना सहाब पेशवा की सेना मे नगाड़ा बजाते थे गन्गू मेहतर को कई नामो से पुकारा जाता था ।गन्गू मेहतर को पहलवानी का शौक होने की बजह से गन्गू पहलवान के नाम से भी जाना जाता था,सती चौरा गांव मे इनका पहलवानी का अखाड़ा था ।कुस्ती के दाव पेच एक मुस्लिम गुरु से सीखने के कारण गन्गूदीन नाम से भी पुकारा जाता था ।

गन्गू मेहतर जी के पुरखे कानपुर के अकबरपुरा गांव के रहने बाले थे ।उच्चवर्गो की वेगार,शोषण और अमानवीय व्यवहार से दुखी हो कर इनके पुरखे कानपुर शहर के चुन्नीगंज इलाके मे आकर बस गये ।1857 की लडाई मे नाना सहाब की तरफ लड़ते हुए अपने शागिर्दो की मदद से सेकड़ो अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया था ।इसी को लेकर अंग्रेजो ने गन्गू मेहतर को गिरफ्तार करने का आदेश दिया ।गन्गू मेहतर घोड़े पर चड़कर वीरता से अंग्रेजो से लड़ते रहे,अन्त मे गिरफ्तार कर लिये गये और हथकडियां और पेरो पे वेडिया पहनाकर जेल की काल कोठरी मे रख दिया और तरह तरह के जुल्म किये ।उस समय हिदू मुस्लिम साथ साथ अंग्रेजो से लडे थे ।18 सितम्बर 1859 को फाँसी पर लटका दिया था।लेकिन दुर्भाग्य से भारतीय इतिहास मे इनका नाम नही है ।यह नाम जाति बाद के कारण इतिहास के पन्नो से कन्ही सिमट गया है।उन्होने अन्तिम सांस तक बोला था की भारत की माँटी मे हमारे पूर्वजो का खुन व कुर्वानी की गन्ध है एक दिन मुल्क आजाद होगा ।
समाजसेवी विजय सिंह लोधी ने भारत सरकार से इतिहास मे नाम ब इस दिन रास्ट्रीय आवकाश घोषित करने की मांग की है

You missed