

– भारतीय देशी गाय के सम्वर्धन के लिए साधु सन्तों का यथेष्ठ योगदान बहुत जरूरी – सुरानी
– अबकि दीवाली मनायें गौ गोबर दीपों के साथ -विशाल भाई
सूरत। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जहां गाय को माता के रूप में माना जाता है और सतयुग से ही देवी देवताओं ने भी कामधेनु गाय के महत्व को समझा है, गाय ही एक मात्र प्राणी है जिससे किसी भी राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि सम्भव है क्योंकि गाय का दूध, गोबर, मूत्र तो उपयोगी है ही परन्तु मरणोपरांत चमडी और हड्डियां भी उपयोगी होती है, इसके लिए गौवंश को दस फ़ीट जमीन में विधिवत दफ़नाने के बाद एक उपयोगी फलदार लगाएं तो उस फलदार पेड़ में चार गुणा से ज्यादा फलोत्पादन होता है, हम कह सकते हैं की हरेक गाय दधीचि ऋषि से कम नहीं है, बस जरूरत है हमें वेदों और हमारे भगवान ऋषभदेव जैसे महापुरुषों के अनुभव से लाभ ले गाय से समृद्धि प्राप्त करने की। आज इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार भी राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के माध्यम से जन जन की समृद्धि के लिए सम्पूर्ण भारत में जन जागरण का कार्य कर रहा है। भारत में काफी आदर्श गौशालाएं कार्यरत है, इनमें से ही एक है सहजानन्द गिर गौशाला सूरत(गुजरात)। इस गौशाला के संस्थापक चन्दू भाई सुरानी आज से पांच साल पहले मुंबई में हीरे के प्रतिष्ठित व्यापारी थे। परंतु अपने तीन परिजनों को केंसर की बीमारी से खोने के बाद शुद्ध व स्वस्थ खानपान और रहनसहन के लिए गौशाला शुरू की, शुरू में दो गौ वंश से की शुरुआत जो आज 300 गौवंश तक है। सहजानन्द गिर गौशाला में उत्कृष्ट कोटि की शुद्ध गिर गाय और साँड़(नन्दी) है, जिन्हें देखकर ही मन प्रसन्न होता है, और शुद्ध गौ उत्पादों के सेवन तो लाजवाब है। इस गौशाला के गौ घी की कीमत 3,600/-(प्रीमियम), व 2,600/- है और ए 2 श्रेणी का दूध 120/- हाथोंहाथ बिकता है। इस गौशाला में पंचगव्य से विभिन्न रोगों के निदान के लिए औषधियों का निर्माण भी होता है। गोबर से उत्तम किस्म की जैविक घनजीवामृत खाद और दीपक आदि का भी निर्माण किया जा रहा है।
गौवंश विशेषज्ञ चन्दू भाई सुरानी ने बताया कि भारत में साधु संत अगर गम्भीरता से शुद्ध देशी गौवंश सम्वर्धन का कार्य करे तो भारत जल्दी ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकता है। भारत में गुजरात की भुवनेश्वरी पीठ के सन्त घनश्याम महाराज और भावनगर के प्रदीपसिंह रावल उत्तम किस्म के गिर नन्दी के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। ज्ञात रहे भावनगर के राजवी कॄष्णकुमारसिंहजी ने 1962 में ब्राज़ील सरकार को दो गिर गाय और एक गिर नन्दी दिया था जो कालांतर में ब्राज़ील की समृद्धि का कारण बना। गिर नन्दी की कीमत एक करोड़ रुपये तक होती है, सहजानन्द गिर गौशाला में भी 8 लाख रुपये से ज्यादा तक के नन्दी है, इन नंदियों के दर्शन में भी अलौकिक आनन्द आता है।


अबकि बार मनाए गोबर निर्मित दियों से दीपावली – सहजानंद गिर गौशाला के प्रतिनिधि विशाल भाई ने भारत की जनता से गाय के गोबर से बने दियों से दीपावली मनाने की अपील की है, गाय गोबर से बने दिये गौशालाओं के लिए वरदान होंगे वहीं गोबर से दिए बनाने की सरल प्रक्रिया के कारण आम गृहणी और बेरोजगार लोगों के लिए आय का अच्छा अवसर होगा, दीपोत्सव के बाद गोबर से बने दियों को घर, मन्दिरऔर बगीचों के पेड़ पौधों में खाद के रूप में काम में लिया जा सकता है। गौशाला में गोबर से दिए बनाने के लिए प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था है।
