जयपुर, 19 नवंबर 2025: युवा दृश्य कथाकारों को प्रेरित करने और उनके कौशल को निखारने के उद्देश्य से इमैजिन फोटो जर्नलिस्ट सोसाइटी ने राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में 11वें जयपुर फोटो जर्नलिज़्म सेमिनार का आयोजन किया। एक दिवसीय इस आयोजन में फोटो जर्नलिज़्म, मीडिया, सरकार, सिनेमा और सामाजिक नेतृत्व से जुड़े अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने शिरकत की। सेमिनार में जयपुर के विभिन्न संस्थानों से आए मीडिया विद्यार्थियों और फोटोग्राफी उत्साहियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यक्रम में वक्ताओं के रूप में शामिल थे—गुरिंदर ओसान, फोटो एडिटर, पीटीआई; पुरुषोत्तम दिवाकर, अंतरराष्ट्रीय फोटो जर्नलिस्ट एवं डॉक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफ़र; ऋतु शुक्ला, अतिरिक्त महानिदेशक, पीआईबी एवं सीबीसी, जयपुर; अंशुमन शास्त्री, निदेशक, सेंटर फॉर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, बनस्थली विद्यापीठ; शेखर घोष, फ़िल्ममेकर, फोटो एडिटर एवं विज़ुअल स्टोरीटेलिंग कंसल्टेंट; नीरू यादव, सरपंच, लम्बी आहिर; रवि यादव, अभिनेता, लेखक एवं निर्माता; और हेमजीत मलू, निदेशक, वीणा म्यूजिक। इन सभी वक्ताओं ने पत्रकारिता, प्रशासन, तकनीक, फिल्म और सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़े अपने विशिष्ट अनुभव साझा किए।
सेमिनार की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय फोटो जर्नलिस्ट पुरुषोत्तम दिवाकर के उद्बोधन से हुई। उन्होंने कहा, “फोटो जर्नलिज़्म केवल तस्वीर लेना नहीं, बल्कि सत्य, संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता है। हर फ्रेम समय का दस्तावेज़ होता है और उसका उद्देश्य समाज में स्पष्टता, जागरूकता और मानवीय कहानियों को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करना है। युवा फोटोग्राफरों को ईमानदारी, धैर्य और जिज्ञासा को अपनाना चाहिए, क्योंकि प्रभावशाली तस्वीर वही होती है जिसके पीछे सच्चाई होती है।”
सेमिनार की मुख्य अतिथि ऋतु शुक्ला ने ज़मीनी स्तर की वास्तविक कहानियों को दस्तावेज़ करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “फोटो जर्नलिज़्म केवल घटनाओं को नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्षों और लोगों की दृढ़ता को भी दर्ज करता है। सूचना के तेज़ प्रवाह के इस दौर में विज़ुअल स्टोरीटेलिंग और भी जिम्मेदारी मांगती है। हर तस्वीर में ईमानदारी, करुणा और वास्तविकता को उजागर करने का संकल्प होना चाहिए।”
शेखर घोष ने डिजिटल युग में फोटो जर्नलिज़्म की बदलती भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “पच्चीस वर्षों के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि हमारा काम क्षण कैद करने से कहीं अधिक है—यह जिम्मेदारी निभाने का कार्य है। चाहे युवा कहानीकारों को प्रेरित करना हो, गलत सूचना से लड़ना हो या कठिन परिस्थितियों का दस्तावेज़ बनाना—सच्चाई और संवेदनशीलता हमेशा हमारे केंद्र में रहनी चाहिए।”
गुरिंदर ओसान ने कहा, “इस दुनिया में जहां अनगिनत तस्वीरें मौजूद हैं, वही तस्वीरें प्रभाव डालती हैं जो ईमानदार, संदर्भपूर्ण और मानवीय हों। एक सशक्त तस्वीर समाज को समझने में मदद करती है, और इसके लिए संवेदनशीलता व सत्यनिष्ठा अनिवार्य है।”
लोकप्रिय “हॉकी वाली सरपंच” नीरू यादव ने ग्रामीण समुदायों में खेल, विशेष रूप से लड़कियों के सशक्तिकरण एवं नेतृत्व के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन पर अपना प्रेरक अनुभव साझा किया, जिसने विद्यार्थियों को सामाजिक रूप से जागरूक कहानी कहने के लिए प्रेरित किया।
अंशुमन शास्त्री और रवि यादव की सत्रों में सिनेमा, लेखन और रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से संस्कृति और मानवीय भावनाओं के चित्रण पर विचार रखे गए। वहीं हेमजीत मलू ने लोक-संस्कृति, कहानी निर्माण और विरासत संरक्षण में विज़ुअल मीडिया की भूमिका पर चर्चा की।
11वां जयपुर फोटो जर्नलिज़्म सेमिनार युवा मीडिया विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरक मंच साबित हुआ। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाकर इस सेमिनार ने नैतिक स्टोरीटेलिंग के महत्व को रेखांकित किया और यह दर्शाया कि फोटो जर्नलिस्ट समाज में संवाद, संस्कृति संरक्षण और सकारात्मक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
