इस अवसर पर इंजीनियर कॉलेज बीकानेर के प्राचार्य डॉ जयप्रकाश भामु ने बताया कि इस लैब का उद्देश्य विज्ञान और इंजीनियरिंग के विभिन्न विषयों में लैब्स को दूरस्थ पहुंच प्रदान करना है। ये वर्चुअल लैब्स स्नातक स्तर ,पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के साथ-साथ अनुसंधान करने वाले छात्रों को अपनी जिज्ञासा अनुसार प्रयोगों का संचालन करने के लिए प्रैक्टिकल प्लेटफॉर्म देता है वर्चुअल लब कोऑर्डिनेटर ऋतुराज सोनी ने बताया की वर्चुअल लैब्स मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD), भारत सरकार के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (NMEICT) के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन के तत्वावधान में एक पहल है।
यह परियोजना बारह भाग लेने वाले संस्थानों की एक संघ गतिविधि है और आईआईटी दिल्ली समन्वय संस्थान है। वर्चुअल लैब्स प्रोजेक्ट के तहत, लगभग 900+ वेब-सक्षम प्रयोगों से युक्त 120 से अधिक वर्चुअल लैब्स को रिमोट-ऑपरेशन और प्रैक्टिकल को परफॉम के लिए डिज़ाइन किया गया है। कोआर्डिनेटर ऋतुराज सोनी ने बताया कि गत सप्ताह महाविद्यालय के विभिन्न विभाग अध्यक्षों , फैकल्टी व छात्रों को वेबिनार के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा चुका है ।
इसी क्रम में इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस विभाग में भी प्रशिक्षण दिया जा चुका है तथा आने वाले समय में समस्त विभागों के संकाय सदस्यों को तथा विद्यार्थियों को भी वेबीनार की मदद से प्रशिक्षण दिया जाएगा। आईआईटी। दिल्ली के वर्चुअल लैब मेन्टर प्रतीक शर्मा ने बताया कि वर्चुअल लैब्स प्रोजेक्ट के तहत पूरे देश में विभिन्न संस्थानों में इस तरह का अध्ययन कराया जा रहा है तथा बीकानेर के अभियंत्रिकी महाविद्यालय को नोडल सेंटर चुना गया है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ मनोज कुड़ी ने बताया कि।वर्चुअल लैब्स के व्यापक क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार ,कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग,इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग,मैकेनिकल इंजीनियरिंग, रासायनिकअभियांत्रिकी,बायोटेक्नोलॉजी और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग,सिविल अभियांत्रिकी,फिजिक्स एंड केमिस्ट्री विज्ञान है।
रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रवीण पुरोहित ने बताया कि इन वर्चुअल लैब्स की मदद से रसायन विज्ञानं के विभिन्न प्रयोगों को सिमुलेशन की मदद से सरलता से किया जा सकता है । इस लैब के माध्यम से स्टूडेंट्स घर पर ही फैकल्टी दवारा ऑनलाइन पढ़ाये गए प्रैक्टिकल को परफॉम कर सकता जिससे कोरोना जैसी महामारी के समय भी छात्र अपना अध्ययन निर्विघ्न रूप से जारी रख सकते हैं । सिमुलेशन-आधारित प्रयोगों को इंटरनेट के माध्यम से दूरस्थ रूप से एक्सेस किया जा सकता है तथा अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर ,राशि ,फैकल्टी व अन्य रसायनों की आवश्यकता नहीं पड़ती तथा विद्यार्थी जब चाहे तब इन प्रयोगों को वर्चुअल प्लेटफार्म पर कर सकता है । इस वेबीनार में कुल 35 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया तथा कार्यक्रम के अंत में ई-सर्टिफिकेट भी वितरित किए गए।