चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को सदन में एलान किया कि वे किसानों के प्रति नाइंसाफी के आगे सिर झुकाने की बजाय वह इस्तीफ़ा देने या अपनी सरकार बर्खास्त होने देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इन कृषि कानूनों के नतीजे के तौर पर राज्य की अमन-चैन और कानून व्यवस्था भंग होने और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ख़तरा खड़ा होने की आशंका जताते हुए चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और रोज़ी-रोटी पर लात मारने की कार्यवाहियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस्तीफ़ा देने से नहीं डरता। मुझे अपनी सरकार के बर्खास्त हो जाने का भी डर नहीं। लेकिन मैं किसानों को दुखों की भट्टी में झोंकने या बर्बाद होने की हरगिज़ इजाज़त नहीं दूंगा। कैप्टन ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय सिख सिद्धांतों पर हुए हमले का समर्थन या स्वीकृत करने की बजाय उन्होंने इस्तीफ़ा देने का रास्ता ही चुना था। कैप्टन ने केंद्र को किया आगाह केंद्र सरकार को हालात बिगड़ने को लेकर सावधान करते हुए कैप्टन ने कहा कि यदि कृषि कानून रद्द न किए गए तो गुस्साए नौजवान किसानों के साथ सडक़ों पर उतर सकते हैं, जिससे अफरा-तफरी फैल जाएगी।उन्होंने कहा कि इस समय पर जो बरताव हो रहा है, इससे शांतिपूर्ण माहौल में खलल पडऩे की संभावना है। उन्होंने कहा कि 80वें और 90वें के दशक के मौके पर भी ऐसा ही हुआ था। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की आपस में सांठ-गांठ है और वह राज्य के अमन-चैन को भंग करने के लिए इस मौके का लाभ लेने की कोशिश करेंगे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा खड़ा हो सकता है।
– किसानों से रेल रोको आंदोलन वापस लेने की अपील!
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मौजूदा स्थिति को लेकर बेचैन और परेशान हैं और केंद्र सरकार के फ़ैसले को समझना चाहते हैं कि कोविड के संकट में भी किसानों के लिए ऐसी विपदा क्यों खड़ी कर रहे हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चाहे वह रोष प्रदर्शन कर रहे किसानों के हक में डटकर खड़े हैं क्योंकि किसानों के पास अपने आप को और अपने परिवारों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ने से सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को रेल रोको आंदोलन और रूकावटें हटाने और ज़रूरी वस्तुओं की यातायात की आज्ञा देकर राज्य सरकार की मदद करने की अपील की है।_
सदन में विचार-चर्चा के लिए अपनी सरकार के चार बिलों को पेश करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के नाम पर वास्तव में उन्होंने ‘व्यापार कानून’ बनाए हैं। राष्ट्रीय मंडी तक पहुँच किसानों की नहीं बल्कि व्यापारियों की है। इस कारण कथित कृषि कानूनों में ‘ट्रेड एरिया’ का प्रयोग भी यही कह रहा है।