

जयपुर (हरीश गुप्ता)। सरकार को राज्य के शिक्षाविदों पर ज्यादा भरोसा नहीं है या दूसरे शब्दों में कहें तो इतने समझदार नहीं लगते कि उन्हें कुलपति पद पर बिठाया जाए। शायद इसीलिए राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में आधे से ज्यादा पर यूपी मूल के कुलपतियों का कब्जा है।
गौरतलब है 2 दिन पहले कुलाधिपति ने तीन अलग अलग आदेश में प्रोफेसर मनोज दीक्षित को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, डॉ. सुनीता मिश्रा को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर और गोविंद गुरु विश्वविद्यालय बांसवाड़ा में प्रोफेसर केशव सिंह ठाकुर को कुलपति पद पर लगाया है। गौरतलब यह भी है कि वर्तमान में राजस्थान में करीब 30 सरकारी विश्वविद्यालय हैं। इनमें करीब 70% में उत्तर प्रदेश मूल के कुलपति लगे हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो बीकानेर में लगे प्रो. मनोज दीक्षित मूलतः उत्तर प्रदेश के हैं और उदयपुर में लगी डॉ. सुनीता मिश्रा भी उत्तर प्रदेश की हैं, जबकि बांसवाड़ा में लगे प्रो. केशव सिंह मध्य प्रदेश से हैं। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है क्या राजस्थान में शिक्षाविदों की कमी आ गई? क्या राजस्थान के शिक्षाविद कुलपति बनने की योग्यता नहीं रखते?
सूत्रों की मानें तो कुलपति बनाने में झोल पहले से चल रहा है। एमएनआईटी में रिश्वत लेते पकड़े गए आर ए गुप्ता टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा के कुलपति थे। उनके बेटे या परिवार का कोटा में पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। नियमों से देखा जाए तो नहीं बनाया जा सकता था। आखिर किस मंत्री के इशारे पर कुलपति बनाया गया था। ये घूस किसे देने के लिए इकट्ठे कर रहे थे? ऐसे ही प्रो. अमरीका सिंह ‘बड़े पद’ वाले के गांव के बताए जा रहे हैं,अभी तक फरार चल रहे हैं। एक निजी विश्वविद्यालय की सर्वे रिपोर्ट का मामला था, वह अलग बात है कि अब रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। ऐसे में हो सकता है फिर किसी विश्वविद्यालय में लॉटरी लग जाए।
सूत्रों की मानें तो आरपी सिंह चर्चाओं में तब आए, जब निजी कॉलेजों को संबद्धता देने के मामले में उनका गार्ड रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। चर्चाओं पर यकीन करें तो सिंह रिवाल्वर रखते हैं। प्रश्न शिक्षाविद को पेन की जरूरत होती है या रिवाल्वर की? ऐसे ही डॉ. देव स्वरूप, जिन्हे डॉ.बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया जिन्हें उच्च न्यायालय ने अयोग्य माना। इसी तरह राजीव जैन के पास प्रोफ़ेसर का अनुभव ही पूरा नहीं है नतीजतन छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर में पोस्टर लगाने पड़े, ‘वीसी गायब है।’ वर्तमान में विधि विश्वविद्यालय के कुलपति का चार्ज डॉक्टर सुधि राजीव के पास है, जो कि विधि विषय से नहीं है। हां, पति जरूर वकील है और जोधपुर की रहने वाली हैं। पिता के संबंध ‘कई बड़े’ लोगों से हैं।
सूत्रों की मानें तो कई आरोग्य कुलपतियों के कारण यह कार्यकाल याद किया जाएगा। सरकार ममता बनर्जी का मॉडल अपनाती तो ठीक रहता है। उनके यहां कुलपति नियुक्ति की पावर मुख्यमंत्री के पास ही होती है।
