बीकानेर,बीकानेर के ज़िला उद्योग संघ में राजस्थान गौ सेवा परिषद द्वारा जीसीसीआई के संस्थापक डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया को प्रथम ‘राष्ट्रीय गौ उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें राजस्थान गौ सेवा परिषद की तरफ से एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया। डॉ. कथीरिया को यह सम्मान ‘गौ उद्यमिता’ के क्षेत्र में अथक प्रयासों के लिए दिया गया। सम्मानित करने वाले अतिथियों में लालेश्वर महादेव मंदिर के महंत स्वामी विमर्शानंद गिरि, सहकार भारती के राष्ट्रीय प्रमुख- श्री दीनानाथ ठाकुर, विशिष्ट अतिथि- विधायक जेठानंद व्यास, कार्यक्रम के अध्यक्ष- देवीसिंह भाटी, राजुवास के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग, पूर्व कुलपति डॉ. ए. के. गहलोत, भंवर लाल कोठारी के सुपुत्र हर्षवर्धन कोठारी और राजस्थान गौ सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा और उपाध्यक्ष अरविंद मिढ़ा, डी पी पचीसिया, अविनाश मोदी और देशभर से गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इसके अलावा इस समारोह में देशभर से जीसीसीआई के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

आपको बता दें कि राजस्थान गो सेवा परिषद ‘देशभर में गोपालकों को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले, गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बने’ इस उद्देश्य को लेकर साल 2016 से कार्यरत है और 13 राज्यों की 168 संस्थाओं के संपर्क में है। परिषद ने इस विषय पर देश-प्रदेश में कई राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन भी करवाकर राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, भारत सरकार के नीति आयोग और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का ध्यान आकृष्ट किया है। सरकार से ऐसी नीतियां बनाने के लिये जोर दिया जिससे गोपालकों को गोबर-गोमूत्र के भी दाम मिले, देश में गो उत्पाद आधारित उद्यमिता का नया सेक्टर विकसित हो। इस क्षेत्र में जीसीसीआई ने गौ-टेक सम्मिट करवाकर एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया था। ये गो उद्यमिता के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व काम था, जो डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया की अगुवाई में किया जा रहा था। डॉ. कथीरिया के इन्हीं प्रयासों को देखते हुए गौ-टेक सम्मिट में ही राजस्थान गौ सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा ने उन्हें ‘राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार’ से सम्मानित करने की घोषणा कर दी थी।

सम्मान समारोह के बाद जिला उद्योग संघ के कॉन्फ्रेंस रूम में जीसीसीआई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की पहली ऑफलाइन बैठक भी आयोजित की गई। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया।