बीकानेर। जिले के वायदा कारोबार की आड़ में डिब्बा ट्रेडिंग के जरिये करोड़ों की कमाई करने वाले डिब्बा माफियाओं की कुण्डली किसी के पास नहीं है। मोटी कमाई में माहिर इन माफियाओं पर शिंकजा कसने में पुलिस भी पूरी तरह नाकाम है क्योंकि पुलिस को इनके धंधे का पैर्टन ही पता नहीं है,आयकर विभाग वालों की जिम्मेदारी भी इनके कारोबार की निगाहबानी के बजाय के इनकी आयरकर रिर्टन की फाईलों को खंगालने तक ही सिमित है। भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) को डिब्बा ट्रेडिंग पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है लेकिन बीकानेर छोटा शहर होने कारण यहां डिब्बा माफिया अभी सेबी की नजर में नहीं चढे है।
जानकारी में रहे कि डिब्बा ट्रेडि़ंग पूरी तरह अवैध है. बाजार के जानकारों के मुताबिक कमोडिटी एक्सचेजों के मुकाबले डिब्बा कारोबार 4 गुना तक पहुंच गया है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक बड़े ब्रोकरेज फर्म के अधिकारी ने बताया कि बीकानेर में कमोडिटी एक्सचेंजों मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एवं डेरेवेटिव्स एक्सचेंज में रोज़ाना औसतन सौ-डेढ सौ करोड़ रुपये कारोबार होता है.जबकि डिब्बा ट्रेडिंग का वॉल्यूम एक पांच सौ करोड़ के पार जा चुका है। इससे हर पन्द्रह-बीस करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है,डिब्बा ट्रेडिंग के लिए न तो औपचारिकताओं की जरूरत है और न ही पैन कार्ड या केवाईसी की. इसके अलावा डब्बा ऑपरेटर ग्राहकों को कम से कम मार्जिन पर ज्यादा से ज्यादा कारोबार करने की छूट देते हैं. वैध ट्रेडिंग में लगने वाले टैक्स की वजह से भी डब्बा कारोबार की ओर निवेशकों का रुझान बढ़ता है।
जबकि कमोडिटी बाज़ार में ट्रेडिंग करने के लिए कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स समेत दूसरे कर चुकाने पड़ते हैं जबकि डब्बा कारोबार में किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है। इस दो नंबरी कारोबार में लिप्त डिब्बा माफिया बीकानेर में हर रोज पन्द्र ह करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचाते है। इसके अलावा डब्बा कारोबार में कालाधन का भी इस्तेमाल होता है, क्योंकि पैन जरूरी न होने इनकम टैक्स से बच जाते हैं. हालांकि यह गैरकानूनी तो है ही, उससे भी महत्वपूर्ण बात इसका सबसे अधिक नुकसान आम निवेशक को उठाना पड़ता है. कम मार्जिन पर अधिक ट्रेडिंग बाजार में भारी उतार-चढ़ाव हुआ तो भारी नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।