– रिपोर्ट – अनमोल कुमार
महामारी के दौर में बच्चे स्कूल नहीं जा सकते और खेलने बाहर भी नहीं जा सकते , दोस्तों से दूरी है केवल फोन व्हाट्सएप फेसबुक यूट्यूब मुख्य माध्यम हो गया है ।
आर्थिक परेशानियां भी बढ़ गई है इस हालत में बच्चों के मन पर चुनाव परिणाम वास्तविक है l बड़े बच्चे सब परेशान हैं सबका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है यही समय है बच्चों के मन को अपने साथ उनके विचारों को और मूल्यों मैं उनके विश्वास को बल देने का ।
बच्चों के साथ समय बिताने का समय तय करें — रोज इतना समय बच्चों के साथ खेलेंगे जैसे आधा घंटा एक घंटा इस दौरान मम्मी पापा कुछ और नहीं करेंगे बस बच्चों के साथ खेलेंगे । ऐसा तय करें और पूरी कढ़ाई के साथ इसका पालन करें ।इस समय मोबाइल लैपटॉप टीवी को बंद रखेंगे । खेल के दौरान आप बच्चों को ईमानदारी, हार जीत को सामान्य तौर पर लेना सबको बराबरी से मौका देना और समय की की मत समझना और उसके मूल्यों को सिखाना ।
आप तय करें कि हम क्या करेंगे? — बच्चों को तय करने दें कि दिन में घर के कौन से काम साथ मिलकर किए जाएंगे जिससे वह घर के काम करना सीखेंगे और आपके साथ समय भी बिता पाएंगे । उनको चुनने देने से उसमें योजना बनाने कामों को सूचीबद्ध करने और प्राथमिकता से करने का सलीका आएगा ।
रूटिंग बनाएं — महामारी के अनिश्चितता के दौर में अकुल आहट और बेचैनी बड़ों को भी होती है और बच्चे भी इससे अछूते नहीं है । ऐसी स्थिति में नियंत्रण नहीं हो सकता तो आज भी परेशान महसूस होती है ऐसे में उन कामों पर ध्यान देने से मदद मिलती है जिन्हें आप सहरसा और शकुन से कर सकते हैं l इसलिए विशेषज्ञ दिन का यह हफ्ते का रूटीन तय करने की सलाह देते हैं कल क्या करना है यह आज दिन भर मैं क्या काम कर लेते हैं ऐसा तब करने से आप अपने कामों में और बच्चे अपने कामों में व्यस्त रहेंगे जो अकुल आहट की जगह काम को पूरा करने की संतुष्टि मिलेगी ।
महामारी के सुरक्षा नियम को मजेदार बना दें — 20 सेकंड के हाथ धोने के समय के लिए कोई गाना बजाएं जिसे बच्चों के साथ मिलकर गाय या किसी धुन पर झूमे l बार-बार चेहरे को हाथ ना लगाएं बाहर न जाएं मोबाइल पर गेहूं ना खेलें अनावश्यक टीवी को ना देखें जैसे सभी को को सामने वाले बच्चे को पुरस्कृत करें वे अच्छी आदतें सीख जाएंगे ।

– टीनएजर का खास ख्याल रखें —
किशोर उम्र के बच्चे अपने मित्रों अपनी सोच अपनी दुनिया को अलग रखना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बड़े उन्हें नहीं समझ सकते l यह समय जो आप दोनों के साथ रहने का मिला है इसमें एक दूसरे को समझने की कोशिश करें साथ घूमने जाएं हर मुद्दे पर बच्चे की राय सुनने की कोशिश करें बात को काटे नहीं अच्छे से उसे अवगत कराएं ।
किशोर उम्र के बच्चों के साथ योगा व्यायाम करना भी एक अच्छा विकल्प है उन्हें कहे कि ओए तय करें कि कैसे बयान किए जाएंगे और यह न सिर्फ उनकी सेहत के लिए बल्कि आपके सेहत के लिए भी अच्छा होगा।