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महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक उलटफेर के बाद अब बिहार में भी असमंजस की राजनीति ने घर कर लिया है, यहां भी कई तरह के नये समीकरण बनाने व बिगाड़ने के लिए उठापठक की कोशिशें तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दलों ने एनसीपी में बड़ी टूट देखने के बाद अपने अपने घर संभालने शुरू कर दिये हैं। ये पूरी कवायद 2024 के आम चुनावों को लेकर हो रही है।
महाराष्ट्र में तो रोज राजनीतिक उलटफेर की खबरें आ रही है। कभी कोई विधायक भतीजे अजीत को छोड़कर चाचा शरद के पास जाता है तो कभी कोई भतीजे को छोड़ चाचा के पास आ जाता है। अब भी ये स्पष्ट नहीं है कि कितने कितने विधायक चाचा – भतीजे के साथ है। क्योंकि दोनों तरफ से विधायकों को अपने अपने पाले में लाने की कोशिशें चल ही रही है।
शिव सेना शिंदे की भीतर की स्थिति भी खास ठीक नहीं है, वहां भी विचलन की खबरें है। अजीत गुट के आने व 9 के मंत्री बनने के बाद कुछ और को भी मंत्री पद देने की बात ने शिंदे गुट के विधायकों में निराशा ला दी है। वे भीतर ही भीतर गहरे असंतुष्ट है। कुछ ने खुद उद्धव से संपर्क साधा है तो कुछ से खुद उद्धव के नेता संपर्क साध उलटफेर कराने की कोशिश में है। यदि एनसीपी व शिंदे गुट में कुछ अनहोनी हुई तो ज्यादा किरकिरी भाजपा की होगी। भले ही ये गुट राजनीतिक लाभ के लिए बने हों मगर सब इसमें हाथ तो भाजपा का ही मान रहे हैं। उसे फिर फायदा होने की जगह नुकसान ही होगा।
महाराष्ट्र में इस तरह की चल रही राजनीति को देखते हुए कांग्रेस सतर्क हो गई है। हालांकि अब वो राज्य में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है मगर टूट का डर तो उसे भी सता रहा है। इसी कारण कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई और राज्य की स्थिति पर गहन चर्चा की। अपनी सार सम्भाल का खाका तैयार करने के साथ बदली स्थितियों का पार्टी के लिए लाभ लेने पर सुझाव भी लिए। ताकि आगे की रणनीति बनाई जा सके। कांग्रेस अब भी महाअगाडी गठबंधन को मजबूत करने के ही पक्ष में है। इसीलिए पंवार से मिलने खुद राहुल गये थे।
बिहार के महागठबंधन को भी विखंडित करने की खबरें हवा में है। मांझी को भाजपा पहले ही तोड़ चुकी है और अब पासवान को साथ ला रही है। मगर उसके लिए महागठबंधन सबसे बड़ा रोड़ा है। जेडीयू व राजद ने अपने अपने विधायकों की बैठकें कर किला मजबूत करने की कोशिश की है। मगर अब भी वहां अस्थिरता की खबरें तेजी से चल रही है। कुल मिलाकर अनेक राज्यों में आम चुनाव से पहले काफी कुछ उठापठक की कोशिशें हो रही है, इसलिए सब अपने घर की किलेबंदी में लगे हुए हैं।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘