अविश्वास प्रस्ताव रखने के बाद विपक्ष दिल्ली के अधिकार कम करने वाले अध्यादेश को लेकर तैयारी में लग गया है। इंडिया गठबंधन को पता है कि भाजपा व सहयोगियों के पास प्रयाप्त संख्या है जिससे ये लोकसभा में तो पास हो जायेगा, मगर राज्यसभा में इसे पास कराने में सरकार को दिक्कत आयेगी। यदि बीजेडी और जगन रेड्डी ने साथ नहीं दिया तो पासा पलट सकता है।
केजरीवाल इंडिया गठबंधन में आये ही इसी शर्त पर थे कि उनको दिल्ली के अध्यादेश पर सभी दल समर्थन देंगे। इंडिया गठबंधन को मणिपुर के बाद इसी मुद्दे ने ज्यादा मजबूत भी किया है। क्योंकि ये अगले आम चुनाव से पहले की इंडिया गठबंधन की पहली परीक्षा है।
विपक्षी दल हालांकि मणिपुर के मुद्दे पर अभी भी एक है और केंद्र सरकार के खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में लाया गया है, उसको इंडिया गठबंधन का हिस्सा न होते हुए भी तेलंगाना के केसीआर ने समर्थन दिया है। अगर केसीआर दिल्ली के बिल पर राज्यसभा में भी गठबंधन का साथ देते हैं तो सरकार के लिए परेशानी खड़ी हो जायेगी। कांग्रेस विपक्ष को पूरी तरह से एक करने को कटिबद्ध है, इसका उसने प्रमाण भी दिया है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह गम्भीर बीमार है मगर उन्होंने निर्णय किया है कि वे व्हील चेयर पर बैठकर राज्यसभा में आयेंगे। विपक्ष की एकता को इस बात से भी मजबूती मिलेगी। मणिपुर भी इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों के सदस्य गये थे और संसद में सब के एक होने के कारण कामकाज नहीं हो रहा।
कल गठबंधन के सभी नेताओं को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे महामहिम राष्ट्रपति से भी मिले और मणिपुर की हालत पर बात की। वहां जाकर आये सांसदों ने भी स्थिति का आंखों देखा हाल बताया। इससे ये तो स्पष्ट है कि अविश्वास प्रस्ताव तो एक बहाना है, इस बहाने से विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर ही पीएम को घेरेंगे। पीएम को प्रथम दृष्टि तो मणिपुर उठी बातों का जवाब देना पड़ेगा, यदि वे जवाब नहीं देते हैं तो विपक्ष इसे मुद्दा बना जनता के बीच जायेगा ताकि अगले आम चुनाव का शंखनाद अभी से किया जा सके। विपक्ष ने एक होकर पहली बार 9 सालों में विपक्ष को घेरे में लिया, ये तो मानना पड़ेगा। भाजपा इस स्थिति से वाकिफ है इसीलिए उसने भी आज के लिए तो अपने सांसदों को व्हिप जारी कर रखी है। आगे के लिए भी सदन में उपस्थित रहने को कहा है। संसद में दोनों पक्षों के बीच की टकराहट को जनता तक ले जाकर कौन अपने पक्ष में करता है, यही अगले आम चुनाव का आधार बनेगा।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार