नई दिल्ली।दो दिन पहले अपनी जीवनी के दूसरे भाग के विमोचन पर एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य माने जाने वाले कद्दावर नेता शरद पंवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर देश की राजनीति में एक भूचाल ला दिया। यकायक आये इस बयान से एनसीपी सहित सभी राजनीतिक दल अचंभे में पड़ गये।
हालांकि इससे 10 दिन पहले पंवार ने एक बयान दिया था कि अब समय आ गया है जब तवे पर रोटी पलटनी चाहिए। उसी दौरान उनकी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने भी एक बयान में कहा था कि 15 दिन में दो बड़ें राजनीतिक निर्णय होंगे। पंवार के इस्तीफे को उन्ही बयानों के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। लग भी ये ही रहा है कि पिता – पुत्री के बयानों में इसी निर्णय का संकेत था।
पंवार के इस्तीफे से कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को तो अचंभा हुआ ही, भाजपा के महाराष्ट्र के नेता ज्यादा सकते में आ गये। उनके और भाजपा के आलाकमान के लिए ये निर्णय इतना जटिल हो गया कि तुरत फुरत में तो वे कुछ प्रतिक्रिया भी नहीं दे पाये। बाद में भी उनके नेताओं की प्रतिक्रिया बचाव वाली थी। इस बीच राहुल गांधी, नीतीश सहित कई विपक्षी नेताओं ने सुप्रिया सुले को फोन कर पंवार से बात कराने व उनसे इस्तीफा वापस लेने का आग्रह करने को कहा। दूसरी तरफ एनसीपी के नेता, कार्यकर्ताओं ने तो धरना देकर पंवार से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का दबाव बनाया हुआ है। भाजपा आक्रामक होने के बजाय बचाव में ज्यादा दिख रही है, जो किसी को समझ नहीं आ रहा।
इससे लगता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में पर्दे के पीछे कुछ खेल चल रहा था, जिसकी भनक पंवार को थी। उसी को लेकर ये कदम उन्होंने उठाया है। याद करें कि कुछ दिन पहले अजित पंवार के भाजपा में जाने की बात उड़ी, जिसे बाद में उन्होंने खारिज किया। शिव सेना उद्धव के संजय राउत ने शिंदे सरकार के गिरने का बयान दिया था। वहीं अजीत पंवार ने खुद की ईच्छा सीएम बनने की बताई थी। महाअगाडी गठबंधन तेजी से भाजपा के लिए मजबूत चुनोती बनता ही जा रहा था, जिससे भाजपा खेमे में हलचल थी। इन सब राजनीतिक घटनाक्रम की छांव में देखा जाए तो पंवार का इस्तीफा मास्टर स्ट्रोक है। जिसका बड़ा असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ना तय है। आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में कई बड़े बदलाव का आंकलन राजनीति के जानकार कर रहे हैं।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एनसीपी की मजबूती का मूल आधार शरद पंवार ही है। ठीक इसी तरह महाअगाडी गठबंधन की धुरी भी वे ही है। इसी के कारण इस्तीफे से राजनीतिक हलचल हुई है। राज्य में राजनीति की नई पटकथा लिखी जा चुकी है। वो क्या है, ये तो पंवार ही उद्घाटित करेंगे, जिसका आभाष उनके इस्तीफे पर निर्णय से हो सकेगा। मगर इतना तय है कि पंवार ने महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजनीति में इस्तीफा देकर भूचाल ला दिया है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार