राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप परीक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण दिशा में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय का नवाचार

डिजिटल मूल्यांकन से विश्वविद्यालय बनेंगे सशक्त, विद्यार्थियों का बढ़ेगा आत्मविश्वास : प्रो.विद्यार्थी कुलपति

बीकानेर।राजस्थान प्रदेश के तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र के विद्यार्थियों को बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय नई सौगात देने जा रहा है। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मंशानुरूप विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा प्रणाली की सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करते हुए प्रदेश में प्रथम बार तकनीकी विश्वविद्यालय में डिजिटल मूल्यांकन व्यवस्था को लागू कर दिया गया हैं। वर्तमान प्रौद्योगिकी के नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर परीक्षा प्रणाली में सुधारों का क्रियान्वयन करने वाला यह प्रदेश का प्रथम तकनीकी विश्वविद्यालय बन गया हैं। कुलपति प्रो.अंबरीष शरण विद्यार्थी ने कहा कि बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपना कर परीक्षा प्रणाली में अपेक्षित सुधारों के साथ विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का सार्थक प्रयास किया गया हैं। उच्च शिक्षा के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में निष्पक्ष, त्रुटि रहित और त्वरित मूल्यांकन प्रथाएं और समय पर परीक्षा परिणाम वितरण बहुत जरूरी है, जो कि वर्तमान में प्रचलित पारंपरिक परिक्षा प्रणाली मे संभव नहीं है। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली सफल परिणामों से तेजी से लोकप्रिय हो रही है। परंपरागत मूल्यांकन की पारंपरिक पद्धति समय लेने वाली है, त्रुटियों की संभावना है और अक्सर अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया को निर्बाध और त्रुटियों से मुक्त बनाने के लिए,“ऑनस्क्रीन डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली मूल्यांकन की सटीकता को बढ़ाएगी और त्वरित परीक्षा परिणामों के नवीन अवसर सृजित करेगी। डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली का उपयोग करके कम समय में अधिक संख्या में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जा सकता है। मैन्युअल मूल्यांकन की तुलना में डिजिटल मूल्यांकन में त्रुटियों की संभावना कम होती है। डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली का उपयोग मूल्यांकन प्रक्रिया को बहुत सरल और बेहतर बनाता है, और यह प्रणालियाँ अधिक कुशल, सुरक्षित और सटीक हैं। डिजिटल मूल्यांकन से देश में समग्र परीक्षा प्रणाली में बदलाव आने की उम्मीद है क्योंकि इससे मिलने वाली पारदर्शिता से छात्रों को लाभ होना तय है, जिससे छात्रों के आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। ई-लर्निंग के क्षेत्र में, डिजिटल मूल्यांकन किसी क्रांति से कम नहीं है।

आइए जानते है क्या है डिजिटल मूल्यांकन और क्यों है महत्वपूर्ण है?

परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुकेश जोशी ने बताया कि ऑनस्क्रीन मार्किंग प्रणाली के तहत, उत्तर पुस्तिकाओं को पहले विश्वविद्यालय में स्कैन किया जाता है और फिर पुस्तिकाओं को डेटा सेंटर में सुरक्षित स्थानांतरित किया जाता है। ऑनस्क्रीन मूल्यांकन प्रणाली के लिए सभी उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैनिंग की आवश्यकता होती है जिन्हें बाद में सर्वर पर अपलोड किया जाता है। मूल्यांकनकर्ता को उपलब्ध कराए गए एप्लिकेशन के माध्यम से, उत्तर स्क्रिप्ट को कंप्यूटर/लैपटॉप पर एक लॉगिन आईडी और वन-टाइम पासवर्ड के साथ एक्सेस किया जा सकता है जो पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है। डेटा सेंटर में होस्ट किए गए मार्किंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग किया जाता है और स्क्रिप्ट को सुरक्षित मोड में इंटरनेट के माध्यम से मूल्यांकनकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि मूल्यांकनकर्ता तब स्क्रीन पर उत्तर स्क्रिप्ट का मूल्यांकन करता है। मूल्यांकन के डिजिटलीकरण को ‘ऑनस्क्रीन मार्किंग’ कहा जाता है और यह छात्रों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही, पुनर्योग, पुनर्मूल्यांकन आदि आवेदन प्रक्रिया को भी बहुत जल्दी पूर्ण किया जा सकता है।साथ ही ऑनलाइन मूल्यांकन में अंकों की गिनती तुरंत और सटीक रूप से की जा सकती है।
उप कुलसचिव जय भास्कर ने बताया कि डिजिटल मूल्यांकन प्रणालियाँ परीक्षकों के सामने आने वाली चुनौतियों को सबसे कुशल तरीके से दूर करने में मदद करती हैं। ऑनलाइन मूल्यांकन प्रणालियों को अपनाने से शिक्षकों, परीक्षा प्रशासकों, विश्वविद्यालय और मध्यस्थों के लिए जीवन आसान हो गया है, जो परीक्षा के समय भारी मात्रा में तनाव से गुजरते हैं। उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन चुनौतीपूर्ण कार्य है। परीक्षकों को विभिन्न शिक्षा स्तरों के छात्रों की बड़ी मात्रा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने में कठिनाई होती है। ऑनलाइन मूल्यांकन प्रणालियों ने विशेष रूप से पेपर-आधारित मूल्यांकन के साथ आने वाली कठिनाइयों को समाप्त कर दिया है।