– मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट की मल्लिक कोठी में परम्परागत शैली में हुआ मंदिर निर्माण
– इमामी ग्रुप के राधेश्याम अग्रवाल व राधेश्याम गोयनका के संयोजन हो रही प्राण प्रतिष्ठा
– 28 फरवरी से संतों के सान्निध्य में आम जनसाधारण को होंगे श्री सिद्धिविनायक के दर्शन

कोलकाता. महानगर के लोगों को अब मुंबई के श्री सिद्धीविनायक स्वरुप के दर्शन बड़ाबाजार में ही नियमित रुप से होने लगेंगे. इलाके के मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट स्थित मल्लिक कोठी में श्री सिद्धीविनायक स्वरुप में भगवान श्री गजानंद विराजमान भी हो चुके है. मल्लिक कोठी में श्री सिद्धिविनायक के नवनिर्मित मंदिर में बीते सोमवार से ही मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है. गणपति पूजन, पुण्यावाचन, बाकी देवताओं के साथ नवग्रह, वास्तु पूजन, योगिनी मंडल, क्षेत्रपाल की पूजा के साथ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शुरु हो चुका है. महाराष्ट्र से आये पंद्रह विद्वान पुरोहितों ने वेेद मूर्ति चंद्रकांत नाम जोशी गुरुजी व प्रकाश साधले गुरुजी के सान्निध्य में मंगलवार को मूर्ति को विभिन्न फलों के रस से स्नान कराया. बुधवार को मंदिर में अन्य पूजन कार्यक्रमों के साथ 81 कलश से शिखर पूजन किया गया

मंत्रोच्चारण के बीच गणपति बाप्पा मोर् या, मंगल मूर्ति मोर् या के उदघोष के साथ मंदिर के शिखर पर ध्वजा फहराई गई. प्रसिद्ध कलाकारों ने भजनों का सुंदर कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया. प्रसिद्ध कथाकार पं. श्रीकांत शर्मा बालव्यास के पावन सान्निध्य में मंदिर के निर्माणकर्ता राधेश्याम- उषा अग्रवाल, राधेश्याम- सरोज गोयनका ने भगवान श्री गणपति का विधिवत पूजन किया. इस अवसर पर समाज के अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. आयोजन की देखरेख में लगे सुशील गोयनका, आदित्य अग्रवाल, मोहन गोयनका व धीरज अग्रवाल ने बताया कि कल गुरुवार को भी मंदिर में पूजा अर्चना का कार्यक्रम अबाद्ध रुप से चलता रहेगा. शुक्रवार 28 फरवरी को स्वामी श्री चिदानंद सरस्वतीजी, स्वामी श्री गोविंद देव गिरिजी, श्रीकांत शर्माजी ‘ बालव्यास’ , श्री अनुराग कृष्ण शास्त्री कन्हैयाजी जैसे विशिष्ट संतों के सान्निध्य में श्री सिद्धि विनायक के श्री चरणारविंद में देवस्थान अर्पण समारोह आयोजित होगा. इसके बाद सायं 4 बजे से आम जनसाधारण के लिए प्रभु के दर्शन सुलभ होंगे. उल्लेखनीय है कि मंदिर के निर्माणकर्ता प्रसिद्ध उद्योगपति राधेश्याम अग्रवाल व राधेश्याम गोयनका (इमामी ग्रुप) ने कभी इसी प्राचीन मल्लिक कोठी से ही अपने औद्योगिक यात्रा की शुरुआत की थी.

इस जगह से एक खास जुड़ाव और प्रभु के असीम कृपा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन स्वरुप उन्होंने इस भव्य मंदिर का निर्माण प्रभु की प्रेरणा से करवाया है. उल्लेखनीय है कि दो सौ वर्ष के इतिहास को अपने आप में समेटे इस मल्लिक कोठी के प्राचीन महत्व व ऐतिहासिकता को बरकार रखते हुए बंगाल के जमीन्दारों की विश्व आकर्षणीय ठाकुरबाड़ी की प्राचीन परम्परा और शैली में ही इस मंदिर का निर्माण कार्य किया गया है.