– नेता बने यह बीकानेरवासियों को रास नहीं आता
(हरीश गुप्ता)

बीकानेर से लौटकर।राजस्थान में अब चुनावी सीजन आ चुका है। चुनावी लड़ाके अपनी-अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं। सभी लड़ाकों ने अपने पोस्टर-बैनर लगाव कर संकेत दे दिया है कि वह वहां से चुनाव लड़ेंगे।
इसी क्रम में बात करते हैं बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र की। वर्तमान में शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला यहां से विधायक हैं। इस क्षेत्र में यूं तो लगभग सभी जातियां वोटर हैं, लेकिन पुष्करणा ब्राह्मणों की संख्या काफी अधिक है।
अब बात करते हैं समूचे बीकानेर की। महाराजा गंगा सिंह की इस नगरी का नेतृत्व करने के लिए पहली दरकार है कि बीकानेर वासियों की मन, वचन और कर्म से, पूरी ईमानदारी और निष्ठा से सेवा की गई हो। यहां का इतिहास है कि महाराजा गंगासिंह द्वारा यहां गंग नहर लाई गई, जिसे आज भी बीकानेरवासी भागीरथ के नाम से मानते हैं। रेगिस्तान होने के कारण पानी की अत्यंत कमी रहती थी। गर्मी में लोग मतीरे से प्यास बुझाते थे।
बात करते हैं देवी सिंह भाटी की उन्होंने बीकानेर की जनता की सेवा के लिए बड़े-बड़े ब्यूरोक्रेट से पंगा लिया। तब जाकर वह जनता के लाडले बने। ऐसे ही सिद्धि कुमारी के परिवार का त्याग और समाज सेवा बीकानेर वासियों की जुबान पर है। बाईसा के नाम से लोग उन्हें बहुत चाहते हैं, क्योंकि हर किसी की परेशानी को वे अच्छे से समझती है।
यह वही बीकानेर है, जहां की जनता ने बुलाकी दास कल्ला जैसे दिग्गज नेता को झटका दिया और रसगुल्ला कारोबारी गोपाल जोशी को जीता दिया। कल्ला ने ऊर्जा व शिक्षा मंत्री रहते बीकानेर को सौगातें दी। तब वे कल्ला बने। पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूढी को, जब कांग्रेस की सरकार बनी तब, हरा दिया। ऐसे में तल्लख नमकीन और रसगुल्ले की मिठास के मुरीद बीकानेरवासी एक बाहरी व्यक्ति को चुनाव कैसे जीता देंगे?
सूत्रों की मानें तो बड़े लोगों की जी-हजूरी करने वाला एक व्यक्ति बीकानेर पश्चिम से टिकट के सपने देख रहा है। उसे पता नहीं कि बीकानेर का मिजाज कैसा है। राजनीति में कामयाबी के लिए किसी भी क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक स्थिति से वाकिफ होना जरूरी है। आज की डिजिटल युग में तो स्थानीय होना पहली दरकार है।
सूत्रों ने बताया कि अब बीकानेर पश्चिम से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के सपने एक ऐसा व्यक्ति देख रहा है, जो बीकानेर का रहने वाला नहीं है।ऐसे में महज किसी के इशारे पर सत्ता के मद में आकर एक- दो छोटे-मोटे काम करके पोस्टर लगाने से कोई यहां का विधायक नहीं बन सकता। स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने कहा, ‘हम अच्छे-अच्छे को पानी पिला देते हैं। आने दो, उनका अलग तरीके से स्वागत होगा।’ ‘…हमारे बुजुर्ग नेता का सरकारी आवास पहले ही खाली करवा चुके हैं, उसका भी बदल लिया जाएगा।’