बीकानेर। देश की राज्य सरकारों में अशोक गहलोत सरकार की अपनी साख है। उनके विरोधी भी गहलोत के कुशल नेतृत्व क्षमता, कार्यशैली औऱ सरकार चलाने के तुजुर्बे का लोहा मानते हैं। फिर भी बढ़ते अपराध से सरकार की साख पर सवाल उठ रहे हैं। हद तो तब हो गई जब बीकानेर में एक ही दिन में दबंगाई की तीन घटनाएं हुई। इससे पूरे शहर में दहशत का माहौल बन गया। आईजी, एसपी औऱ पूरे पुलिस तन्त्र की इन घटनाओं को लेकर थू थू हो रही है। इसका एकदम से यह आकलन करना कि पुलिस संवेदनशील नहीं है गलत होगा। आईजी एसपी को निश्चय ही अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था की चिन्ता रहती ही है, परन्तु इन घटनाओं को कमतर लेना ठीक नहीं है। इससे पुलिस के उच्च अधिकारियों की प्रदेश में छवि बनती है। अफसरों के कार्यकाल का इतिहास बनता है और याद रखा जाता है। भाजपा नेता मोहन सुराणा के भाई के घर पर रात को फायरिंग, पत्थर बाजी औऱ आगजनी, कुछ घण्टों बाद कांग्रेस में प्रतिपक्ष के नेता रहे रामेश्वर डूडी के घरपर दबंगाई, शाम को जुगल राठी की कार पर फायरिंग की घटना बीकानेर पुलिस की साख से जुड़ गई है।
दबंगाई पुलिस को भी चेलेंज कर रहे हैं।। इन घटनाओं की प्रतिध्वनि दूर तक गई है। डूडी ने तो यहां तक कहा है कि वे मुख्यमंत्री से मिलेगें। ये घटनाएं चिन्ता का विषय है। कानून व्यवस्था को सख्त करने की जरूरत है। भाजपा के शिष्टमण्डल ने पुलिस अफसरों को जो सुनाया। समझदार को तो इशारा ही काफी है। मुख्यमंत्री, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री औऱ पुलिस के आला अफसरों को इस घटनाओं से अवगत करवाया गया है। इससे पुलिस अंतोगत्वा तो अशोक गहलोत की साख पर ही बट्टा लगा रही है।