कहते हैं ना एक ना एक दिन मेहनत रंग जरूर लाती है , इस बात को सबित कर दिखाया है अलवर पत्रकारिता के क्षेत्र मे युवा हस्ताक्षर सुनील जैन ने । अपने दम पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है । एक छोटे से गाँव से निकले इस युवा ने पत्रकारिताके क्षेत्र में झण्डे गाड़ रखे हैं । यही कारण है कि वो दिन में एक नहीं चार चार संस्थानों के लिए काम करते हैं और साथ मे अपने परिवार को भी बखूबी सम्भालते हैं ।
श्री सुनील जैन ऐसे गाँव से ताल्लुक रखते हैं जो कच्ची शराब के उत्पादन में बदनाम हैं । ये गाँव हैं रामगढ़ ब्लाक का बरवाड़ा । इस गांव में जैन परिवार का रहना ही अपने आप मे एक बहुत बड़ी बात है । इनका बचपन यही बीता लेकिन बाद में इनका परिवार नोगावा आ गया जहां इनके पिता जी ने अपना कारोबार स्थापित किया । इनके पिता जी का हाल ही में निधन हुआ ।और दो दिन पूर्व ही इनके चाचा जी का भी स्वर्गवास हो गया । एक साथ दो आत्माओं के चले जाना बहुत बड़ा इन पर वज्रपात हैं । ईश्वर दिवंगत आत्माओं के अपने श्री चरनों में स्थान दे । भगवान से यही प्रार्थना है, सुनील भाईको इस संकट की घड़ी से शीघ्र बाहर निकाले ।
सुनील जी ने 1992 में अलवर की और रुख किया।उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए स्टेशनरी की भी छोटी मोटी दुकान खोल ली । लेकिन वो ज्यादा दिन तक चल नही पाई बाद में ये ” न्याय “अखबार से जुड़ गए और इनका पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण हुआ। तब इस अखबार के सम्पदकीय का दायित्व श्री प्रमोद मलिक के कंधों पर था । इनके सहयोगी के रूप में जिनेश जैन, सन्दीप दुबे ,मनोहर लाल सैनी, हरिभूषण भाटिया, महेश चौहान आदि थे । प्रबन्दकीय वर्गमें श्री रामवतार वशिष्ट जी थे ।
जिनेश जैन और सुनील जैन दोनो नोगावा के रहने वाले हैं । उन दिनों ये दोनों रात 10 बजे अलवर से दिल्ली को चलने वाली बस से नोगावा जाया करते थे । न्याय में रहकर सुनील भाई ने आग उगलने वाली खबरे लिखी । जिससे शीघ्र ही इन्होंने पत्रकारिता में अपना मुकाम हासिल कर लिया ।
हमेशा प्रसन्न रहने वाले सुनील के चेहरे पर कभी निराशा के भाव नही झलकते। सदा हंस मुख , विनम, सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं । नकारात्मक सोच से कोसो दूर हैं । न्याय अखबार के बन्द होने के बाद ये राजस्थान टाइम्स में चले गए वहा भी खूब मेहनत की । जिसका परिणाम यह रहा कि ये राष्ट्रीय स्तर की समाचार एजेंसी यूनीवार्ता से जुड़ गए और अभी तक जुड़े हैं । राजस्थान टाइम्स से मुक्त होकर अरुण प्रभा में चले गए । यहाँ पत्रकारिता के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर सुनील बिज्जू के सान्निध्य में कार्य कर रहे हैं । 2008 में ये पंजाब केसरी से जुड़ गए । और वहाँ अपराध सम्बन्धित खबरे संकलित कर रहे हैं । खबरों को पकड़ने के मामले में आंख , कान , नाक सभी को चौकन्ना रहना पड़ता हैं । यानी आंख से खबर देखो , कान से सुनो और नाक से खबर की खुशबू सुंघु तभी पूर्ण पत्रकार होता है ये सब खूबी सुनील मे है ।
। भाई पर्यावरण प्रेमी भी हैं । सरिस्का की घटनाओं पर निरन्तर आंखे गड़ाकर रखते है । सरिस्का पर बहुत कम खबरे छूटती है । पत्रकारिता के साथ साथ शिक्षा सहकारी समिति में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं । इनकी एक प्यारी सी बिटिया अनुकृति हैं काफी प्रतिभाशाली हैं ।
सुनील भाई नवाचार पत्रकारों जे लिए प्रेरणा के स्रोत है । इनसे काफी कुछ सीखा जा सकता है ।
सुनील जी के उज्ज्वल भविष्य की हार्दिकशुभकामनाएं । आप दिनों दिन उन्नति के शिखरपर पहुचे । कहा सुना माफ । किसी साथी का नाम छूट गया हो तो हाथ जोड़कर माफी । (हरप्रकाश मुंजाल ,अलवर)
इन्होंने अलवर में अपना आशियाना भी बना लिया है इनकी