भ्रष्टाचार आज से नहीं युगो युगो से चला आ रहा हैं, बीच-बीच में इसके खिलाफ मुहिम तेज होती है तो यह सुस्त हो जाता है पर जैसे ही मुहिम सुस्त, यह बड़ा उन्मुख होकर फैलता है। सरकारी कर्मचारी के साथ आम जनता भी भ्रष्टाचार बढ़ा रही है। भ्रष्टाचार एक तरह से शोषण है और यह कई तरीको होता है पैसे लेकर, महिलाओं के शारीरिक शोषण या जमीन प्रॉपर्टी अपने नाम कराने के माध्यम से। पैसा सबसे ज्यादा प्रचलित माध्यम है और भ्रष्टाचारी में लगा पैसा एक नंबर का नहीं होता यह तो दो नंबर (उपरी) कमाई का होता है यह जिसका आयकर में कोई विवरण नहीं दिखेगा। मानो या ना मानो समाज में भ्रष्ट आचरण चरम सीमा पर है। पहले जो रिश्वत सौ रूपये की थी वह हजारों में और जो हजारो मे थी वह लाखों की हो गई। दुख होता है कई कोर्ट बाबू भी रिश्वत लेते है। पुलिस और अनेक नेता शुरू से बदनाम है। चुनावी दौर मे पार्टीया बड़ी बड़ी रैलियों और रोड शो का आयोजित करती है, यह सब चंदे (ब्लैक मनी) पर निर्भर है।
ब्लैक मनी का दूसरा पहलू टैक्सेशन स्ट्रक्चर हमारे यहां इतने सारे टैक्स और नियम लाद दिए की हर आदमी उनसे बचना चाहता है नतीजन ब्लैक मनी फलफुल रही है, कई खोजी लेखक पत्रकार सिर्फ यह बता सकते है कि यह कैसे हो रहा है पर सरकार की एजेंसी का काम है जितनी भी भ्रष्टाचारी गतिविधियां है उस पर कैसे अंकुश लगे। उसके लिए जरूरी है कि सरकार में ईमानदार व्यक्ति की भरमार और उनकी कद्र हो।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)