

बीकानेर। रमक झमक के भैरव तुम्बड़ी महोत्सव के आज समापन पर अनेक आयोजन हुवे जिसमें अनेक भैरव भक्तों शामिल हुवे।
-भोपा-भोपी ने बांच सुनाई फड़:-
राजस्थान के फड़ आर्ट कलाकरों द्वारा लगभग 50 वर्ष पहले हाथ से उकेरे लोक देवी देवताओं के चित्र का संकलन ‘फड़’ 15 बाई 5 दीवार के सहारे प्रदर्शित कर उस चित्रों के माध्यम से भोपा-भोपी ने भैरव जी के काली- कंकाली,गोरा-काला और लाडड़ला भैरुं जैसे गीत भजन गाकर भैरवनाथ की कथा का वर्णन किया। भोपा ने हाथ में रावण हत्था पर स्वर निकाले व पैरों में घुघरू बांधकर बीच बीच में भावपूर्ण नृत्य किया वहीं भोपी ने उसके साथ स्वर में स्वर व अलाप मिलाई। भोपा-भोपी के सहयोगियों ने पौराणिक वाद्य खंजरी, ढोलक, खड़ताल व मजीरा बजाया।
आयोजक व रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ने बताया कि यह लोक कला व लोक गायन शहरों से लगभग 30 वर्षों से लुप्त प्रायः हो गई। ग्रामीण क्षेत्र में अभी जीवंत है। वर्षों बाद शहर में ऐसा आयोजन दर्शकों, श्रोताओं तथा श्रधालुओं के लिये यादगार बन गया। भोपा का बीच बीच में खंजरी की वाद्य के साथ नृत्य रोमांच व भक्ति भाव पैदा करने वाला था। रविवार रात्रि भर चले आयोजन का लोगों ने खूब आनन्द लिया।
-फड़ गायक अब लुप्त:-
फड़ गायक मेहरचंद ने कहा कि अब इसको समझने वाले और ऐसे आयोजन करवाने वाले कम हो गए है जिससे उन जैसे लोगों को रोजगार के लिये अब मजदूरी या अन्य काम की ओर जाना पड़ रहा है। अगर ऐसे संरक्षित करने हेतु प्रयास नहीं किये गए तो आने वाली पीढ़ी इस तरफ नहीं जाएगी।
-समापन से पूर्व हवन:-
भैरव तुम्बड़ी महोत्सव समापन पर बटुक भैरव मंत्र व नामावली से हवन किया गया तथा आरती की गई ।समापन पर छोटुजी ओझा की रचना ‘सिद्ध तुम्बड़ी’ को श्रीमती रामकंवरी ओझा ,भंवरी देवी,गायत्री देवी,विजय लक्ष्मी आदि ने सामूहिक रूप से गायी।
तुम्बड़ी महोत्सव को सफल बनाने के लिये लड्डूगोपाल देराश्री ने आभार जताया।
-मेले की प्रथम पूजा
सियाणा भैरव मेले की छोटुजी परिवार परम्परागत पूजा मेले की पूर्व संध्या पँचमी को ही की जाएगी जिसमें बाबा को दूध गुड़ चूरमा भोग लगाया जाएगा।

