राजस्थान में पहला त्रिशूल स्थापित 16 फिट उच्चा एवं 05 चौड़ा है
विशेष डिजाइन यह त्रिशूल अब तक 10 ज्योतिलिंग में लगाया गया है

बाड़मेर। छिन्दवाड़ा उत्तरप्रदेश से विशेष डिजाइन त्रिशूल गुरुवार को विधि-विधान से मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर में महंत खुशालगिरी महाराज एवं नगर परिशद् के सभापति दीपक परमार के आतिथ्य में स्थापित किया गया। अमरनाथ ग्रुप की ओर से स्थापित त्रिशूल की पूजा का विधान नवीन दवे द्वारा कराया गया। अमरनाथ ग्रुप के जसवंत सिंह चौहान ने बताया कि चौरागढ़ पंच कमेटी,छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश ने 2013 में विशेष तौर डिजाइन कर पहला त्रिशूल महाकाल मंदिर ,उज्जैन में स्थापित किया था अब तक 10 ज्योतिलिंग में लगा चुका है। देष में विघ्यमान 12 ज्योतिलिंग में लगाने से पहले किसी और स्थान पर लगाने के लिए बनाकर नही दे सकते। लेकिन जब उन्हें भारत के पश्चिम के अंतिम छोर बाड़मेर बॉर्डर ओर यहां की संस्कृति के बारे में बताया तो हामी भरी। इस अवसर पर महन्त खुषालगिरी ने कहा कि ईष्वर जो चाहता वही होता है ये त्रिषूल इस बात का प्रमाण है। प्रतिश्ठा के चन्द दिनों बाद ही राजस्थान के पहले त्रिषूल के रूप में इसका यहां स्थापित होना। उन्होने उपस्थित भक्तांं को कहा कि सद् व्यवहार एवं मदद के भाव ही आपके सुखमय जीवन का मूल मंत्र है। सभापति दीपक परमार ने कहा कि इस त्रिषूल कि भव्यता बता रही है कि इसे डिजायन करने वाले महादेव के कितने बडे भक्त होंगे। में पूरी बाड़मेर की जनता की ओर से चौरागढ कमेटी का आभार व्यक्त करता हुं कि आपने थार नगरी का मान रखा। अमरनाथ ग्रुप के प्रवीण बोथरा ने बताया कि जितनी भव्य इसकी डिजाइन है उतनी ही इसके खासियत भी है। त्रिशूल स्टेनलेश स्टील से बना है त्रिषूल 16 फ़ीट उच्चा है। त्रिशूल का चौड़ाई (फन) 5 फ़ीट हैं। वजन 150 किलो से अधिक है।
ये है त्रिशूल की विशेषताएं- त्रिशूल की भुजाएं 05 फ़ीट की है जिसका अर्थ पंच तत्वों को माना गया है। शिव के गले मे विराजमान वासुकी सर्प की आकृति को उकेरा गया है। 2 फ़ीट से अधिक बड़ा डमरू को प्रकृति की छटाओं में संगीत को मधुरता से जोड़ा गया है। डमरू के ठीक ऊपर शिव के अंशावतार बजरंगबली की आकृति बल-बुद्धि का सूचक मानते हुए इस पर उकेरा गया है। 16 फ़ीट की ऊँचाई 16 कलाओं को ध्यान में रखते हुए निर्धारित रखी गई है। भोलेनाथ के सेवादार लोकेश विश्वकर्मा ओर नयन चौरसिया ने विशेष तौर से डिजाइन किया है।
आज होगी भव्य जागरण- मनोकामना पूर्ण महादेव मन्दिर में षिवरात्री को लेकर षनिवार को भजन संध्या का आयोजन होगा जिसमें गणेष सोनी विषाला अपन भजनों की प्रस्तुतियां देगे। मन्दिर पूजारी गजेन्द्र रामावत ने बताया कि रात में द्वादष ज्योतिलिंग पर रूद्राभिशेक का होगा जो पूरी रात चलेगा।

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