जयपुर, ।कन्ज्यूमर यूनिटी एण्ड ट्रस्ट सोसायटी (‘कट्स’ इंटरनेषनल) द्वारा आज भारत सरकार के नीति आयोग और ‘दि एषिया फाउन्डेशन’ के संयुक्त तत्वाधान में महापौर सम्मेलन का आयोजन किया गया। उक्त सम्मेलन ‘राजस्थान सिटी मेयर्स लर्निंग प्लेटफॉर्म’ परियोजना के तहत किया गया। सम्मेलन में राजस्थान के विभिन्न जिलों से महापौर एवं उप महापौर तथा स्थानीय निकायों के सभाध्यक्ष सम्मिलित हुएं। चर्चा में यह बात निकलकर आई कि शक्तियों के अभाव में शहरी निकायों की कार्य प्रणाली कमजोर रही है, जिस कारण कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।

सम्मेलन में भरतपुर के महापौर अभिजीत कुमार ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि जिस तरह से शहरीकरण हो रहा है तथा ग्रामीण क्षेत्रों से लोग षहरो ंकी ओर पलायन कर रहे हैं, इससे षहरों में बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। समस्याओं से निपटने हेतु जन प्रतिनिधयों को अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए कार्य करना चाहिएं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से पंचायत राज में सरपंचों के चुनाव बिना किसी पार्टी के होते हैं, उसी तरह शहरी निकायों में भी चुनाव होने चाहिए। शहरी निकायों को मजबूती प्रदान करने हेतु म्यूनिसिपल ऑथोरिटी बननी चाहिए।

सम्मेलन में ‘कट्स’ के निदेशक जॉर्ज चेरियन ने बताया कि महापौर सम्मेलन के माध्यम से सभी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों, महापौर एवं उप महापौर को अपनी कार्य प्रणाली पर विचार-विमर्ष के लिए अवसर प्रदान करता है। सिटी मेयर्स लर्निंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘कट्स’ द्वाा एक उचित माध्यम से शहरी षासन प्रणाली में आ रही परेशानियों को सरकार तक पहुंचाया जाता है।

सम्मेलन में स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त निदेशक संजीव कुमार पाण्डेय ने कहा कि शहरी निकायों में सभी जन प्रतिनिधियों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए। साथ ही, जन प्रतिनिधियों द्वारा जो भी अच्छे एवं बुरे कार्य किए जा रहे हैं, उन पर चर्चा होनी चाहिए एवं अनुभवों का आदान-प्रदान होना चाहिए। जन प्रतिनिधयों को अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर स्वच्छ प्रषासन की ओर बढ़ना चाहिए।

सम्मेलन में जयपुर ग्रेटर के उप महापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि राजस्थान के षहरी निकाय स्वच्छता रैंकिंग में बहुत पीछे है। शहरी निकायों में हमेषा बजट का अभाव रहता है जिससे बेहतर कार्य नहीं हो पाता है। राज्य सरकार को शहरी निकायों को शसक्त करना चाहिए।

डॉ. देबोलिना कुण्डु, प्रोफेसर, नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ अरबन अफेयर्स, नई दिल्ली ने अपने प्रस्तुतिकरण में राजस्थान के शहरी निकायों की स्थिति के बारे में बताया कि राजस्थान में शहरीकरण की रफ्तार धीमी है। षहरी निकायों के पास बजट की समस्या अधिक रहती है, साथ ही राजस्व जुटाने में भी पीछे है। षहरी निकायों को अपनी कार्य प्रणाली में एस.डी.जी. के मुद्दों को भी शामिल करना है।

प्रजा फाउन्डेशन के मिलिन्द महास्के ने अपने प्रस्तुतिकरण में शहरी निकायों की कार्य प्रणाली के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि षहरी जन प्रतिनिधियों का शहरों के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने शहरी सूचकांक 2021 का हवाल देते हुए राजस्थान के षहरों की खराब स्थिति का वर्णन किया।

महापौर सम्मेलन में राज्य के अन्य शहरों के नगर पालिका व नगर परिषदों के सभापतियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सभी षहरी जन प्रतिनिधियों ने कहा कि उनको शक्तियां प्राप्त होनी चाहिए तथा बजट पर्याप्त मात्रा में मिलना चाहिए, जिससे शहरों का विकास बेहतर तरीके से कर सकें। कुछ जन प्रतिनिधियों का सुझाव था कि षहरी निकायों की बेहतर कार्य प्रणाली के लिए समय-समय पर मुख्यमंत्री जी को भी अवगत कराते रहना चाहिए।

सम्मेलन में कोटा, भरतपुर, जयपुर, अजमेर नगर निगमों के महापौर, उप महापौर ने भाग लिया। अन्य जिलों से नगर परिषदों के अध्यक्षों एवं सभापतियों ने भाग लिया। सम्मेलन का संचालन ‘कट्स’ के अमर दीप सिंह ने किया।

You missed