

जयपुर। (ओम माथुर)। राजनाथ सिंह को राजस्थान में पर्यवेक्षक बनाने का यह संकेत है कि वसुंधरा राजे को मनाने की जिम्मेदारी उन्हीं दी गई,क्योंकि केंद्रीय राजनीति में अब राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी दो ही ऐसे चेहरे हैं, जो वसुंधरा के करीबी है और उस युग के साथी हैं,जब अटल- आडवाणी की भाजपा में तूती बोलती थी।
तमाम दबाव और ताकत दिखाने के बाद भी यह तय है कि मोदी-शाह वसुंधरा को किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे।लेकिन राजस्थान में राजे की जमीनी स्तर पर पकड़ और कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता भी वो जानते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें जीतने के मिशन में कोई बाधा ना आए, इसलिए राजे को राजी करने और भविष्य में सत्ता या संगठन में कोई सम्मानजनक स्थान देने के लिए उन्हें राजनाथ के माध्यम से शायद मना लिया गया हो। क्योंकि वसुंधरा उपेक्षा होने पर भाजपा का बिगाड़ा कर सकती है। अब राजनाथ सिंह विधायक दल की बैठक में मोदी और शाह के नाम का पता खोलेंगे। हो सकता है लोकसभा चुनाव के बाद वसुंधरा को किसी बड़े राज्य का राज्यपाल बना दिया जाए और उनके बेटे दुष्यंत सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिल जाए। क्योंकि वसुंधरा संगठन में रहकर मेहनत करे, इसमें संदेह है। अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका नगण्य रही है।
*इनकी मजबूत दावेदारी*
अभी मुख्यमंत्री के दावेदारों के नाम तो एक दर्जन चल रहे हैं । लेकिन मजबूत दावेदारों में मेरी नजर में केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव व अर्जुन लाल मेघवाल तथा ओम प्रकाश माथुर को माना जा सकता है। वैष्णव जहां प्रशासनिक कौशलता से भरे हैं। सौम्य हैं और मोदी के हर पैमाने पर खरे उतरे हैं। वही मेघवाल दलित चेहरा होने के साथ कि प्रशासन और राजनीति के दोनों की अनुभवी है। वै भी मोदी-शाह के करीबी है। जबकि को माथुर, मोदी के पुराने विश्वस्त और संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले चेहरा है। लेकिन मोदी और शाह की भाजपा में किसी भी नाम के भविष्यवाणी करना असंभव है,क्योंकि हमेशा बडे फैसले वो चौंकाने वाले लेते हैं। मोदी को राज्यों में नेतृत्व बदलाव का बेहतरीन मौका मिला है। साथ ही मोदी संगठन व सत्ता हर जगह अपनी और अपनी टीम बना देंगे।