

– राजस्थान में भाजपा की राजनीति गर्म
– जब तक विधायक होटलों में बंधक हैं, तब तक। – गहलोत सरकार बची हुई है-केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी।
नई दिल्ली।शुक्रवार को दिल्ली में राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कोई डेढ़ घंटे तक मुलाकात की। प्रदेश में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर नड्डा-राजे की मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस में सचिन पायलट की बगावत के बाद सीएम अशोक गहलोत कई बार इस बात को कह चुके हैं कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में अलग गुट बना हुआ है। कई मौकों पर गहलोत राजे की प्रशंसा भी कर चुके हैं। पायलट की बगावत के बाद गत एक माह में राजे ने सिर्फ एक बार बयान दिया है। इन चर्चाओं के बीच ही राजे ने 7 अगस्त नड्डा से मुलाकात की है। सूत्रों के माने तो राजे ने अपनी व्यथा नड्डा को सुनाई है। राजे की ओर से बताया गया कि प्रदेश में भाजपा संगठन की स्थिति कैसी है। राजे को यह भी शिकायत रही कि अनेक महत्वपूर्ण फैसलों में प्रदेश के नेताओं ने उनसे राय नहीं ली। पायलट की बगावत के बाद भाजपा के प्रदेश नेताओं को जो राजनीतिक भूमिका निभानी चाहिए थी, वैसी भूमिका नहीं निभाई गई। राजे का यह भी कहना रहा कि कई निर्दलीय विधायकों से जो सम्पर्क होना चाहिए था, वह नहीं हो सका। यही वजह है कि पायलट की बगावत को एक माह गुजर जाने के बाद भी करीब सौ विधायक अशोक गहलोत के साथ बने हुए हैं।मुलाकात के दौरान राजे ने कहा कि वे भाजपा की वफादार कार्यकर्ता हैं। इसलिए ऐसा कोई काम नहीं करेंगी जिससे कांग्रेस को फायदा होता हो। लेकिन राजे ने संगठन में अपने सम्मान पर जोर दिया। सूत्रों के अनुसार नड्डा ने राजे को भरोसा दिलाया है कि उनके सम्मान में कोई कमी नहीं रखी जाएगी।


लेकिन नड्डा का यह भी कहना रहा कि राजे अब राष्ट्रीय स्तर की नेता है,भाजपा में आज भी उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रखा है। नड्डा ने प्रदेश के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर राजे से विचार विमर्श किया। नड्डा ने जानना चाहिए कि जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 19 विधायक अलग हो गए हैं तब गहलोत सरकार की स्थिति कैसी है? सरकार गिराने में पायलट की भूमिका पर भी विचार विमर्श हुआ। इसी दौरान प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बारे में भी दोनों नेताओं के बीच वार्ता हुई। राजे ने माना कि कोरोना काल में लोगों को राहत देने में गहलोत सरकार विफल रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से ही राजे को अलग थलग कर दिया गया था। राजे को प्रदेश की राजनीति से अलग रखने के लिए भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया। लेकिन उपाध्यक्ष के तौर पर राजे ने सक्रियता नहीं दिखाई।
मौजूदा समय में प्रदेश संगठन राजे की सलाह के बगैर ही चल रहा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कभी भी राजे को लेकर प्रतिकूल बयान नहीं दिया। पूनिया ने हमेशा ही राजे को भाजपा का वरिष्ठ नेता बताया। लेकिन सीएम गहलोत ने पिछले दिनों जिस तरह राजे की प्रशंसा की, उससे कई सवाल उठे।


– 7 अगस्त को जहां पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात की। वहीं केन्द्रीय मंत्री और जैसलमेर के सांसद कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है।_ _चौधरी 7 अगस्त को जैसलमेर के दौरे पर रहे। जैसलमेर की जिस सूर्यागढ़ होटल में अशोक गहलोत के नेतृत्व में विधायक ठहरे हुए हैं, उसी होटल के निकट मीडिया से संवाद करते हुए केन्द्रीय मंत्री चौधरी ने कहा कि जब तक विधायक होटलों में बंधक हैं, तभी तक गहलोत सरकार बची हुई है। यदि विधायकों को मुक्त कर दिया जाए तो गहलोत सरकार गिर जाएगी। होटलों में बंधक बने हुए अनेक विधायक सचिन पायलट के पास जाना चाहते हैं। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों की बगावत में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। कांग्रेस में गहलोत के नेतृत्व को लेकर ही विरोध चल रहा है।


उन्होंने कहा कि यदि अगले साढ़े तीन साल विधायकों को इसी तरह बंधक बनाए रखा जाता है तो गहलोत सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में इस समय जन प्रतिनिधियों को बंधक नहीं बनाया जा सकता है। 7 अगस्त के चौधरी के जैसलमेर दौरे को लेकर भी राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि 7 अगस्त से ही होटल सूर्यागढ़ के अंदर और बाहर पुलिस के जैमर वाले वाहन तैनात कर दिए गए हैं। अब होटल के अंदर किसी विधायक से मोबाइल पर बात करना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही पुलिस के अधिकारियों के माध्यम से कोई विधायक अपने मोबाइल पर बात कर सकता है। जैमेर युक्त वाहन तैनात होने से कनेक्टीविटी में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।
