मुंबई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) मुखिया शरद पवार के साथ मुलाकात के बाद एनसीपी के विलय की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि मुलाकात में इस तरह की कोई बातचीत नहीं हुई। बता दें कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने पहली बार अपने सहयोगी दल के किसी नेता के साथ मुलाकात की।
इस बैठक के बाद ही ऐसी खबरें आने लगीं कि एनसीपी का कांग्रेस में विलय हो सकता है। हालांकि शरद पवार ने कहा, ‘राहुल मेरे आवास आए लेकिन यहां लोकसभा चुनाव के परिणाम और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। न कि एनसीपी की कांग्रेस के साथ विलय को लेकर। यह सब अफवाह है।’

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एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी कहा कि इस तरह की रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। नवाब मलिक ने कहा, ‘पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि यह प्रयास कांग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ताओं को असमंजस में डालने के लिए किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि एनसीपी कार्यकर्ता इस तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देंगे।’
विलय से कांग्रेस-एनसीपी को हो सकता है फायदा
एक कांग्रेस नेता ने बताया कि हालांकि एनसीपी और कांग्रेस के बीच विलय संभव नहीं है। वह कहते हैं, ‘लेकिन अगर यह होता है तो इससे एनसीपी और कांग्रेस दोनों फायदे में रहेंगे। लोकसभा में कांग्रेस की संख्या 51 से बढ़कर 56 हो जाएगी जो कि लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के लिए उपयुक्त है। आगे, कांग्रेस शरद पवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद दे सकती है। हालांकि इससे एनसीपी का अपना अस्तित्व खत्म हो जाएगा।’


पहले भी विलय कर चुके हैं शरद पवार
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन बुरी तरह फेल हो गया। महाराष्ट्र में एनसीपी को 4 और कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली। बता दें कि शरद पवार ने 1983 में कांग्रेस से अलग होकर कांग्रेस सोशलिस्ट बनाई थी लेकिन 1986 में औरंगाबाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में उन्होंने इसका कांग्रेस में विलय कर दिया। 1999 में पवार फिर से कांग्रेस से अलग हो गए और एनसीपी का गठन किया।