-हाउसिंग बोर्ड में 2013 में चालू हो गया था नागरिक सेवा केंद्र, फिर शुरू किया
– हरीश गुप्ता
जयपुर। नई पैकिंग में पुराना माल। यह बात कई बार सुनने में आई, लेकिन इस बार देखने को भी मिल गई। आवासन मंडल ने यह भी कर दिया। 2013 में जिस नागरिक सेवा केंद्र की शुरुआत हुई, उसे फिर से लांच कर दिया।
गौरतलब है मंडल के आयुक्त पवन अरोड़ा ने बुधवार को नागरिक सेवा केंद्र की शुरुआत की। इस केंद्र के बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि 2013 में परसराम मोरदिया मंडल के अध्यक्ष और नीरज के पवन आयुक्त थे, इसकी शुरुआत की गई थी। उस समय भी लाखों रुपए खर्च किए गए थे।
सूत्रों ने बताया कि अब इसका फर्नीचर बदला गया और कुछ अन्य बदलाव के साथ कुछ रिनोवेशन कर इसे फिर से शुरू किया गया है। फिलहाल कोई खर्च बताने को तैयार नहीं है। मंडल में फिजूलखर्ची की चर्चाएं आम है और दूसरी ओर ऐसे कितने लोग आज भी दस्तावेज लेकर मुख्यालय में घूमते नजर आ जाएंगे जिनकी जमीन बोर्ड ने हथिया ली और उनको आज तक भुगतान नहीं हुआ।

सूत्रों की मानें तो बोर्ड की देनदारी लेनदारी से ज्यादा है। फिर यह फिजूलखर्ची क्यों? एक मूर्ख व्यक्ति भी जानता है कि उधार का घी खाने से कभी सेहत नहीं बन सकती। मगर आश्चर्य है बोर्ड के आला अधिकारियों को यह बात समझ में नहीं आ रही। करना तो यह चाहिए था कि नागरिक सेवा केंद्र की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन? उसका पता करके उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती तो रिनोवेशन पर इतना पैसा खर्च नहीं होता।

एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि विभाग के मंत्री और सरकार की बोर्ड के कार्यकलापों पर नजर क्यों नहीं पड़ रही? भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) क्या किसी शिकायत का इंतजार कर रहा है? पिछले दो-तीन सालों में बोर्ड का लेखा-जोखा चेक करने की क्या किसी की हिम्मत नहीं? बोर्ड में विज्ञापनों का क्या खेल? किसी के समझ नहीं आ रहा? दिल्ली के पत्रों पर मेहरबानी क्यों? यह सब सोचनीय बिंदु है जिन पर विचार करना आवश्यक है।