बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस-विशाखापट्नम में गैस लीक से हुई मौते,औरंगाबाद में रेल पटरी पर हुई मौत और तमाम जगहों पर हो रही औद्योगिक दुर्घटना तथा सड़को पर हो रही भूख और सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मजदूरों की मौत पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। बाद में माले के नेताओ ने कहा कि सरकार नाकाम है और मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है इन घटनाओं से पहले लॉकडाउन के कारण 300 से ज्‍यादा मौतें हो चुकी है।ये सांस्थानिक हत्या है जिसके जिम्मेदार सीधे तौर पर केंद्र व राज्य सरकार है। इस लंबे घरबन्दी के दौरान सबसे ज्यादा बुरा हालात मजदूरों की हो गई है।

जिसे राशन वगेरह की भी दिक्कत हो गई है।संसाधनों की कमी के कारण हज़ारो मजदूर पैदल चल चुके है।कई जगहों पर मजदूरों को गैरकानूनी रूप से बंधक बनाने की खबर है और बिहार से मजदूरों को वापस भी भेजा जा रहा है। माले मांग करता है कि तत्काल इसपर रोक लगाए ।मजदूरों को तत्काल लोकडॉन भत्ता के रूप में 10000 रुपया और मारे गए मजदूरों के परिजन को 20 लाख मुआवजा दिया जाए।शोक सभा मे माले के जिला सचिव जयनारायण यादव,इंकलाबी नौजवान सभा के अधिवक्ता राजेश कुमार गजेश,आइसा के डॉक्टर अमित कुमार ,सुधीर कुमार सुधांशु व विनय बिहारी उपस्थित थे

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