-प्रदेश में “इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सोल्युशन विद ईप्रिजन” अपडेट

जयपुर, (दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। राजस्थान उच्च न्यायालय बेंच जयपुर के सभागार में मुख्य न्यायाधीश श्रीमान् पंकज मित्थल ने “इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सोल्युशन विद ई-प्रिजन ( Integrated Software Solution with ePrison ) ” प्रोग्राम को ई-लाँच किया।
राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार कम सी.पी.सी. बालकृष्ण गोयल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हाल ही में न्यायाधीश श्रीमान् संदीप मेहता और न्यायाधीश श्रीमान् कुलदीप माथुर साहब की खण्डपीठ ने आपराधिक रिट याचिका संख्या 295/2021, राकेश बनाम राज्य मामले की सुनवाई के दौरान दिनांक 06.12.2022 को एक ऐसा प्रोग्राम क्रियान्वित करने का आदेश पारित किया था, जिसमें न्यायालय के प्रकरणों से जुड़े विचाराधीन बंदियों की सारी सूचना जेल प्रशासन के ई- प्रिजन सॉफ्टवेयर से प्राप्त की जा सके। स्टियरिंग कमेटी के अध्यक्ष न्यायाधीश श्रीमान् अरुण भंसाली के मार्गदर्शन में राजस्थान उच्च न्यायालय की तकनीकी टीम ने अल्प अवधि में ही इस आदेश को मूर्त रुप प्रदान कर उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायपालिका के समस्त न्यायालयों के लिए उक्त प्रोग्राम का निर्माण कर मुख्य न्यायाधीश के कर कमलों से इसे ई लॉंच करवाया।
पूरे देश में राजस्थान उच्च न्यायालय प्रथम पंक्ती पर
ई-लॉचिंग कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि कोविड- 19 महामारी के समय से ही कम्प्यूटराईजेशन, डिजीटलाईजेशन, ई-फाइलिंग, पेपरलेस कोर्ट व वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में तकनीकी क्रांति आयी है। न्यायपालिका को टेक्नो सेवी बनाने के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी. वाई चंद्रचुड़ के स्वप्न की ओर अपना महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की तकनीकी टीम ने राज्य सरकार द्वारा राज्य की विभिन्न जेलों में निरुद्ध बंदियों के लिए बनाये गए ई प्रिजन सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को न्यायालय में चल रहे केस इन्फोरमेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर से इंटीग्रेट करते हुए एक नया प्रोग्राम बनाया है, जिसका नाम “इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सोल्युशन विद ईप्रिजन रखा है। ऐसा करने वाला राजस्थान उच्च न्यायालय पूरे देश का प्रथम उच्च न्यायालय बन गया है। कार्यक्रम
में मुख्य न्यायाधीश ने राज्य के समस्त न्यायिक अधिकारियों को विचाराधीन बंदियों के रिमाण्ड व विचारण में उनकी उपस्थिति अधिक से अधिक विडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से करवाने और ऐसे प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण की भी अपील की है।
कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश श्रीमान् संदीप मेहता ने जानकारी दी कि इस प्रोग्राम के माध्यम से किसी भी मुकदमें में यदि कोई अभियुक्त जेल में न्यायिक अभिरक्षा भुगत रहा है तो न्यायालय को उसकी समस्त जानकारी जो कि ई प्रिजन सॉफ्टवेयर में प्रविष्ठ है जैसे कि वह – कब से अभिरक्षा में है, उसने कितनी अवधि अभिरक्षा में व्यतीत कर ली है, वह अन्य किसी आपराधिक मामले में भी अभिरक्षारत है या नहीं अथवा पहले कभी रहा या नहीं इत्यादि तुरन्त उपलब्ध हो जायेगी। ये जानकारी उस मामले के न्यायपूर्ण एवं शीघ्र विनिश्चय के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। इसके अतिरिक्त जेल में अभिरक्षारत अभियुक्त को भी अपने मामले की प्रगति के बारे में पूर्ण जानकारी मिलेगी, जो कि उसका संवैधानिक अधिकार भी है।
ई-लॉचिंग के बाद NIC के सीनियर तकनीकी निदेशक श्री शशिकांत शर्मा ने प्रोग्राम का ऑनलाईन प्रजेन्टेशन दिया। इस अवसर पर न्यायाधीश श्रीमान् मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने अवगत कराया कि इस कार्यक्रम से प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर विचाराधीन कैदियों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दी जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता के मामले में भी काफी सहयोग मिलेगा। स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष न्यायाधीश श्रीमान् अरुण भंसाली ने उच्च न्यायालय की तकनीकी टीम को बधाई देते हुए न्यायालयों की दैनिक सुनवाई में इस प्रोग्राम को काफी उपयोगी बताया। कार्यक्रम में मुख्य पीठ जोधपुर के सभी न्यायाधीश विडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से जुड़े। इनके अलावा प्रमुख शासन सचिव आनन्द कुमार, डायरेक्टर जनरल (जेल) भूपेन्द्र कुमार दक, अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल (जेल) श्रीमती मलीनी अग्रवाल, राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी जितेन्द्र कुमार वर्मा एवं रजिस्ट्री व राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सभी अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। अंत में रजिस्ट्रार जनरल चन्द्रप्रकाश श्रीमाली ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया।

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