

– सरकार पर नजर रखने केन्द्र का गुप्तचर तंत्र सक्रिय
ओम भाटिया की कलम से -वॉइस ऑफ हक
जैसलमेर । एक तरफ अपनी सरकार को सुरक्षित करने के लिये मुख्यमंत्री गहलोत व उनके सलाहकार नेता खुफिया तंत्र का ही सहारा ले रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की होटल के भीतर की गतिविधियों व उनके समर्थकों की संख्या भापने के लिये केन्द्र की गुप्तचर एजेन्सियों के सक्रिय होने का भी अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है । जहां सरकार का खुफिया तंत्र होटल के भीतर और बाहर संदिग्ध विधायकों व संदिग्ध तत्वों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख कर पल पल की रिपोर्ट मुख्यमंत्री तक पहुंचा रहे हैं वहीं ऐसी आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि केन्द्रीय गुप्तचर एजेन्सी के कुछ लोग होटल के भीतर घुस सरकार व विधायकों की गतिविधियों की खबर गहलोत विरोधी खेमे तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत हो या फिर विरोधी खेमा, दोनों ही खेमे खुफिया तंत्रों के भरोसे अपनी अपनी सफलता की कोशिशों में जा लगे है।


वर्तमान में गहलोत सरकार बहुमत में है ऐसा मान कर चला जा रहा है। यही कारण है कि विधानसभा सत्र बुलाने का दबाव बनाकर 31 जुलाई तक बहुमत साबित करने की बात कही जा रही थी ताकि बहुमत को लेकर किसी प्रकार का विवाद शेष ना बचे। लेकिन सत्र को 13 अगस्त से प्रारम्भ करने के बाद बीच के इस लम्बे समय में कुछ विधायकों के मन डांवाडोल कर सरकार को अस्थिर करने के प्रयास तेज हो गए है।


– खुफिया तंत्र सक्रिय, संदिग्ध विधायकों पर रखी जा रही है नजर
विधायक मंत्रियों की बाड़ेबन्दी में उपस्थित संख्या व साथ रहने का मिल रहे आश्वासन से सरकार बहुमत के नजदीक तो पहुंची ही हुई है,इसके बावजूद कुछ विधायक आज भी सरकार की रडार पर है, जो अन्तिम वक्त में सरकार को धोखा दे सकते हैं। होटल सुर्यागढ में आवाजाही पर बिल्कुल रोक लगा रखी है। कुछ मंत्री व विधायकों को छोड़ दे तो अन्य लोगों के बाहर आने जाने पर पाबन्दी है। जो कोई बाहर निकलते है तो सुरक्षा कर्मी के रूप में खुफिया तंत्र के लोग उनके साथ में होते है जो बराबर अपनी पैनी नज़र उनकी गतिविधियों पर बनाये रखते है। यदि यह कहे कि खुफिया तंत्र पर ही सरकार का सारा दारोमदार जा टिका है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
बताया जाता है कि सरकार के पास ऐसे विधायकों की सूची है जो आज भी विश्वासनीय नहीं माने जाते, जिनके ऐनवक्त पर पाला बदलने की सम्भावनाएं गहराई हुई है। बताया जाता है कि ऐसे विधायकों पर खुफिया तंत्र के जरिये विशेष नज़र रखी जा रही है। सूत्रों पर भरोसा करें तो फिलहाल 5 अगस्त राममंदिर शिलान्यास समारोह तक तो कोई बड़ी गतिविधि नहीं होनी उसके बाद शेष बचे हुए एक सप्ताह के समय में ही सारा खेल प्रारम्भ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।


– केन्द्रीय गुप्तचर तंत्र भी सक्रिय
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सरकार के लिये राज्य सरकार का खुफियातंत्र सक्रिय हो कर काम कर रहा हो। होटल के भीतर सरकार समर्थक कितने विधायक है, दूसरी होटल में कौन-कौन ठहरे हुए है। कुल कितनी संख्या सरकार के पास है। होटल के भीतर किस प्रकार की गतिविधियां चल रही है। कौनसे मंत्री सरकार बचाने की मुहिम में जुटे है तो कौनसे विधायक कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं। इन सब पर नज़र रखने के लिये केन्द्र के गुप्तचर तंत्र के सक्रिय होने की पूरी सम्भावना व्यक्त की जा रही है। ऐसी भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि केन्द्र के कुछ गुप्तचर होटल के भीतर विधायकों व सरकार के बीच मौजुद है तथा हर पल की जानकारी वह अपने आकाओं तक पहुंचा रहे हैं। ऐसे में अब सारा खेल गुप्तचर एजेंसियों पर जा टिका है।
