– देवकिशन राजपुरोहित
आज गांव के लोग अपनी बोरियां ले कर घरों से जल्दी ही निकल गए।आज गरीब लोगों को मुफ्त में अनाज वितरण होना था।अनाज देने वाले ने सब को सूचित कर दिया था।राशन वितरक की दुकान पर गरीब लोग सुबह से ही लाइन में लग गए थे।जल्दी जाने के अनेक कारण थे।कही चूक गए तो फिर पता नहीं दुबारा राशन कब आए।गर्मी है जल्दी में ले आएं।जल्दी जाओ जल्दी पाओ का भी नियम है।
गांव के लगभग सभी लोग थे जिसमें बूढ़े,महिलाएं और बच्चे भी थे।
सब से पहले स्थान पर जो गरीब था वह कितना गरीब था देखिए घर बहुत बढ़िया बना रखा है।कूलर,फ्रिज,टीवी तो है ही क्योंकि बेटा सरकारी लेकचरार जो ठहरा मगर यह गरीब है।संपन्नता है या गरीबी यह तो वही जाने मगर लोगों के अटके काम निकालने के लिय यह तीन से पांच रुपए सैकड़ा ब्याज पर लोगों को उधार भी देता है।जमीन है इस लिय यह किसान भी है तो इसे किसान निधि भी मिलती है।उम्र में सत्तर साल का हो गया इस लिय पति पत्नी दोनों को वृद्धावस्था पैंशन भी मिलती है फिर भी गरीबी है कि उसका दामन नहीं छोड़ती।इसी लिए मुफ्त में राशन की लाइन में सुबह जल्दी ही आ गया।
लाइन में से एक आदमी ने उसे टोक दिया बोला भले आदमी तेरे को तो शर्म आनी चाहिए जो तू भी गरीबों का हक मारता है।

वह बूढ़ा पीछे मुड़ा जैसे किसी ने साप की पूंछ पर पैर रख दिया हो।वह गुर्राया और बोला तू कौनसा गरीब है।तेरे बेटे कलकत्ता में करोड़ों कमाते हैं।लाखो रुपए इंकमटेक्स भरते हैं।क्या कमी है तेरे।बेटे बहू हवाई जहाज से आते हैं तू भी तो हवाई जहाज से जाता है।चुप कर,मेरा मुंह मत खुलवा।
बिना लाइन बैठा एक गरीब सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था।किसी ने उसके मुस्कुराने का कारण पूछ लिया जो गरीब बना लाइन में लगा था।
उस गरीब ने उत्तर दिया ये क्यों लड़ रहे हैं।फिर यह लाइन तो सभी अमीरों की है मगर इनके अंदर जो मुफ्त का लेने की होड़ लगी है वास्तव में सही है क्योंकि इन्होंने जीवन में भूख बहुत देखी है वह भूख इनके कलेजे से निकाल नहीं रही है।और मैं तो गरीब था,गरीब हूं क्योंकि आप लोगों के रहते मेरा नम्बर पिछली बार भी नहीं आया और आज भी मुश्किल है।दिन भर मजदूरी करता हूं।आज की मजदूरी भी गई और राशन मिलने की कोई गारंटी नहीं।
तभी एक लडकी बोली क्यों झिक झीक कर रहे हो।जो मिलता है ले लो।जो पहले लाइन में लग गया वही तो लेगा ।तुम्हारी नींद देरी से खुली तो हम क्या करें।इस लड़की ने ग्रेजुएट कर रखा है इस लिय यह मात्र साढ़े तीन हजार बेरोजगारी भत्ता लेती है।दादा बूढ़ा है।किसान है।उसे वृद्धावस्था पैंशन और किसान सहायता भी मिलती है।उसने मास्क भी लगा रखा था।लोग उसकी खिल्ली उड़ा रहे थे।
एक तरफ बिना लाइन में लगी महिलाएं आपस में बातों में महगुल थी।एक कह रही थी तुमने सुना क्या वह अपने पति को छोड़ कर पराए मर्द के यहा रात को जाती है।दूसरी बोली फिर भी घर तो नहीं छोड़ा वो,,।समझ गई न,पति को छोड़ कर पहले मायके गई और किसी और के साथ गृहस्थी बसा लो।तिसरी बोलो छोड़ो इन बातों को जो कोयले खाएगा उसी का काला मुंह होगा।महिलाएं बड़ी मुश्किल से इसी बहाने निकलती है और सब से अंत में अपना राशन लेती हैं।
वह मजदूर बोला अगर अमीर लाइन में न हों तो हमे लाइन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती मगर तुम लोगों के कारण हम वंचित रहते हैं।
एक आदमी बोला गर्मी चढ़ रही है।यह अनाज वितरक पता नहीं कहा मर गया।घर जा कर शहर भी तो जाना है।केसीसी माफ हुई थी।दुबारा भी तो उठानी है।जल्दी जाएंगे तभी तो ले पाएंगे।उसके लड़के को बेरोजगारी भत्ता मिलता है मगर अभी खाते में जमा नहीं हुआ।उसका भी पता करना है।
तभी राशन वितरक आ गया।दुकान खोली।गले को रखा तराजू बाटो की अगर बत्ती से पूजा की फिर वह पहले आदमी का मशीन में अंगूठा लगवाया और तोलने लगा।जब दो किलो कम तोला तो वह बोला कम क्यों दे रहे हो।वितरक बोला इस बार हर बोरी में दस किलो अनाज कम आया है।मै घर से पूर्ति थोड़े ही करूंगा।फिर तुम्हारे क्या फर्क पड़ता है। यो भी ऊपर वाले कहते हैं कुछ नाम काटने हैं यह तो मैं हूं जो चला रहा हूं।उसने कहा ठीक है।काटलो भाई क्या फर्क पड़ता है।सभी कम ले रहे थे क्योंकि वे कौन से दूध के धुले थे।
लाइन में एक आदमी ने जर्दा लगाया।दूसरे की मनुहार की तो उसने थोड़ा सा लिया और बोला जर्दा जो जितना और चूर्ण चिमटी भर ही लेना चाहिए।कुछ लोग बीड़ी पी रहे थे।एक जवान ने आगे खड़े आदमी से माचिस मांगी।उसने दे दी।जवान ने सिगरेट सुलगाई और माचिस वापस करदी।माचिस वाला बुदाबुदाया लोग सिगरेट पियेंगे मगर माचिस नहीं रखेंगे।कोई बात नहीं।

अचानक हल चल सुरु हो गई।एक हीरो या विलेन आ गया।जींस पहने हुए। हाथ में सोने के कड़े।गले में मोटी चैन पहने हुए।बाल बढे हुए।महंगा मोबाइल कान से लगाए हुए ।दाढ़ी भी किसी हीरो की स्टाइल में थी।गांव का दादा था।लाइन तोड़ कर लाइन में बैठे लोगों को धकेल कर घुसा और अपना राशन ले कर मोटर साईकिल पर रख कर चलता बना।दुकान वाले की हिमत ही नहीं हुई कुछ कहने की ओर अगर वह अगर वह कुछ कहता तो पता नहीं क्या परिणाम होता।
अनाज वितरक उसके जाने के बाद बड़बड़ाया साले गुंडे भिखारी सुबह सुबह आ जाते हैं।गांव में ऐसे दो चार लोग हैं जिन्होंने गांव को बदनाम कर रखा है।मगर कौन गले में घंटी बांधे।
एक तरफ बैठा गांव का पटवारी हस्ते हुए बोला ऐसा न हो कि कभी कोई अचानक चेकिंग हो जाए।जांच हो जाए और खाया पिया सरकार एक साथ वसूल करले।
दूसरा लाइन में से ही बोला पटवारी जी ऐसा होगा नहीं क्योंकि सरपंच,ग्राम सेवक और आप तो हमारे साथ ही हो।
वह गरीब बोला रोना तो इसी का है कि यह सारा गड़बड़ झाला भी तो ये ही कराते हैं।सरकार को क्या पता कि कौन गरीब है,कौन अमीर है और कौन असली गरीब।
पटवारी बोला तू चुप कर।सरकार माई बाप है।मुफ्त में देती है तो लेने दे।
वह बोला आप ही तो कह रहे थे जब जांच होगी तब,,,क्यों नहीं जांच होती।किसका बेटा क्या करता है।कितनी कमाई है।इनका शाही रहन सहन और इनकम टैक्स देने वाले कितने हैं।पटवारी जी इस लाइन में खड़े लोगों में कोई पांच या सात लोग ही गरीब हैं बाकी की तो आतमां गरीब है।इनको पता नहीं है कि फ्री राशन लेने का भी कोई कानून कायदा भी है।
बीच में से एक बोल पड़ा जहा फायदा वही कायदा है।होने दे जांच हमारा क्या बिगड़ जायेगा।
पटवारी बोला वह भी तो हम ही करेंगे कोई विदेश से थोड़े ही आएगा।
वह गरीब अपनी खाली बोरी ले कर खड़ा हो गया और बड़बड़ाता हुआ अपनी मजदूरी पर चला गया।