अठई की तपस्या पर सिमरन कोचर ने साध्वीवृंद से लिया शुभाशीष
बीकानेर। सच्चा और अच्छा मित्र आपको सही सलाह देता है, दुर्जन लोगों का साथ कभी न रखें, गलत कार्य करने वाले व्यक्ति की संगत आपको भी गलत राह दिखाती है। उक्त प्रवचन शुक्रवार को साध्वी अक्षयदर्शना ने रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में व्यक्त किए। शांत सुधारस सूत्र का वाचन करते हुए साध्वी अक्षयदर्शना ने कहा कि आत्मा के निकट रहना ही सत्संग है और जो आत्मा के निकट नहीं जा सकते उन्हें संतंों के समीप रहकर संतों का संग करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करें तो आप आत्मा निकट पहुंच सकते हैं। सत्संग हमें इस भव के साथ ही हमें भवोभव से मोक्ष दिलाता है। प्रवचन की शृंखला में साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि जब भी मंदिर में जाएं तो याचक नहीं भक्त बन कर जाएं। सांसारिक, भौतिक, पारिवारिक व आर्थिक इच्छाओं को पूर्ण करने की मांग करना याचना होता है और आध्यात्मिक स्तर पर स्वयं के भीतर रही आसक्ति को दूर करने के लिए परमात्मा के समक्ष मांगना प्रार्थना है। सात्विक, राजसिक व तामसिक तीन प्रकार की प्रार्थना होती है। परमात्मा से गुणों की मांग सात्विक, संसारिक सुख की मांग राजसिक और दूसरों के अहित की मांग तामसिक प्रार्थना होती है। आज की संघ पूजा का लाभ सुंदरलाल बैगाणी परिवार द्वारा लिया गया। गंगाशहर निवासी अठई तप करने वाली सिमरन कोचर ने साध्वी सौम्यप्रभा के दर्शन किए। तपस्वी सिमरन कोचर के माता-पिता संजय-सारिका कोचर ने बताया कि सिमरन ने पहली बार अठई तप किया है और शनिवार को अठई तप पूर्ण होगा।

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